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स्मृति ईरानी का ‘डिग्री’ केस पहुंचा दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को भी किया तलब

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भारत
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केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का डिग्री विवाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं. स्मृति की डिग्री का मामला अब दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा है. स्मृति पर फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज पेश किए जाने का आरोप लगाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.

याचिकाकर्ता अहमर खान ने इससे पहले इसी तरह की याचिका एक ट्रायल कोर्ट में दी थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. कोर्ट ने इसमें शिकायतकर्ता की मंशा पर सवाल उठाते हुए का था कि इस मामले की शिकायत करने में 11 साल लग गए यानी जाहिर है कि मंत्री को परेशान करने की मंशा से शिकायत की गई है.

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13 सितंबर को होगी अगली सुनवाई

दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट से रिकॉर्ड तलब किया है. इस मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी.

ईरानी के शैक्षणिक दस्तावेज उस वक्त सवालों के घेरे में आए थे, जब साल 2004 और 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया था. स्मृति ईरानी पर ये आरोप लगाकर कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई गई थी कि उन्होंने अब तक के अपने तीन चुनावी हलफनामों में अपनी शिक्षा को लेकर अलग-अलग जानकारियां दी हैं. खान का आरोप है कि स्मृति ने अलग-अलग जगह अपने शैक्षणिक ब्यौरे अलग-अलग दिए.

EC को दिए हलफनामे में अलग-अलग जानकारी देने का आरोप

साल 2004 और 2014 के लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में शिक्षा को लेकर दी गई जानकारी आपस में मेल नहीं खा रही है. इनमें से एक शपथ पत्र में स्मृति ने खुद को बीकॉम बताया है तो दूसरे में बीए बताया है. स्मृति ने 2004 के लोकसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे में खुद को डीयू के स्कूल ऑफ कॉरेस्पांडेंस से 1996 बैच का बी.ए. ग्रैजुएट बताया था.

इसके बाद साल 2011 में राज्यसभा में नामांकन के लिए दिए गए हलफनामे में उन्होंने खुद को डीयू के स्कूल ऑफ कॉरेसपोंडेंस से बी.कॉम पार्ट-I किया बताया था. लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान अमेठी से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ते हुए दाखिल अपने तीसरे हलफनामे में ईरानी ने बताया कि डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से बी. कॉम पार्ट-I किया था.

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