वायु प्रदूषण (Air pollution) के मद्देनजर बैन के बावजूद दिल्ली में नई संसद भवन और सेंट्रल विस्टा (Central Vista) का निर्माण क्यों जारी है, के सवाल पर केंद्र सरकार ने बुधवार, 1 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से कहा कि ये राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाएं हैं.
केंद्र सरकार ने एक याचिका, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का निर्माण कार्य वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है, के जवाब में कहा कि प्रदूषण को कम करने के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि
“यह परियोजना कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स और उन प्रत्येक शर्त का अनुपालन करती है जो यह सुनिश्चित करने के लिए रखी जाती है कि इससे कोई प्रदूषण नहीं होता है”.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले दायर याचिका के बाद मामले में केंद्र से जवाब मांगा था. CJI रमना के नेतृत्व में तीन जजों वाली विशेष बेंच कल, 2 दिसंबर को मामले की आगे सुनवाई करेगी.
प्रदूषण को कम करने के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं- केंद्र
याचिकाकर्ता आदित्य दुबे की ओर से दलील देते हुए वकील विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि जीवन के अधिकार के लिए छोटी परियोजनाओं पर तो निर्माण कार्य रोक दिया गया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट की नाक के नीचे विशाल सेंट्रल विस्टा का निर्माण पूरे जोरों पर किया जा रहा है.
“क्या सेंट्रल विस्टा का काम दिल्ली-एनसीआर के करोड़ों निवासियों की जान से ज्यादा जरूरी है?”याचिकाकर्ता
केंद्र ने जवाब देते हुए कहा है कि सरकार ने एंटी स्मॉग गन, मिस्ट स्प्रे सिस्टम, मैग्नीशियम क्लोराइड जैसे डस्ट सप्रेसेंट का उपयोग, निर्माण सामग्री को ले जाने- ले आने के लिए कन्वेयर बेल्ट का उपयोग, सभी निर्माण सामग्री को गीली स्थिति में रखने आदि जैसे सभी उपाय किए हैं.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हवा की गुणवत्ता को देखते हुए 24 नवंबर को दिल्ली में निर्माण गतिविधियों पर फिर से रोक लगा दी थी. जबकि निर्माण से संबंधित प्रदूषण न करने वाली गतिविधियों जैसे प्लंबिंग कार्य, इंटिरियर डेकोरेशन , बिजली के कार्य और बढ़ईगीरी से जुड़े कार्य को जारी रखने की अनुमति दी गई थी.
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