सेंट्रल विस्टा (Central Vista) एवेन्यू को रिडेवलप करने के बाद इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने किया. यह सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है. दिल्ली में इंडिया गेट से लेकर जो राष्ट्रपति भवन तक का पूरा इलाका है वो सेंट्रल विस्टा कहलाता है. इसमें राष्ट्रपति भवन, विदेश और वित्त मंत्रालय सहित कई सरकारी भवन मौजूद हैं. अब इस पूरे इलाके को रिडेवलप किया गया है.
लेकिन दशकों पहले सेंट्रल विस्टा को बनाने के पीछे दो लोगों का दिमाग था. ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियन्स (Edwin Lutyens) और हर्बट बेकर (Herbert Baker).
1911 में पांचवें किंग जॉर्ज और क्वीन मैरी ने ब्रिटिश भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली ट्रांसफर करने का तय किया, ऐसा इसलिए क्योंकि देश की राजधानी गर्मियों में शिमला होती थी और दिल्ली शिमला के करीब था. अब नई राजधानी बनी तो सरकार को नए भवनों की जरूरत पड़ी, और तब यह तय किया गया कि सेंट्रल विस्टा का निर्माण किया जाएगा जिसमें वायसरॉय हाउस (अब राष्ट्रपति भवन), किंग वे (अब राजपथ) और वॉर मेमोरियल (अब इंडिया गेट) को बनाना शामिल था.
इसके लिए भारत के तत्कालीन वायसराय, लॉर्ड हार्डिंज ने 1912 में दिल्ली टाउन प्लानिंग कमेटी तैयार की. सेंट्रल विस्टा के निर्माण का जिम्मा ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियन्स और हर्बट बेकर को सौंपा गया.
उस समय निर्माण का कार्य आज की तरह आसान नहीं था. सेंट्रल विस्टा की जमीन जांचने में आर्किटेक्ट को लंबा वक्त लगा. कुछ जगहों को परखा गया लेकिन वो जमीनें इसके लिए उन्हें सही जगह नहीं लगी, इसके बाद दोनों आर्किटेक्ट ने दिल्ली के शहानाबाद से लेकर नारायणा और माल्चा की जमीन देखी, और आखिरकार रायसीना हिल्स पर जाकर दोनों की सहमति बनी.
सेंट्रल विस्टा पर दोनों के बीच झगड़ा भी हुआ था
सेंट्रल विस्टा का उद्घाटन 1931 में किया गया था. इस कॉम्प्लेक्स में राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक और रिकॉर्ड ऑफिस (जिसे अब नेशनल आर्काइव के नाम से जाना जाता है), ऐतिहासिक इमारत इंडिया गेट और इसके अगल-बगल गार्डन शामिल थे.
जहां राष्ट्रपति भवन को लुटियन्स ने डिजाइन किया था, वहीं नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को बेकर ने डिजाइन किया था. दोनों ब्लॉक और राष्ट्रपति भवन की हाईट को लेकर दोनों दोस्तों में विवाद भी हुआ था. कहा जाता है कि इसी वजह से दोनों की सालों की दोस्ती में खटास आ गई.
कौन हैंं लुटियन्स और बेकर
1869 में जन्मे लुटियन्स का एक बड़ा योगदान दिल्ली के निर्माण में रहा है, उनके द्वारा बनाई गई इमारतों में भारत की छाप भी नजर आती है. किंग जॉर्ज और वायसरॉय हार्डिंग चाहते थे कि नई राजधानी पारंपरिक भारतीय शैली की हो. इसलिए लुटियन्स की बनाई इमारतों में यूरोप की छाप के साथ भारतीय पारंपरिक शैली की छाप भी है. जैसे इनके द्वारा बनाई गई इमारतों में छज्जा, जाली और छतरी यानी गुंबद बने हुए हैं.
1962 में जन्मे हर्बट बेकर ने भी सेंट्रल विस्टा में अपना योगदान दिया. केवल भारत में ही नहीं बेकर के कई उल्लेखनीय काम दक्षिण अफ्रीका में भी देखे गए हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)