WhatsApp की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर काफी विवाद चल रहा है. हालांकि, कंपनी ने इस पॉलिसी को लागू करने की अंतिम तारीख 8 फरवरी से बढ़ाकर मई में कर दी है, लेकिन फिर भी मामला कोर्ट तक पहुंच गया है. अब खबर आई है कि केंद्र सरकार ने WhatsApp से प्राइवेसी पॉलिसी में किए गए किसी भी बदलाव को वापस लेने को कहा है.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि केंद्र ने WhatsApp के सीईओ विल कैथकार्ट को एक लेटर लिखकर भारतीय यूजर्स की इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी पर चिंता जाहिर की है.
फेसबुक के स्वामित्व वाले मेसेजिंग ऐप WhatsApp के लिए भारत सबसे बड़ा मार्केट है.
केंद्र ने WhatsApp से क्या कहा?
रिपोर्ट में मामले से संबंधित लोगों के हवाले से कहा गया कि इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री की तरफ से WhatsApp को लेटर भेजा गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने WhatsApp से कहा है, "नई पॉलिसी बिजनेस अकाउंट के साथ हुई यूजर चैट का मेटाडेटा दूसरी फेसबुक कंपनियों के साथ शेयर करने का प्रस्ताव रखती है. इससे फेसबुक ग्रुप में यूजर की जानकारियों का एक संग्रह बन जाएगा और इससे सिक्योरिटी को खतरा हो सकता है."
मिनिस्ट्री ने WhatsApp की ‘या तो ये या फिर कुछ नहीं’ वाले नजरिये पर भी आपत्ति जताई है. WhatsApp ने नई प्राइवेसी पॉलिसी को मंजूर करने के लिए यूजर्स को पहले 8 फरवरी तक का समय दिया था. कंपनी ने कहा था कि या तो इसे मंजूर करना होगा या फिर अकाउंट डिलीट कर दिया जाएगा.
'भारतीय यूजर्स के साथ भेदभावपूर्ण बर्ताव'
इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने NDTV को बताया कि सरकार ने WhatsApp की 'यूरोपियन यूनियन और भारत के लिए अलग-अलग प्राइवेसी पॉलिसी' को लेकर भी आपत्ति जताई है.
केंद्र ने कंपनी से कहा कि भारतीय यूजर्स के साथ ये ‘भेदभावपूर्ण बर्ताव’ ठीक नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया कि मिनिस्ट्री ने WhatsApp से पूछा है कि वो ऐसे ‘महत्वपूर्ण बदलाव क्यों लेके आए जब भारत की संसद पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल पर विचार कर रही है.’
इस बिल पर संसद के दोनों सदनों की जॉइंट सेलेक्ट कमेटी विचार कर रही है.
केंद्र ने WhatsApp को प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी की चिंताओं पर 14 सवालों की एक लिस्ट भेजी है. रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से कुछ सवाल WhatsApp से डेटा की उस केटेगरी के बारे में पूछते हैं जो वो भारतीय यूजर से इकट्ठा करता है.
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