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जम्मू-कश्मीर में AFSPA लगाने का अधिकार अभी भी केंद्र के पास

अफस्पा के तहत सुरक्षा बल किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के हिरासत में ले सकते हैं

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31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित हो गया है. इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में किसी भी क्षेत्र को सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA) के तहत ‘अशांत’ घोषित करने का अधिकार अब भी केंद्र ने अपने पास रखा है.

अफस्पा (AFSPA) सुरक्षा बलों को किसी भी संदिग्ध शख्स के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देता है.

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31 अक्टूबर से पहले तक राज्य सरकार को जिलाधिकारियों के जरिए अफस्पा के तहत किसी जिले या पुलिस थाना क्षेत्र को ‘अशांत’ घोषित करने का अधिकार दिया गया था.

क्या है अफस्पा?

अफस्पा के तहत सुरक्षा बल किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के हिरासत में ले सकते हैं, उसकी तलाशी ले सकते हैं और यहां तक कि उस पर गोली भी चला सकते हैं. ये कानून इन सब चीजों के लिए जवानों को छूट देता है.

एक सरकारी अधिसूचना के मुताबिक, दोनों नए केंद्र शासित प्रदेशों में सशस्त्र बल (जम्मू-कश्मीर) विशेष अधिकार अधिनियम, 1990 (1990 का 21) का प्रशासन अब केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत जम्मू, कश्मीर और लद्दाख मामलों के विभाग के साथ निहित किया गया है.

पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में 1990 से अफस्पा लगा हुआ था. हालांकि, लेह और करगिल क्षेत्रों को कभी भी अशांत घोषित नहीं किया गया, जो अब नए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा हैं. राज्य के बंटवारे के साथ, दोनों केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस और कानून व्यवस्था केंद्रीय गृह मंत्रालय अब दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के संबंधित उपराज्यपालों के जरिए देखेगा.

बता दें कि केंद्र शासित राज्यों में केंद्र सरकार की सलाह पर लेफ्टिनेंट गवर्नर प्रशासनिक काम करते हैं. लेफ्टिनेंट गवर्नर, राष्ट्रपति का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन उनकी नियुक्ति केंद्र सरकार करती है. लेफ्टिनेंट गवर्नर की जवाबदेही केंद्र सरकार के लिए होती है. लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित राज्य बनाया गया है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि दिल्ली और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होते हैं लेकिन वहां की सरकारों का अधिकार क्षेत्र सीमित होता है.

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