मौत की सजा पाये दोषियों को फांसी दिए जाने के लिए 7 दिन की समय सीमा निर्धारित करने का अनुरोध करते हुए केन्द्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है.
निर्भया गैंगरेप और मर्डर मामले में दोषियों की तरफ से पुनर्विचार याचिका, सुधारात्मक याचिका ओर दया याचिकाएं दायर करने की वजह से मौत की सजा के फैसले पर अमल में देरी को ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय की ये याचिका काफी अहम है.
गृह मंत्रालय ने याचिका में क्या कहा है?
गृह मंत्रालय ने इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि मौत की सजा पाने वाले मुजरिमों की पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद सुधारात्मक याचिका दायर करने की समय सीमा निर्धारित की जाए.
मंत्रालय ने ये निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि अगर मौत की सजा पाने वाला मुजरिम दया याचिका दायर करना चाहता है तो उसके लिए फांसी दिये जाने संबंधी कोर्ट का वारंट मिलने की तारीख से सात दिन के भीतर दायर करना जरूरी किया जाए.
गृह मंत्रालय ने ये भी मांग रखी है?
गृह मंत्रालय ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को सभी सक्षम अदालतों, राज्य सरकारों और जेल प्राधिकारियों के लिये यह जरूरी करना चाहिए कि ऐसे दोषी की दया याचिका अस्वीकार होने के बाद सात दिन के भीतर सजा पर अमल का वारंट जारी करें, चाहें दूसरे साथी-मुजरिम की पुनर्विचार याचिका, सुधारात्मक याचिका या दया याचिका लंबित ही क्यों नहीं हो.
दोषी की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी को कर दी थी खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया मामले में मौत की सजा पाये एक दोषी पवन की नई याचिका 20 जनवरी को खारिज कर दी थी. इस याचिका में दोषी ने दावा किया था कि अपराध के समय 2012 में वह नाबालिग था.
दिल्ली की कोर्ट ने हाल ही में इस मामले के दोषियों-विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह, मुकेश कुमार सिंह और पवन- को एक फरवरी को मृत्यु होने तक फांसी के फंदे पर लटकाने के लिये वारंट जारी किया है. इससे पहले इन दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जानी थी लेकिन लंबित याचिकाओं की वजह से ऐसा नहीं हो सका था.
निर्भया के साथ 16 दिसंबर, 2012 की रात में दक्षिण दिल्ली में चलती बस में छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार के बाद बुरी तरह जख्मी करके सड़क पर फेंक दिया गया था. निर्भया का बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था.
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