प्रधानमंंत्री कार्यालय (PMO) ने कहा है कि 19 जून को सर्वदलीय बैठक में दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की ‘शरारतपूर्ण व्याख्या करने’ की कोशिश की जा रही है. बता दें कि पीएम ने कहा था, ''पूर्वी लद्दाख में जो हुआ...न वहां कोई हमारी सीमा में घुस आया है और न ही कोई घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है.''
इस बयान पर राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने सवाल उठाए हैं. पीएम के बयान पर राहुल ने ट्वीट कर पूछा, ''पीएम ने भारतीय क्षेत्र को चीनी आक्रामकता के सामने सरेंडर कर दिया है.'' राहुल ने पूछा है, ''अगर जमीन चीन की थी: 1.हमारे सैनिक क्यों शहीद हुए? 2. वे कहां शहीद हुए?''
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने पूछा, ''अगर चीनी सैनिक एलएसी पार करके भारतीय क्षेत्र में नहीं आए थे, तो विदेश मंत्री जयशंकर का बयान 'पहले की यथास्थिति की बहाली' के संदर्भ में क्यों था?''
PMO ने कहा है कि सर्वदलीय बैठक में मोदी की टिप्पणियां गलवान घाटी में 15 जून के घटनाक्रम पर केंद्रित थीं, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए.
उसने कहा है, ''प्रधानमंत्री की इन टिप्पणियों का, कि (वास्तविक नियंत्रण रेखा) एलएसी पर हमारी तरफ कोई चीनी मौजूदगी नहीं है, संबंध हमारे सशस्त्र बलों की वीरता के परिणाम संबंधी स्थिति से था.’’
PMO ने कहा है, ‘’यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि 15 जून को गलवान में हिंसा हुई थी क्योंकि चीनी पक्ष एलएसी के पार संरचनाओं को खड़ा करने की कोशिश कर रहा था और ऐसी गतिविधियों को बंद करने से इनकार कर रहा था.’’
इसके अलावा PMO ने कहा है, ''16 बिहार रेजिमेंट के सैनिकों के बलिदान ने संरचनाओं को खड़ा करने की चीनी पक्ष की कोशिश को नाकाम कर दिया और उस दिन एलएसी के इस बिंदु पर अतिक्रमण की कोशिश को भी नाकाम कर दिया.''
PMO ने कहा है, ''ऐसे समय में जब हमारे बहादुर सैनिक हमारी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनका मनोबल कम करने के लिए अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है.''
बयान में कहा गया है, ''भारतीय क्षेत्र क्या है, यह भारत के मानचित्र से साफ है. सरकार मजबूती से उस पर अडिग है. अभी तक जहां कुछ अवैध कब्जे हैं, सर्वदलीय बैठक में विस्तार से बताया गया था कि पिछले 60 सालों में 43,000 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा जमीन पर किन परिस्थितियों में कब्जा हुआ है, जिससे यह देश अच्छी तरह वाकिफ है. यह भी स्पष्ट किया गया कि यह सरकार एलएसी के एकतरफा परिवर्तन की अनुमति नहीं देगी.''
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