केंद्र सरकार ने 21 जून को ई-कॉमर्स नियमों (e-commerce rules) में कई बदलावों का प्रस्ताव रखा. सरकार इन 'सुधारों' से 'अनुचित व्यापार के तरीकों' को रोकने की कोशिश कर रही है. प्रस्तावित नियमों में सरकार ने किसी भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर 'फ्लैश सेल' बैन (flash sale ban) कर दी है. हालांकि, सरकार ने साफ किया है कि प्लेटफॉर्म पर थर्ड-पार्टी सेलर की फ्लैश सेल पर बैन नहीं लगेगा.
खाद्य और उपभोक्ता मामले के मंत्रालय ने 21 जून को एक बयान जारी कर इस ड्राफ्ट प्रस्ताव की जानकारी दी. इसमें कहा गया, “क्लॉज खासकर ‘फ्लैश सेल’ पर लागू होगा, जो कि सॉफ्टवेयर में बदलाव कर फ्रॉड तरीके से एक खास सेलर या सेलर के समूह को फायदा पहुंचाने के लिए आयोजित की जाती है.”
अपने बयान में सरकार ने 'फ्लैश सेल' को ऐसी सेल बताया है, जो कि 'किसी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कम दामों, ज्यादा डिस्काउंट या किसी और तरीके के प्रमोशन या आकर्षक ऑफर के साथ पहले से तय समय के लिए चुनिंदा सामान और सेवाओं पर आयोजित की जाती है और इसका इरादा ज्यादा कस्टमर को आकर्षित करना होता है.'
चीफ कंप्लायंस अफसर की नियुक्ति जरूरी
प्रस्तावित नियमों में कंस्यूमर ग्रिवांस रिड्रेसल को सख्त बनाने की योजना है. इसके तहत हर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को एक चीफ कंप्लायंस अफसर नियुक्त करना होगा. सरकार किसी व्यक्तिगर सेलर के खरीदे गए सामान या सर्विस को डिलीवर न कर पाने की सूरत में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को जिम्मेदार ठहराने का प्रस्ताव रख रही है.
इन ड्राफ्ट नियमों पर पब्लिक अपने कमेंट और सुझाव 15 दिनों तक भेज सकती है. इसके लिए डेडलाइन 6 जुलाई है.
इंपोर्टेड सामान के मामले में केंद्र सरकार का प्रस्ताव है कि हर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म प्रोडक्ट डिस्क्रिप्शन में अतिरिक्त जानकारी सुनिश्चित करे, जिसमें सामान के बनने का देश भी शामिल हो. ये भी प्रस्ताव है कि ई-कॉमर्स कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म्स से इकट्ठा हुई जानकारी को किसी 'अनुचित फायदे' के लिए इस्तेमाल नहीं करेंगी.
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