केंद्र सरकार ने 25 जनवरी को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि WhatsApp की पॉलिसी भारतीय और यूरोपियन यूजर्स के लिए अलग-अलग है. इस बीच WhatsApp ने कोर्ट को जानकारी दी कि केंद्र ने उसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है और वो इस पर जल्द ही रिप्लाई देगा.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, याचिका पर सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने WhatsApp को सवालों की एक लिस्ट भेजी है.
शर्मा ने कहा, “WhatsApp यूरोपियन यूजर्स को जो प्राइवेसी पॉलिसी ऑफर कर रहा है, उसमें किसी भी जानकारी का फेसबुक की किसी भी कंपनी के साथ साझा करना प्रतिबंधित है.... ये क्लॉज भारतीय यूजर को दी गई प्राइवेसी पॉलिसी में नहीं है. भारतीय यूजर WhatsApp के अच्छे-खासे यूजरबेस का हिस्सा है.”
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने भारतीय यूजर के लिए 'पॉलिसी में किए गए एकतरफा बदलाव' पर चिंता जताई. यूजर्स को इस पॉलिसी को नहीं अपनाने का विकल्प नहीं दिया गया है. शर्मा ने कहा, "WhatsApp ने अपने सामाजिक महत्त्व का इस्तेमाल करते हुए यूजर को मजबूर किया."
WhatsApp के कानूनी प्रतिनिधि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दावा किया कि ये एक 'भ्रामक जानकारी है' और ऐप इस पर जल्दी ही सफाई देगा.
जस्टिस संजीव सचदेवा ने सुनवाई अब 1 मार्च तक टाल दी है. जज ने सरकार को किसी फैसले पर पहुंचने का समय दिया है. इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि ‘पॉलिसी ऐसी चीज नहीं है जो आपके लिए ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य बनाती है.’
वकील चैतन्य रोहिल्ला ने याचिका दायर की थी. रोहिल्ला ने याचिका में कहा कि ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी ने लोगों के निजता के अधिकार पर हमला किया. उन्होंने इस अपडेट पर रोक की मांग की थी. याचिकाकर्ता ने मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से गाइडलाइन बनाने को भी कहा है, जिससे WhatsApp यूजर डेटा थर्ड पार्टी या फेसबुक के साथ शेयर न कर पाए.
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