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केंद्र ने SC से कहा- मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता CAA

नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में ुप्रदर्शन जारी

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भारत
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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA), किसी भी मौलिक अधिकार का हनन नहीं करता है. केंद्र ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपने 129 पेज के जवाब में नागरिकता संशोधन कानून को वैध बताया और कहा कि इसके द्वारा किसी भी प्रकार की संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन होने का सवाल ही नहीं है.

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हलफनामे में केद्र ने कहा है कि ये कानून कार्यपालिका को किसी भी प्रकार के मनमाने और अनियंत्रित अधिकार प्रदान नहीं करता, क्योंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को इस कानून के तहत ही नागरिकता प्रदान की जाएगी.

केंद्र की ओर से गृह मंत्रालय में डायरेक्टर बीसी जोशी ने यह हलफनामा दाखिल किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 18 दिसंबर को नागरिकता कानून की संवैधानिक वैधता का परीक्षण करने का फैसला किया था, लेकिन उसे इसकी प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था.

संशोधित नागरिकता कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में कथित रूप से उत्पीड़न का शिकार हुए हिन्दू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी अल्पसंख्यक समुदाय के उन सदस्यों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जो 31 दिसंबर, 2014 तक यहां आ गए थे.

CAA पास होने के बाद से ही देशभर में इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है. दिल्ली के शाहीन बाग में महिलाएं पिछले तीन महीनों से CAA, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है.

दिसंबर में CAA के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में कई लोगों की जान भी चली गई थी. दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट इलाके में 24-25 फरवरी को CAA का विरोध और समर्थन कर रहे लोगों में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.

मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान और पंजाब विधानसभा में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया है.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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