सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव (Chandigarh Mayor Election) में कथित धांधली पर सुनवाई करते हुए कहा कि, चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए क्योंकि वह चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे थे.
लाइवलॉ की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 19 फरवरी को प्रस्ताव दिया कि नए चुनाव का आदेश देने के बजाय चंडीगढ़ मेयर चुनाव के नतीजे वर्तमान मतपत्रों के आधार पर ही घोषित किए जाएंगे.
कोर्ट ने कहा कि वह निर्देश देगा कि पहले से डाले गए वोटों की गिनती उन निशानों को नजरअंदाज करके की जाए जो पिछले पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह द्वारा उन पर लगाए गए थे. कोर्ट ने कहा कि वह चंडीगढ़ प्रशासन के डिप्टी कमिश्नर से एक ऐसे अधिकारी को नामित करने के लिए कहेगा, जो किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा न हो. उसे मतपत्रों की गिनती करने और परिणाम घोषित करने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि पूरी मतगणना प्रक्रिया की न्यायिक निगरानी की जाएगी.
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने निर्देश दिया है कि मतपत्रों को कल, 20 फरवरी की दोपहर 2 बजे कोर्ट में पेश किया जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उनसे वोट काउंट किए जा सकते हैं. हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को कोर्ट में मतपत्र लाने के लिए एक न्यायिक अधिकारी को नामित करने के लिए कहा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान ये भी कहा कि जो "हॉर्सट्रेडिंग" (पार्षदों की खरीद-फरोक्त) चल रही है, वो गंभीर मामला है.
नोट: बता दें कि, एक दिन पहले 18 फरवरी की देर शाम बीजेपी नेता मनोज सोनकर ने चंडीगढ़ मेयर पद से इस्तीफा दे दिया था. वहीं, अब चंडीगढ़ नगर निगम का नंबर गेम बदल गया है, क्योंकि AAP के तीन पार्षदों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है.
कोर्ट में चंडीगढ़ प्रशासन, AAP उम्मीदवार की ओर से क्या कहा गया?
चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि एक न्यायिक अधिकारी की देखरेख में नए सिरे से चुनाव कराया जाना चाहिए.
वहीं मेयर चुनाव हारने वाले आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने इस प्रस्ताव का विरोध किया. कुलदीप कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गुरमिंदर सिंह ने कहा कि वोटों की गिनती मौजूदा मतपत्रों के आधार पर की जा सकती है. नियमों के अनुसार, मतपत्र केवल तीन स्थितियों में अमान्य किए जाते हैं -
यदि दो से अधिक उम्मीदवारों के लिए वोट डाले गए हों
यदि ऐसा कोई निशान छूट गया हो जिससे मतदाता की पहचान हो जाए
यदि कोई निशान से यह पता लगाना कठिन हो जाए कि वोट किसे दिया गया है
उन्होंने आगे कहा कि, रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने जो मतपत्रों के साथ किया है वह इन तीन शर्तों में शामिल नहीं है. इसीलिए नए सिरे से चुनाव वाले प्रस्ताव को उन्होंने खारिज किया.
सॉलिसिटर जनरल ने अनुरोध किया कि मामले को कल की बजाय परसों सुनवाई के लिए रखा जाए. हालांकि, कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया है. मामले पर फिर से 20 फरवरी को ही सुनवाई होगी.
रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह से सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या पूछा?
सीजेआई: मिस्टर मसीह, मैं आपसे सवाल पूछ रहा हूं. यदि आप सही जवाब नहीं देंगे, तो आप पर मुकदमा चलाया जाएगा. यह एक गंभीर मामला है. हमने वीडियो देखा है. आप कैमरे पर क्रॉस लगाकर क्या कर रहे थे मतपत्र? आप निशान क्यों लगा रहे थे?
मसीह: मतदान के बाद मुझे मतपत्रों पर चिन्ह लगाना था. जो मतपत्र खराब हो गए थे, उन्हें अलग करना पड़ा..
सीजेआई: वीडियो से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि आप कुछ मतपत्रों पर क्रॉस का निशान लगा रहे थे. क्या आपने कुछ मतपत्रों पर क्रॉस के निशान लगाए थे?
मसीह: हां
सीजेआई: कितने मतपत्रों पर निशान लगाए गए थे?
मसीह: 8..
सीजेआई: मतपत्र को आप खराब क्यों कर रहे थे? आप ऐसे क्यों किए? आपको केवल साइन ही करना है? साइन के अलावा मतपत्रों पर और कुछ करने का कहां नियम बना है?
मसीह: मतपत्रों को उम्मीदवारों ने खराब किया था, उन्होंने छीन लिया और नष्ट कर दिया. इसलिए अलग करने के लिए निशान बनाया
सीजेआई: मिस्टर सॉलिसिटर, उन पर मुकदमा चलाना होगा. वह चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं.
ये मसीह का दावा था कि उन्होंने केवल 8 मतपत्रों पर निशान लगाए थे जो खराब हो गए थे. पीठ ने उनकी दलील दर्ज की है.
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