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चंद्रयान 2: चांद से महज 2.1 KM दूर था लैंडर, फिर कहां हुई गड़बड़ी?

‘विक्रम’ के लिए आखिरी के 15 मिनट सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण थे.

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वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम

जिस मिशन चंद्रयान-2 पर दुनियाभर की निगाहें टिकी हुई थीं, उसमें लैंडर 'विक्रम' की सॉफ्ट लैंडिंग के आखिरी पल इसरो के लिए तनाव भरे साबित हुए हैं. यह सॉफ्ट लैंडिंग 6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात करीब 1:53 बजे चांद के दक्षिणी धुव्रीय क्षेत्र में होने जा रही थी. सब कुछ तय प्रक्रिया के हिसाब से चल रहा था, 'विक्रम' चांद की सतह की ओर बढ़ रहा था, मगर आखिरी वक्त पर 'विक्रम' का संपर्क इसरो से टूट गया.

चंद्रयान-2 से पहले स्पेस एजेंसियों ने 38 बार चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की कोशिश की थी. इन कोशिशों में सक्सेस रेट 52 फीसदी रहा था.

बता दें कि ‘सॉफ्ट लैंडिंग' में लैंडर को आराम से धीरे-धीरे सतह पर उतारा जाता है, जिससे लैंडर, रोवर और उनके साथ लगे उपकरण सुरक्षित रहें. बता दें कि अब तक रूस, अमेरिका और चीन को ही चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफलता हासिल हुई है.

‘विक्रम’ के लिए आखिरी के 15 मिनट सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण थे. ‘रफ ब्रेकिंग फेज’ और ‘फाइन ब्रेकिंग फेज’ के जरिए इसकी स्पीड कम की जानी थी, ताकि यह आसानी से सॉफ्ट लैंडिंग कर सके.

ISRO की स्क्रीन्स पर दिख रहे डेटा के मुताबिक, 'रफ ब्रेकिंग फेज' सफल रहा. मगर जब 'विक्रम' चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था, इसका संपर्क इसरो से टूट गया. बस यहीं से इसरो के लिए तनाव भरे पल शुरू हो गए. इसके बाद इसरो चीफ के सिवन ने कहा-

‘विक्रम’ चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर दूरी पर था, यहां तक सब ठीक था. इसके बाद इससे हमारा संपर्क टूट गया. डेटा एनालाइज किया जा रहा है.  
के सिवन, इसरो

बता दें कि भारत ने अपने हेवी लिफ्ट रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल GSLV MkIII-M1 की मदद से 22 जुलाई को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया था. स्पेसक्राफ्ट के तीन सेगमेंट थे- ऑर्बिटर (वजन 2,379 किलोग्राम, 8 पेलोड्स), लैंडर 'विक्रम' (1,471 किलोग्राम, 3 पेलोड्स) और एक रोवर 'प्रज्ञान' (27 किलोग्राम, 2 पेलोड्स).

2 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर लैंडर ‘विक्रम’ ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हो गया था. ऑर्बिटर का चांद के चक्कर लगाना जारी है. मिशन चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर को 1 साल तक चांद का चक्कर लगाकर जानकारी जुटानी है. हालांकि लैंडर ‘विक्रम’ और मिशन चंद्रयान-2 की स्थिति इसरो से जानकारी मिलने के बाद ही पूरी तरह साफ हो पाएगी.

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