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ISRO: साइकिल पर रॉकेट ले जाने से लेकर Chandrayaan-3 तक, जानें 61 साल का बेमिसाल सफर

Chandrayaan-3 के सपने को साकार करने वाली भारत की स्पेस एजेंसी, ISRO का सफर 1962 में INCOSPAR के गठन के साथ शुरू हुआ था

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चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग से देश में खुशी की लहर दौड़ गई है. इसी बीच चंद्रयान-3 की सफलता के बाद क्रेडिट लेने की भी होड़ मची है. भारत की अंतरिक्ष यात्रा 1962 में INCOSPAR के गठन के साथ शुरू हुई. इसमें होमी भाभा और विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता का योगदान था. तो चलिए हम आपको लेकर चलते हैं- साइकिल पर रॉकेट ले जाने से लेकर चांद पर इतिहास रचने तक, ISRO के 61 साल के बेमिसाल सफर पर.

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16 फरवरी 1962

पहले इसरो (ISRO) का नाम इंडियन नेशनल कमिटी फॉर स्पेस रिसर्च (INCOSPAR) था. 16 फरवरी 1962 में वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नेतृत्व में 'INCOSPAR' की स्थापना की गई थी. इसकी स्थापना में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का भी योगदान था. 'INCOSPAR' ही बाद में हटाकर ISRO बनाया गया.

स्थापना के समय INCOSPAR के पास कोई संसाधन नहीं था. वैज्ञानिकों का एक छोटा सा समूह था और बमुश्किल कोई फंडिंग थी. इसका उदाहरण है कि स्थापना के एक साल बाद वैज्ञानिक साइकिल पर रॉकेट के पार्ट रखकर लॉन्चिंग के लिए ले गए थे. जिसकी तस्वीरें आज भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं.

21 नवंबर 1963

21 नवंबर 1963 को भारत ने पहली बार अंतरिक्ष में कामयाब रॉकेट प्रक्षेपण किया था. यह प्रक्षेपण केरल के तिरुवनंतपुरम के नजदीक स्थित थुम्बा से किया गया था. डॉ. एपीजे अदबुल कलाम, उस रॉकेट लॉन्च टीम का हिस्सा थे.

15 अगस्त 1969

15 अगस्त 1969 को इसरो की स्थापना हुई और बाद में INCOSPAR को हटा दिया गया. इसरो की स्थापना के समय देश में इंदिरा गांधी की सरकार थी.

19 अप्रैल 1975

19 अप्रैल 1975 में देश के पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट लॉन्च किया गया था. इस सैटेलाइट का नाम प्रसिद्ध भारतीय खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था. गर्व की बात है कि आर्यभट्ट पूरी तरह से देश में ही डिजाइन किया गया था, जो भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में मील का पत्थर माना जाता है.

18 जुलाई 1980

रोहिणी भारत का पहला सैटेलाइट था, जिसे ऑर्बिट में स्थापित किया गया था. इसे भारतीय निर्मित प्रक्षेपण यान, एसएलवी-3 के माध्यम से कक्षा में भेजा गया था.

1983

भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (INSAT) का पहला सैटेलाइट 1983 में कक्षा में स्थापित किया गया था. ये सिस्टम सैटेलाइट का एक नेटवर्क है, जो पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में संचार और प्रसारण की सुविधा देती है.

20 मई 1992

20 मई 1992 में इसरो ने ऑगमेंटेड सेटेलाइट लांच व्हीकल (ASLV) और Insat-2A लॉन्च किया था.

22 अक्टूबर, 2008

22 अक्टूबर 2008 को इसरो ने चंद्रयान-1 को कक्षा में भेजा था. ये भारत का पहला मानवरहित मून मिशन था. इसमें सफलता के साथ ही ISRO चंद्रमा पर ऑर्बिटर भेजने वाले छह अंतरिक्ष संगठनों की खास सूची में शामिल हो गया था. इस मिशन में भारत को शुरुआती सफलता तो मिली लेकिन कुछ देर बाद ही ISRO का चंद्रयान से संपर्क टूट गया.

9 सिंतबर 2012

9 सिंतबर 2012 को PSLV-C21 रॉकेट की सहायता से ISRO ने 100वां अंतरिक्ष मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किया. इसने दो विदेशी उपग्रहों को भी पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया था.

5 नवंबर 2013

भारत ने 5 नवंबर 2013 को मार्स ऑर्बिटर मिशन लॉन्च किया और जो 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में प्रवेश किया. जिससे भारत मंगल ग्रह पर अपने पहले प्रयास में सफल होने वाला पहला देश बन गया. इसरो मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचने वाली दुनिया की चौथी और एशिया की पहली अंतरिक्ष एजेंसी बन गई.

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15 फरवरी 2017

15 फरवरी 2017 को ISRO ने एक साथ 104 सैटेलाइट को एक रॉकेट से लॉन्च कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया. ISRO ने अपने सबसे भारी रॉकेट GSLV-Mk III को लॉन्च किया. 5 जून, 2017 को एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-19 को भी कक्षा में स्थापित किया गया.

14 नवंबर 2018

इसरो ने श्रीहरिकोटा से GSAT-29 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो सबसे भारी 3,423 किलोग्राम का सैटेलाइट था. इसका उद्देश्य देश के दूरदराज के इलाकों में बेहतर संचार प्रदान करना था.

22 जुलाई 2019

22 जुलाई 2019 को भारत ने GSLV-Mk III लॉन्च किया, जो भारत का दूसरा मून मिशन 'चंद्रयान-2' था. ये चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला था लेकिन सफल नहीं हो सका.

23 अगस्त 2023

23 अगस्त 2023 को इसरो (ISRO) ने वह करनामा कर दिखाया, जिससे दुनिया नतमस्तक हो गई. इसरो ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराई. बता दें कि भारत दुनिया का एकलौता देश है, जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की है. इसके साथ ही चांद पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है.

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