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Chandrayaan-3 का सफल लॉन्च,पृथ्वी की कक्षा में स्थापित, ISRO मिशन खास क्यों है?

Chandrayaan-3 14 जुलाई को ISRO के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ.

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Chandrayaan 3 Mission Details: भारत का चंद्रयान-3 (Chandrayan-3) मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च हो चुका है. चंद्रयान-3 आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre) से लॉन्च किया गया. उम्मीद है कि लगभग 3.84 लाख किलोमीटर का सफर करने के बाद चंद्रयान-3 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरेगा.

14 जुलाई को ठीक 2.50 बजे के बाद चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान रॉकेट एलवीएम3 द्वारा लॉन्च किया गया. आइये आपको चंद्रयान-3 से जु़ड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं.

Chandrayaan-3 का सफल लॉन्च,पृथ्वी की कक्षा में स्थापित, ISRO मिशन खास क्यों है?

  1. 1. क्या है Chandrayaan-3?

    चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का फॉलो ऑन मिशन है, यानी चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 के बाद का अभियान है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की संपूर्ण क्षमता प्रदर्शित करेगा. चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से जुड़ी तमाम वैज्ञानिक जानकारी जुटाएगा. इसमें लैंडर और रोवर कॉन्फिगरेशन शामिल है. प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन को 100 किमी चंद्र कक्षा तक ले जाएगा.

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  2. 2. कैसे बनाया गया चंद्रयान-3?

    जानकारी के अनुसार, चंद्रयान-3 को तीन भागों में मिलाकर बनाया गया है. ये तीनों हिस्से हैं-लैंडर मॉड्यूल (LM), प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) और एक रोवर है.

    पहला हिस्सा प्रोपल्शन मॉड्यूल का है, जो लैंडर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा. दूसरा हिस्सा लैंडर मॉड्यूल का है, जिसके अंदर रोवर रखा रहेगा. लैंडर मॉड्यूल की बनावट चौकोर है और इसके चारो कोनों में एक-एक पैर जैसी आकृति लगी है.
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  3. 3. चंद्रयान-3 मिशन क्या उद्देश्य है?

    • चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना

    • रोवर को चंद्रमा पर सतह पर घूमाना

    • लैंडर और रोवर के माध्यम से चंद्रमा की सतह का वैज्ञानिक अध्ययन करना.

    चंद्रयान मिशन-3 का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा की धरती पर सुरक्षित उतारना है. उसके बाद रोवर एक्सपेरिमेंट करने के लिए बाहर निकलेगा. लैंडर से बाहर निकलने के बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल द्वारा ले जाए गए पेलोड का जीवन तीन से छह महीने के बीच है.

    इसरो ने कहा कि लैंडर और रोवर का मिशन जीवन 1 चंद्र दिवस या 14 पृथ्वी दिवस है.
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  4. 4. लैंडर में कई एडवांस टेक्नोलॉजीज मौजूद हैं

    • अल्टीमीटर: लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर

    • वेलोसीमीटर: लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा

    • इनर्शियल मेजरमेंट: लेजर जाइरो आधारित इनर्शियल रेफरेंसिंग और एक्सेलेरोमीटर पैकेज

    • प्रोपल्शन सिस्टम: 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटीट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स

    • नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण (NGC): पॉवर्ड डिसेंट ट्रैजेक्टरी डिजाइन और सहयोगी सॉफ्टवेयर तत्व

    • खतरे का पता लगाना और बचाव

    • लैंडिंग लेग का सिस्टम.

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  5. 5. चंद्रयान-3 की क्या खासियत?

    1- चांद पर कहां लैंड होगा (कोआर्डिनेट) -4 km x 2.4 km 69.367621 S, 32.348126 E

    2- वजन

    • प्रोपल्शन मॉड्यूल: 2148 किलोग्राम

    • लैंडर मॉड्यूल: 26 किलोग्राम के रोवर सहित 1752 किलोग्राम

    • कुल: 3900 किलोग्राम

    3-बिजली उत्पादन

    • प्रोपल्शन मॉड्यूल: 758W

    • लैंडर मॉड्यूल: 738W, WS बायस के साथ

    • रोवर: 50W

    4-लैंडर सेंसर

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  6. 6. मिशन को कितने चरणों में बांटा गया?

    इसरो के अनुसार, चंद्रमा मिशन को तीन चरणों में विभाजित किया गया है. पहले चरण के दौरान भारत का भारी लिफ्ट रॉकेट 43.5 मीटर ऊंचा और 642 टन एलवीएम3 वजनी, चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को ले जाएगा. रॉकेट के पास लगातार छह सफल मिशनों का रिकॉर्ड है.

    यह एलवीएम3 (LVM-3) की चौथी परिचालन उड़ान है, और इसका उद्देश्य चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को जियो ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में लॉन्च करना है.

    तीनों चरणों को मिलाकर विस्फोट के समय 642 टन के रॉकेट का कुल प्रणोदक द्रव्यमान 553.4 टन होगा. अपनी उड़ान में केवल 16 मिनट से अधिक समय बाद रॉकेट लगभग 179 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को बाहर निकाल देगा.

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  7. 7. चंद्रयान-3 की जरूरत क्यों पड़ी?

    IANS ने इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि यह मिशन 2019 में असफल चंद्रयान -2 मिशन का फॉलो अन मिशन है, क्‍योंकि विक्रम नामक लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. चंद्रयान-2 मिशन के दौरान चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हुए लैंडर की तुलना में इस बार लैंडर में किए गए बदलावों के संबंध में लैंडर में पांच के बजाय चार मोटर हैं.

    वैज्ञानिकों के अनुासर, चंद्रयान-3 का मकसद चांद पर पानी और कई दूसरी चीजों की खोज करना है. अगर इसमें सफलता मिलती है तो आने वाले वक्त में भारत मून टूरिज्म (Moon Tourism) और इंसानी बस्ती चांद पर बसाने का सपना देखने वाले सभी देशों के बीच एक बढ़ी पॉवर बनकर उभरेगा .
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  8. 8. चंद्रयान-3 को बनाने में कितनी लगात आई?

    इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 से करीब 30% कम लागत में तैयार किया है. चंद्रयान-3 की लागत लगभग 615 करोड़ रुपये है जो चंद्रयान 2 की लागत से कम है. चंद्रयान 2 की लागत लगभग 850 करोड़ रुपये थी जो चंद्रयान-3 के बजट से करीब 235 करोड़ अधिक है.

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  9. 9. भारत के लिए क्यों खास है मिशन?

    चंद्रयान-3 की सफलता भारत को उन देशों की लिस्ट में शामिल कर देगा, जो चंद्रमा पर सफल लैंडिंग कर चुके हैं. अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ही ऐसा कर पाये हैं.

    (इनपुट-ISRO/IANS के साथ)

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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क्या है Chandrayaan-3?

चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का फॉलो ऑन मिशन है, यानी चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 के बाद का अभियान है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की संपूर्ण क्षमता प्रदर्शित करेगा. चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से जुड़ी तमाम वैज्ञानिक जानकारी जुटाएगा. इसमें लैंडर और रोवर कॉन्फिगरेशन शामिल है. प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन को 100 किमी चंद्र कक्षा तक ले जाएगा.

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कैसे बनाया गया चंद्रयान-3?

जानकारी के अनुसार, चंद्रयान-3 को तीन भागों में मिलाकर बनाया गया है. ये तीनों हिस्से हैं-लैंडर मॉड्यूल (LM), प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) और एक रोवर है.

पहला हिस्सा प्रोपल्शन मॉड्यूल का है, जो लैंडर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा. दूसरा हिस्सा लैंडर मॉड्यूल का है, जिसके अंदर रोवर रखा रहेगा. लैंडर मॉड्यूल की बनावट चौकोर है और इसके चारो कोनों में एक-एक पैर जैसी आकृति लगी है.

चंद्रयान-3 मिशन क्या उद्देश्य है?

  • चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना

  • रोवर को चंद्रमा पर सतह पर घूमाना

  • लैंडर और रोवर के माध्यम से चंद्रमा की सतह का वैज्ञानिक अध्ययन करना.

चंद्रयान मिशन-3 का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा की धरती पर सुरक्षित उतारना है. उसके बाद रोवर एक्सपेरिमेंट करने के लिए बाहर निकलेगा. लैंडर से बाहर निकलने के बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल द्वारा ले जाए गए पेलोड का जीवन तीन से छह महीने के बीच है.

इसरो ने कहा कि लैंडर और रोवर का मिशन जीवन 1 चंद्र दिवस या 14 पृथ्वी दिवस है.
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लैंडर में कई एडवांस टेक्नोलॉजीज मौजूद हैं

  • अल्टीमीटर: लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर

  • वेलोसीमीटर: लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा

  • इनर्शियल मेजरमेंट: लेजर जाइरो आधारित इनर्शियल रेफरेंसिंग और एक्सेलेरोमीटर पैकेज

  • प्रोपल्शन सिस्टम: 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटीट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स

  • नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण (NGC): पॉवर्ड डिसेंट ट्रैजेक्टरी डिजाइन और सहयोगी सॉफ्टवेयर तत्व

  • खतरे का पता लगाना और बचाव

  • लैंडिंग लेग का सिस्टम.

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चंद्रयान-3 की क्या खासियत?

1- चांद पर कहां लैंड होगा (कोआर्डिनेट) -4 km x 2.4 km 69.367621 S, 32.348126 E

2- वजन

  • प्रोपल्शन मॉड्यूल: 2148 किलोग्राम

  • लैंडर मॉड्यूल: 26 किलोग्राम के रोवर सहित 1752 किलोग्राम

  • कुल: 3900 किलोग्राम

3-बिजली उत्पादन

  • प्रोपल्शन मॉड्यूल: 758W

  • लैंडर मॉड्यूल: 738W, WS बायस के साथ

  • रोवर: 50W

4-लैंडर सेंसर

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मिशन को कितने चरणों में बांटा गया?

इसरो के अनुसार, चंद्रमा मिशन को तीन चरणों में विभाजित किया गया है. पहले चरण के दौरान भारत का भारी लिफ्ट रॉकेट 43.5 मीटर ऊंचा और 642 टन एलवीएम3 वजनी, चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को ले जाएगा. रॉकेट के पास लगातार छह सफल मिशनों का रिकॉर्ड है.

यह एलवीएम3 (LVM-3) की चौथी परिचालन उड़ान है, और इसका उद्देश्य चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को जियो ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में लॉन्च करना है.

तीनों चरणों को मिलाकर विस्फोट के समय 642 टन के रॉकेट का कुल प्रणोदक द्रव्यमान 553.4 टन होगा. अपनी उड़ान में केवल 16 मिनट से अधिक समय बाद रॉकेट लगभग 179 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को बाहर निकाल देगा.

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चंद्रयान-3 की जरूरत क्यों पड़ी?

IANS ने इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि यह मिशन 2019 में असफल चंद्रयान -2 मिशन का फॉलो अन मिशन है, क्‍योंकि विक्रम नामक लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. चंद्रयान-2 मिशन के दौरान चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हुए लैंडर की तुलना में इस बार लैंडर में किए गए बदलावों के संबंध में लैंडर में पांच के बजाय चार मोटर हैं.

वैज्ञानिकों के अनुासर, चंद्रयान-3 का मकसद चांद पर पानी और कई दूसरी चीजों की खोज करना है. अगर इसमें सफलता मिलती है तो आने वाले वक्त में भारत मून टूरिज्म (Moon Tourism) और इंसानी बस्ती चांद पर बसाने का सपना देखने वाले सभी देशों के बीच एक बढ़ी पॉवर बनकर उभरेगा .
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चंद्रयान-3 को बनाने में कितनी लगात आई?

इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 से करीब 30% कम लागत में तैयार किया है. चंद्रयान-3 की लागत लगभग 615 करोड़ रुपये है जो चंद्रयान 2 की लागत से कम है. चंद्रयान 2 की लागत लगभग 850 करोड़ रुपये थी जो चंद्रयान-3 के बजट से करीब 235 करोड़ अधिक है.

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चंद्रयान-3 की सफलता भारत को उन देशों की लिस्ट में शामिल कर देगा, जो चंद्रमा पर सफल लैंडिंग कर चुके हैं. अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ही ऐसा कर पाये हैं.

(इनपुट-ISRO/IANS के साथ)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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