दुनिया के कई देश कोरोना वायरस के संकट से लड़ रहे हैं और जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है ये महामारी बढ़ी ही जा रही है. दुनिया के अलग-अलग देश अब अपने यहां के वर्किंग कल्चर को भी कोरोना काल के मुताबिक ढाल रहे हैं. 'चर्चा 2020' के पैनल में 14 मई को बात हुई कि कोरोना संकट के काल में भारतीय अदालतों का भविष्य कैसा होगा.
कानून और न्याय पर हुई चर्चा में बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रवींद्र चवान और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट साजन पोवैया ने मिलकर जोरदार चर्चा की कि इस संकट के काल में भारतीय अदालतों का स्वरूप कैसे बदला है.
‘काम करने में आई तेजी, वक्त की बचत’
कोरोना वायरस का अदालती कार्यवाही पर क्या असर हुआ है इस पर बात करते हुए साजन पोवैया ने कहा कि ' वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए हमारे कोर्ट ने इस दौरान जितनी तेजी से काम किया है ऐसा कभी नहीं हुआ. मेरा पूरा जीवन कोर्ट्स की सुनवाई में बीता है. कोर्ट सेशन के लिए एक शहर से दूसरे शहर एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट जाना होता रहता था. लेकिन इसमें मूल काम सिर्फ 2 घंटे का ही होता था. लेकिन अब कोरोना वायरस के बाद गजब की तेजी आई है. इस नए सिस्टम से देश के सारे वकीलों को काफी फायदा हुआ होगा. काम करने की क्षमता में जबरदस्त इजाफा हुआ है'
वकीलों की फीस कम होगी, न्याय पाने का खर्च घटेगा
इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज रवींद्र चवान ने कहा कि कोरोना वायरस काल में जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई हो रही है तो इसके कई फायदे हो रहे हैं.
‘इससे वकीलों के वक्त की बचत तो हो रही रही है, वहीं इससे आने वाले दिनों में वकालत की कॉस्ट में भी कमी आएगी. वकीलों की फीस कम होगी, तो लोगों के लिए न्याय पाने में आसानी होगी. इस नई प्रक्रिया में ज्यादा मीनिंगफुल काम हो सकेगा.रवींद्र चवान, पूर्व जज, बॉम्बे हाईकोर्ट
इसके अलावा जस्टिस रवींद्र चवान ने कहा कि कोरोना वायरस के संकट के बाद से पिछले कुछ हफ्तों में हमने काफी बदलाव देखे हैं. क्या न्यायसंगत है और क्या न्याय के खिलाफ है इसका फर्क कर पाना मुश्किल हो गया है. एक तरफ तो लोगों को कई मौलिक अधिकार खतरे में हैं तो वहीं दूसरी ओर कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए ये सब करना जरूरी भी लगता है.
नज फाउंडेशन 14 से 16 मई तक 'चर्चा 2020' नाम से सेमीनार की एक सीरीज आयोजित कर रहा है. इसमें विचारकों, रिसर्चर्स, पॉलिसीमेकर्स, कम्यूनिकेटर्स और कम्यूनिटी ली़डर्स को मंच दिया जा रहा है, जिससे दुनिया में कोरोना संकट के बाद खड़ी हुई चुनौतियों पर बात हो सके.’
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