चेन्नई के एक मैकेनिकल इंजीनियर ने दावा किया है कि इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के चंद्रयान 2 मिशन में चांद पर लॉन्च किया गया रोवर 'सही सलामत' है और वो 'विक्रम' लैंडर के मलबे से कुछ मीटर आगे चला गया है. विक्रम लैंडर चांद की सतह पर हार्ड लैंडिंग की वजह से क्रैश हो गया था.
इंजीनियर शन्मुगा सुब्रमण्यम ने तस्वीरों के साथ ये दावा किया है. लगभग 10 महीने पहले ISRO ने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की थी.
रोवर अपनी जगह से हिला कैसे?
सब्रमण्यम को विक्रम लैंडर का मलबा मिला है और अपने दावे के बारे में उन्होंने कहा, "विक्रम लैंडर को कई दिन तक कमांड भेजी गई थीं, तो हो सकता है कि लैंडर को वो कमांड मिली हों और उसने उसे रोवर को भेजा हो, लेकिन धरती तक कम्युनिकेट नहीं कर पाया हो."
ये डिस्कवरी पहले क्यों नहीं हो पाई? इस सवाल का जवाब देने की कोशिश करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि चांद के साउथ पोल पर हमेशा अच्छी रोशनी नहीं रहती है और क्योंकि ‘लैंडर सतह से 2 मीटर नीचे एक गड्ढे में है’, वो 11 नवंबर 2019 को NASA के फ्लाईबाई में दिखाई नहीं दिया होगा.
सुब्रमण्यम ने कहा, "एंगल ऑफ इंसीडेंस अलग होने की वजह से किसी के लिए भी उसे ढूंढना मुश्किल है, जब तक कि सूरज सतह के ठीक ऊपर न हो."
ISRO ने क्या कहा है?
ISRO के चेयरमैन के सिवन ने न्यूज एजेंसी IANS से कहा, "हमें सुब्रमण्यम ने जानकारी दी है. हमारे एक्सपर्ट्स इसका आकलन कर रहे हैं."
लैंडर क्षतिग्रस्त क्यों हुआ था?
पिछले साल 6 सितंबर को चंद्रयान 2 ऑर्बिटर से लॉन्च होने के बाद विक्रम लैंडर का ISRO से संपर्क टूट गया था. लैंडर चांद के साउथ पोल के पास सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश कर रहा था.
22 जुलाई 2019 को 'बाहुबली' नाम का GSLV रॉकेट आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से उड़ा था. ये रॉकेट अपने साथ चंद्रयान 2 ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ले गया था.
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