छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा बॉर्डर पर हुए नक्सली हमले को लेकर प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) ने बयान जारी कर हमले की जिम्मेदारी ली है. नक्सलियों ने बयान में CRPF का लापता जवान अपने कब्जे में होने का दावा किया है. बयान में नक्सलियों ने राज्य सरकार से मध्यस्थों की मांग की है और कहा है कि इसके बाद ही वो जवान को छोड़ेंगे.
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस बयान के असली होने की पुष्टि की है.
दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प की तरफ से ये बयान जारी किया गया है. इसमें दावा किया गया है कि 3 अप्रैल को करीब 2000 सुरक्षाबलों ने नक्सलियों पर हमला किया. बयान में दावा किया गया है कि इस हमले में 24 सुरक्षाबलों की मौत हो गई और 4 नक्सलियों की जान गई.
नक्सलियों ने हमले के बाद पुलिस के 14 हथियार और 2000 से ज्यादा कारतूस भी जब्त किए.
बस्तर आईजी, पी सुरंदराज ने कहा कि कोबरा जवान, राकेश्वर सिंह मानहंस नक्सलियों के कब्जे में हैं, उन्हें ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है.
नक्सलियों की मांग- मध्यस्थों के नाम जाहिर करे सरकार
नक्सलियों ने कहा है कि वो मध्यस्थता के लिए तैयार है, लेकिन मांग रखी है कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम जाहिर करे.
बीजापुर-सुकमा हमले में 22 जवान शहीद
बीजापुर में 3 अप्रैल को सुरक्षा बल और नक्सलियों के बीच घंटों चली मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए. वहीं, करीब 30 जवान घायल हो गए हैं.
हमले के बाद से सवाल उठ रहे हैं कि पुलिस और सुरक्षाबलों की तरफ से इसमें चूक हुई, लेकिन CRPF डायरेक्टर-जनरल कुलदीप सिंह ने इंटेलीजेंस फेल होने की खबरों को नकारा है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 5 अप्रैल को छत्तीसगढ़ पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी.
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