पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि सरकार की तीन बड़ी गलतियों की वजह से अर्थव्यवस्था नियंत्रण से बाहर हो गई है. चिदंबरम के मुताबिक ये तीन गलतियां हैं- नोटबंदी, गड़बड़ियों वाला जीएसटी और बैंकिंग क्षेत्र पर दबाव.
चिदंबरम ने बुधवार को श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा, "सरकार ने तीन बड़ी गलतियां की हैं. नोटबंदी की ऐतिहासिक गलती, जल्दबाजी में गड़बड़ियों वाला (जीएसटी) लागू करना और बैंकिंग क्षेत्र पर दबाव बनाने जैसी गलतियों की वजह से आज हमारी अर्थव्यवस्था टूट रही है."
उन्होंने कहा, "देश एक बार फिर आर्थिक बढ़ोतरी की दृष्टि से 'उदासीन' साल की ओर बढ़ रहा है."
"हम लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ रहे हैं"
चिदंबरम ने ये भी कहा, "हम लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन अगर पश्चिम एशिया में कोई समस्या खड़ी हो जाती है या अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध छिड़ जाता है तो क्या हमारे पास उसके लिए 'प्लान बी' है?" उन्होंने कहा कि सरकार ने बाजार आधारित वृद्धि दर का 10 प्रतिशत का जो लक्ष्य रखा है, वह 'निराशावादी' है. वास्तविक वृद्धि दर हद से हद पांच प्रतिशत रहेगी.
पिछली छह तिमाहियों में ग्रोथ रेट घटा है. अगर सातवीं तिमाही में भी ऐसा होता है तो इसका मतलब होगा कि यह गिरावट बनी रहेगी. हम अब भी ऐसी सुरंग में हैं जहां रोशनी नहीं दिख रही है. हम सुरंग में ही हैं.पी चिदंबरम, पूर्व वित्त मंत्री
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह विपक्ष बता रहा है, जबकि इसका स्पष्टीरकरण सरकार की ओर से दिया जाना चाहिए. कई आर्थिक आंकड़े देते हुए चिदंबरम ने कहा कि ये लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था का संकेत देते हैं.
"अर्थव्यवस्था में तेजी लाने का बड़ा मौका गंवाया"
पी चिदंबरम ने निवेश ने बढ़ने एक वजह ये भी बताई कि सरकार ने जीएसटी में टैक्स कम करने की बयाए कंपनी टैक्स में कटौती की. उन्होंने कहा, "सरकार ने मांग में सुधार के लिए कंपनी कर में कटौती की है. कंपनी कर घटाने के बजाय यदि सरकार ने जीएसटी के मोर्चे पर राहत दी होती तो लाखों लोगों के हाथ में अधिक पैसा रहता जिससे निवेश बढ़ता.ठ
उन्होंने कहा कि लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा पहुंचाने का एक दूसरा ऑप्शन प्रधानमंत्री किसान योजना में और पैसा डालना हो सकता है. लेकिन दुर्भाग्य से सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए बजट में ऐसी योजनाओं के बजट में कटौती की है. चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने का एक बड़ा मौका गंवा दिया है.
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