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कानून मंत्री की मौजूदगी में CJI ने न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे पर जताई चिंता

न्यायपालिका में लोगों का विश्वास लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है- CJI रमना

Published
भारत
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भारत के चीफ जस्टिस एन वी रमना (CJI NV Ramana) ने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) की उपस्थिति में देश में न्याय से जुड़े बुनियादी ढांचे के बारे में अपनी चिंता जताई. बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के नए एनेक्स भवन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए उन्होंने कानून मंत्री से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया कि संसद के शीतकालीन सत्र में राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव लाया जाए.

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चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कार्यक्रम में कहा कि,

“भारत में अदालतों के लिए न्यायिक बुनियादी ढांचा को हमेशा कमतर आंका गया है . इसी मानसिकता के कारण भारत में अदालतें अभी भी कमजोर बुनियादी ढांचों के साथ काम करती हैं, जिससे प्रभावी ढंग से परफॉर्म करना मुश्किल हो जाता है”

46 प्रतिशत अदालतों में शुद्ध पानी की सुविधा नहीं है- CJI रमना

चीफ जस्टिस ने बताया कि केवल 5 प्रतिशत कोर्ट परिसरों में बेसिक चिकित्सा सहायता है 26 प्रतिशत कोर्ट में महिलाओं के लिए अलग शौचालय नहीं हैं.

“16 प्रतिशत कोर्ट में पुरुषों के लिए शौचालय तक नहीं है. लगभग 50 प्रतिशत कोर्ट परिसरों में लाइब्रेरी नहीं है और 46 प्रतिशत में शुद्ध पानी की सुविधा नहीं है”
CJI रमना

न्यायपालिका से जुड़े उचित बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि "यदि आप न्यायिक प्रणाली से अलग परिणाम चाहते हैं, तो हम इस वर्तमान स्थिति में काम करना जारी नहीं रख सकते."

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न्यायपालिका में लोगों का विश्वास लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है- CJI रमना

न्यायिक बुनियादी ढांचे से जुड़े अहम प्रस्ताव पर उन्होंने कहा, 'मैंने केंद्रीय कानून मंत्री को प्रस्ताव भेजा है. मैं जल्द ही सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद कर रहा हूं और केंद्रीय कानून मंत्री इस प्रक्रिया में तेजी लाएंगे.”

यह बताते हुए कि भारत में अदालतें संवैधानिक अधिकारों की गारंटी का आश्वासन देती हैं और लोगों को कार्यपालिका के कार्यों से बचाती हैं, CJI ने कहा,

“कई बार लोग अदालतों का रुख करने के इच्छुक नहीं होते हैं. लेकिन अब समय आ गया है कि हम इस धारणा को दूर करें. न्यायपालिका में लोगों का विश्वास लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है."

गौरतलब है कि यह दूसरी बार है जब चीफ जस्टिस ने कानून मंत्री के साथ मंच साझा करते हुए न्यायपालिका से जुड़े मुद्दे को उठाया है. पिछली बार हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों को सरकार से शीघ्र मंजूरी लेने के मुद्दे पर उन्होंने बात की थी.

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