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बाल विवाह से लड़कियों को बचाने की फेर में, असम सरकार लड़कियों पर कहर ढा रही है

हिमंता सरकार ने राज्य में पिछले दिनों 2,000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया.

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महीने भर पहले चांदनी खातून, असम के बक्सा जिले की 20 साल की महिला के घर नन्ही सी परी की किलकारियां गूंजी थीं. तब पूरे घर में खुशियों की बहार थी. उत्साह और उल्लास का माहौल था. उसके परिवार में उसका 23 साल का पति तबरेज आलम और उसके सास-ससुर हैं. लेकिन यह 3 फरवरी की रात से पहले का वक्त था. 3 फरवरी, शुक्रवार को तबरेज और उसके पिता को स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. यह गिरफ्तारी असम सरकार की उस ‘कार्रवाई’ का हिस्सा थी, जिसके तहत वह बाल विवाह में शामिल लोगों की धर पकड़ कर रही . चांदनी की शादी 2020 में हुई थी, तब वह 18 साल की भी नहीं हुई थी.

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चूंकि परिवार के दो कमाऊ सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया है, इसलिए चांदनी को बच्ची की देखभाल के लिए जूझना पड़ रहा है. शौहर और ससुर की गिरफ्तारी के बाद, चांदनी ने द क्विंट को बताया,

“हमारे पास बचत के नाम पर कुछ नहीं. मेरे शौहर और ससुर हर दिन सब्जी बेचते थे, और उसी से रोजाना हमारा घर चलता था. मैं नहीं जानती कि उनकी गिरफ्तारी के बाद हमारा गुजारा कैसे चलेगा.”

लेकिन गिरफ्तारियों को लेकर लोगों में गुस्सा है, वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि उन्हें “किसी से कोई सहानुभूति नहीं है.” उनका कहना है, “एक लड़की की शादी होने के बाद...मैं उसे रेप कहूंगा...क्या हमने यह सोच सकते हैं कि लड़कियों पर क्या गुजरती है? भविष्य में लाखों लड़कियों को इन हालात से बचाने के लिए, एक पीढ़ी को भुगतना होगा.”

लेकिन चांदनी जोर देकर कहती है कि तबरेज के साथ उसकी शादीशुदा जिंदगी बहुत ‘खूबसूरत’ थी. “मैं अपने शौहर से बहुत प्यार करती हूं. उसने मेरे साथ कभी बुरा बर्ताव नहीं किया, कभी बदसलूकी नहीं की या मेरे साथ किसी तरह की जोर-जबरदस्ती नहीं की. वह अक्सर मेरे लिए मिठाई खरीदता और शाम को घर लेकर आता, क्योंकि मुझे मिठाई बहुत पसंद है. मैं अपनी शादी से बहुत खुश हूं.” चांदनी बिहार के मोतिहारी की रहने वाली है. अपने छह भाई बहनों में सबसे बड़ी. उसकी तीन बहनें हैं. “मेरे अब्बू मजदूर हैं. हम सबको पालना उनके लिए बहुत मुश्किल था. शादी के बाद मेरी माली हालत काफी सुधरी है.”

चांदनी की तरह, असम की हजारों औरतों की जिंदगियां उलट-पुलट गई हैं. उनके पति, या माता-पिता, या ससुरालियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. दरअसल असम सरकार के कैबिनेट ने 23 जनवरी को यह फैसला किया कि बाल विवाह मे शामिल लोगों को पुलिस सामूहिक तौर से गिरफ्तार कर सकती है. इसके बाद गिरफ्तारी अभियान शुरू हो गया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों पर पॉक्सो एक्ट (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण एक्ट) के तहत आरोप लगाया जाएगा, जबकि 14 से 18 साल की किशोरियों से शादी करने वालों पर बाल विवाह निषेध एक्ट, 2006 के तहत आरोप लगाया जाएगा.

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पति से लेकर पिता, और ससुर- किसी को नहीं बख्शा गया

बाल विवाह पर कार्रवाई के तहत असम पुलिस ने 3 मार्च तक 94 महिलाओं सहित 3,163 लोगों को गिरफ्तार किया

इससे पहले प्रेस कांफ्रेंस में असम पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) जी.पी.सिंह ने कहा कि गिरफ्तार लोगों में बाल विवाह कराने वाले 52 पुजारी और काजी शामिल हैं. उन्होंने कहा, "ज्यादातर गिरफ्तारियां धुबरी, बारपेटा, कोकराझार और बिश्वनाथ जिलों में की गई हैं."

26 साल की स्वीटी नामशूद्र करीमगंज जिले की रहने वाली है. वह कहती है कि उसने अपने ससुर को जेल से निकालने की भागदौड़ में शुक्रवार को अपने दो महीने के बच्चे को खो दिया.

वह कहती है, पुलिस उसके पति आशीष नामशूद्र (33 वर्ष) को गिरफ्तार करने आई लेकिन उसकी गैर मौजूदगी में उसके ससुर दिगेंद्र नामशूद्र (62 वर्ष) को गिरफ्तार करके ले गई. स्वीटी के मुताबिक-

मेरे ससुर की तबीयत खराब है और मेरे पति की गैर मौजूदगी में मुझे कागजात लेकर राताबाड़ी पुलिस स्टेशन जाना पड़ा. उन कागजात को देखकर पुलिस ने मेरे ससुर को देर रात छोड़ दिया.”
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स्वीटी बताती है कि उसका 2 महीने का बच्चा सारा दिन उसके साथ रहा, जब वह अपने ससुर के लिए बेल का इंतजाम कर रही थी. क्योंकि उस समय घर पर कोई नहीं था, जिसके पास वह अपने बच्चे को छोड़कर जाती. जब वह घर लौटी तो उसे एहसास हुआ कि बच्चे को बुखार था.

“हमने घरेलू तरीकों से कोशिश की कि उसका बुखार उतर जाए. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. हम शुक्रवार को आधी रात को उसे लेकर अस्पताल गए, लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि उसकी मौत हो गई है.”

बक्सा की 21 साल की साजिदा का निकाह चार साल पहले स्थानीय मस्जिद में एक इमाम के साथ हुआ था. साजिदा ने अरबी भाषा में डिप्लोमा किया है. शुक्रवार रात को पुलिस उसके शौहर की तलाश करते हुए आई, लेकिन वह तबलीगी जमात के काम से बाहर गया हुआ था, तो पुलिस उसके ससुर के बारे में पूछने लगी. साजिदा ने बताया कि उसके ससुर का इंतकाल हो चुका है. इसके बाद पुलिस वाले साजिदा के मायके पहुंच गए

“उन्होंने मेरे अब्बू को गिरफ्तार कर लिया. वे लोग ऐसी कहानी बना रहे हैं जैसे मेरे अब्बू ने मुझ पर शादी का दबाव डाला था. लेकिन यह सच नहीं है. मैं अनपढ़ नहीं हूं. मैंने अरबी भाषा में डिप्लोमा किया हुआ है. मेरे पति धार्मिक आदमी हैं, पढ़े-लिखे हैं, इसीलिए मैंने उनके साथ निकाह के लिए अपनी रजामंदी दी.” साजिदा ने द क्विंट से कहा. उसका 8 महीने का एक बच्चा भी है.

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सुसाइड और खौफ

असम के दक्षिण-सलमारा मनकाचर जिले में एक विधवा के सुसाइड की भी खबरें आई हैं जिसके दो बच्चे थे और उसे डर था कि उसके माता-पिता को पुलिस गिरफ्तार कर लेगी.

फिर कछार जिले के ढोलाई में 16 साल की एक लड़की की सुसाइड से मौत हो गई. वह 21 साल के लड़के से प्रेम करती थी और दोनों की जल्द शादी होने वाली थी.

द क्विंट से उसकी मां, 45 साल की अलीमुन निसा ने कहा कि वह और उसके पति इस शादी के लिए राजी हो गए, क्योंकि उनकी बेटी ने शादी का पक्का इरादा किया हुआ था. उसने धमकी दी थी कि अगर हम नहीं माने तो वह घर से भाग जाएगी. यह असम सरकार के फैसले से पहले की बात थी.

अलीमुन निसा ने द क्विंट से कहा. लेकिन शुक्रवार को जब उनकी बेटी ने गिरफ्तारियों के बारे में पढ़ा, तो वह घबरा गई. “उसने सोशल मीडिया पर खबरें पढ़ीं और वह बहुत ज्यादा परेशान हो गई. उसने कहा कि अब वह अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ भागकर शादी भी नहीं कर सकती, क्योंकि तब वे लोग उसे गिरफ्तार कर लेंगे.”

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अलीमुन निसा बताती है कि शुक्रवार को उसकी बेटी ने दुल्हन के कपड़े पहने, कुछ तस्वीरें खींची और परिवार के सदस्यों से कहा कि वे “आगे के लिए” इन तस्वीरों को सेव कर लें. अगले दिन, शनिवार की दोपहर को करीब 3 बजे आस-पास के लोगों ने परिवार वालों को बताया कि उनकी बेटी का शव पास के पेड़ से लटका हुआ है.

अलीमुन निसा कहती हैं, “सरकार की कार्रवाई ने मेरी बेटी की जान ले ली. मुझे डर है कि यह कई कई लड़के और लड़कियों को मार डालेगी. यह सुनने में गलत लग सकता है, लेकिन इसमें और लोगों की भी जान जाएगी.”

हालांकि कछार जिले के सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस नुमल महत्ता दावा करते हैं कि यह सुसाइड बाल विवाह के खिलाफ हमारी पहल से जुड़ा हुआ नहीं है.

महत्ता ने द क्विंट से कहा, “इस मौत के पीछे कुछ व्यक्तिगत कारण हो सकते हैं. लड़की के शरीर को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.”

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दंडात्मक कार्रवाई से समाजिक समस्या का हल नहीं होता- एक्सपर्ट्स कहते हैं

असम में बाल विवाह बड़े पैमाने पर किए जाते हैं. 2019 और 2020 के बीच किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) के अनुसार, असम में 20-24 वर्ष की आयु की 31.8% महिलाओं की शादी 18 वर्ष की कानूनी उम्र से पहले हो गई थी, जो कि 23.3% के राष्ट्रीय आंकड़े भी ज्यादा है. राज्य में शिशु और मातृ मृत्यु दर भी काफी है. मुख्यमंत्री सरमा का कहना है कि इन्हीं आंकड़ों के चलते गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू किया गया.

हालांकि एक्सपर्ट्स इस बात से सहमत नहीं कि इस किस्म की दंडात्मक कार्रवाई से बाल विवाह को रोका जा सकता है, वह भी जोकि पहले से लागू की जा रही हो.

जैसा कि सोशल एक्टिविस्ट इनाक्षी गांगुली कहती हैं. इनाक्षी हक: सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स की संस्थापक हैं. उनके मुताबिक, “समाज में गहराई से मौजूद समस्याओं का हल, दंडात्मक कार्रवाई नही है.”

वह कहती हैं-

बाल विवाह को रोकने के लिए हमें कई उपाय करने होंगे. सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि लड़कियों की पहुंच स्कूलों तक हो, स्कूलों में वे सुरक्षित रहें, इन ल़ड़कियों को आर्थिक निर्वाह के लिए पर्याप्त अवसर मिलें, जिससे उनकी अपनी एजेंसी हो और वे फैसले लेने लायक बन सकें. इनमें से किसी भी समस्या को दंडात्मक कार्रवाई से हल नहीं किया जा सकता, जिसमें बाल विवाह के लिए पूर्वप्रभावी रूप से लोगों को सजा दी जा रही है. यानी सालों पहले जो लोग शादी कर चुके हैं, उन्हें भी सजा दी जा रही है.”
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अखिल बीटीसी अल्पसंख्यक विद्यार्थी संघ (एबीएमएसयू) के जनरल सेक्रेटरी और एक्टिविस्ट तैसन अहमद का कहना है कि कई एक्टिविस्ट ग्रुप्स सालों से जमीनी स्तर पर बाल विवाह की कुप्रथा को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. “लेकिन यह आसान नहीं, क्योंकि असम के सुदूर इलाकों में कई किलोमीटर तक कोई स्कूल नहीं है. कई इलाकों में हायर स्कूलिंग या कॉलेज मौजूद नहीं हैं. नतीजतन, लड़कियों को पढ़ाई पूरी करने से पहले ही स्कूल छोड़ना पड़ता है और इसके बाद शादी होने की कानूनी उम्र से पहले ही उनकी शादी कर दी जाती है. अब उनके परिवार के लोगों को गिरफ्तार करने से, उनके लिए हालात बदतर हो जाएंगे.”

फिर बाल विवाह सिर्फ असम की समस्या नहीं. 2022 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक जनसांख्यिकी सैंपल सर्वे किया था. उसमें कहा गया था कि देश में झारखंड और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा बाल विवाह होते हैं, किसी भी दूसरे राज्य से ज्यादा.

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