14 नवंबर को भारत में बाल दिवस (Children's Day) मनाया जाता है, आज के ही दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) की जयंती मनाई जाती है. ये दिन पूरी तरह बच्चों के लिए समर्पित है. बच्चे देश का भविष्य हैं, वे ऐसे बीज के समान हैं, जिन्हें दिया गया पोषण उनका विकास और गुणवत्ता निर्धारित करेगा, लेकिन कहीं-कहीं बच्चों की शुरुआती शिक्षा के साथ खिलवाड़ होता नजर आता है.
क्विंट की टीम उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 350 किमी दूर जनपद कासगंज की तहसील पटियाली की गंजडुंडवारा नगर पालिका क्षेत्र के सरकारी स्कूलों की हालत बेहद दयनीय नजर आती है. यहां सरकारी शिक्षा के वादे, इरादे और आंकड़े सभी धराशायी नजर आते हैं.
बाल विधार्थी कैसे होंगे शिक्षा में निपुण
बच्चों की शिक्षा के तमाम बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है. गंजडुंडवारा स्थित नगर पालिका क्षेत्र के थाना रोड स्थित परिषदीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कुल तीन कमरे हैं, जिसमे पांच स्कूलों की 23 कक्षाओं को संचालित किया जा रहा है. इसके अलावा सात आंगनबाड़ी केंद्र भी चल रहे हैं. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बाल विधार्थियों का मानसिक विकास कैसे सुदृढ़ हो पायेगा.
गंजडुंडवारा शहरी क्षेत्र में 1 कक्षा में चल रहे दो स्कूल
क्विंट की टीम सबसे पहले परिषदीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय थाना रोड पर पहुंची. इस स्कूल की स्थिति बेहद दयनीय अवस्था में नजर आई. यहां स्कूल परिसर में बने हुए तीन कमरों में करीब 320 छात्र-छात्राएं पढ़ने को मजबूर हैं.
ये बाल विधार्थी यहीं पर पढ़ते हैं. इस स्कूल का मुख्य परिसर परिषदीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय थाना रोड गंजडुंडवारा में स्थित है. इस पूरे स्कूल में प्राथमिक विद्यालय कादरगंज रोड और प्राइमरी स्कूल मोहल्ला घासी के छात्र एक साथ कमरा नंबर एक में बैठते हैं.
इस कमरे में बैठकर पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 100 के करीब है. यहां कक्षा 1 से लेकर के 5वीं तक की पढ़ाई होती है. वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय प्राथमिक विद्यालय गांधी रोड और प्राथमिक विद्यालय गांधी रोड के दो स्कूल एक कमरे में चलते हैं, वहीं इस कमरे में बैठने वाले छात्रों की संख्या 120 के आसपास में है. ये छात्र भी कक्षा 1 से लेकर 5 वीं तक की पढ़ाई करते हैं. आखिरी और अंतिम कमरे में परिषदीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय के छात्रों की संख्या 95 के करीब है. ये सभी पढ़ने वाले छात्र कक्षा 6, 7 और 8 के छात्र हैं.
आंगनबाड़ी केंद्र की हालत दयनीय
इसी स्कूल के अंदर 7 आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित किए जाते हैं. कंडम पड़ी हुई टीन शेड और मिट्टी में ये आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिनमें बच्चे बैठते हैं. यहां गांधी रोड के दो आंगनबाड़ी केंद्र, थाना रोड के तीन आंगनबाड़ी केंद्र और सुदामा पुरी के 2 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जाते हैं, जहां पर शुरुआती मानसिक विकास के लिए कुल 280 बच्चे पढ़ते हैं.
मैं इस विद्यालय का कक्षा 6 का छात्र हूं. हमारे स्कूल में कुल पांचवीं कक्षा तक के बच्चे पढ़ने आते हैं. एक ही क्लास में हम सभी 6, 7 और आठ के बच्चे पढ़ते हैं. सर जी पढ़ाने आते हैं और सभी लोग एक ही पाठ पढ़ते हैं.सरवर अली (बदला हुआ नाम), कक्षा 6
320 छात्रों को पढ़ाने के लिए 4 टीचर
इस स्कूल में 320 बच्चों को पढ़ाने के लिए कुल 4 शिक्षकों की नियुक्ति है, जिसमें दो हेडमास्टर और दो शिक्षा मित्र हैं.
जब एक-एक कक्षा में दो-दो विद्यालयों के कक्षाएं एक साथ चलेंगी, तो बच्चों की पढ़ाई तो प्रभावित होगी ही. ये स्कूल पहले अलग-अलग जगहों पर चलते थे, लेकिन वहां की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी थी, इसीलिए इन छात्रों को हमारे यहां शिक्षा दी जाती है.निसार अहमद, प्रधान अध्यापक, प्राथमिक विद्यालय गंजडुंडवारा
स्थानीय नगर पालिका गंजडुंडवारा के वॉर्ड नंबर 18 के सभासद शाहिद ने बताया कि यहां पर संचालित एक स्कूल के कैंपस में पांच स्कूल चल रहे हैं. ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. अब इन बच्चों का कैसे विकास होगा. इस पर शासन और प्रशासन को ध्यान देना चाहिए.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष अब्दुल हफीज गांधी ने बताया कि बच्चे हमारे देश के भविष्य होते हैं, जब बच्चों की शुरुआती शिक्षा दीक्षा मजबूत नहीं होगी तो हमारे देश का भविष्य कैसे मजबूत होगा. बच्चे देश का भविष्य होते हैं.
जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के शिकार नौनिहाल
यहां के रहने वाले जनप्रतिनिधियों ने इन बच्चों के भविष्य को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया है. यहां के सांसद राजवीर सिंह उत्तर प्रदेश के राज्य शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के पिता हैं. पूर्व क्षेत्रीय विधायकों ने भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. यहां के चेयरमैन भी छात्रों के भविष्य को लेकर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.
कासगंज के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि गंजडुंडवारा क्षेत्र में सभी बच्चों को पढ़ाया जाता है. शासन की मंशा के मुताबिक मिड डे मील का वितरण किया जाता है. ये मामला संज्ञान में है, लेकिन सरकारी स्कूल की बिल्डिंग नहीं है, इसलिए एक स्कूल में छात्रों को पढ़ाया जाता है.
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