थल सेना अध्यक्ष जनरल मनोज पांडे (Manoj Pandey) ने शुक्रवार, 29 सितंबर को कहा, "जब भारत और चीन (India-China) के बीच अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध शुरू हुआ तो भारत दृढ़ता से चीन के सामने खड़ा था और दुनिया ने हमारे राजनीतिक और सैन्य संकल्प को देखा."
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) के 118वें वार्षिक सत्र में बोलते हुए, जनरल मनोज पांडे ने कहा, चीन के द्वारा अपने क्षेत्र के बाहर भी ताकत दिखाने की कोशिशों से उसकी लड़ाकू प्रवृत्ति स्पष्ट है. उन्होंने कहा कि...
"चीन के इरादे हिंसक हैं और ये नियमों पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरा है. हालांकि, कई देशों को अब चीन के "हिंसक आर्थिक लक्ष्यों" का एहसास हो रहा है."
"चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत से चुनौती बढ़ी"
PHDCCI कार्यक्रम में सेना प्रमुख ने कहा कि अपनी आर्थिक ताकत के साथ, चीन भू-राजनीतिक और व्यापार गतिविधियों को zero-sum games (एक के नुकसान से दूसरे का फायदा) के रूप में देख रहा है. उन्होंने पाकिस्तान और चीन का जिक्र करते हुए कहा,
"लंबे समय से चले आ रही अस्थिर सीमाओं की चुनौतियां हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है. साथ ही हमारे पश्चिमी और उत्तरी विरोधियों यानी चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत से ये चुनौतियां और बढ़ गई हैं."
उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि सीमा प्रबंधन में कमजोरियां बड़े संघर्ष का कारण बन सकती हैं.
जनरल पांडे ने कहा, "युद्ध के तरीकों में बदलाव आया है. हानिकारक टेक्नोलॉजी ने पुराने तरीकों को बदल दिया है. बंदूक और टैंक जैसे हथियारों की भी सटीकता और क्षमता में काफी वृद्धि हुई है."
जनरल मनोज पांडे ने विदेश नीति की तारीफ करते हुए कहा,
"भारत की विदेश नीति और कूटनीति देश के हितों को आगे बढ़ाने और सुरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है."
बता दें, इस साल मार्च में पुणे के एक कार्यक्रम में जनरल पांडे ने कहा था कि "चीन सीमा पर मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल का उल्लंघन भारत के लिए चिंता का विषय है."
सेना प्रमुख की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब पूर्वी लद्दाख के इलाके में दोनों ही देशों की तरफ से स्थिती में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है और न ही तनाव कम हुआ है.
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