विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) ने बुधवार 27 अक्टूबर को कहा कि, चीन (China) द्वारा नया 'भूमि सीमा कानून' (Land Boundary Law) बनाया गया है, जिसकी वजह से बॉर्डर मैनेजमेंट पर मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों पर प्रभाव पड़ सकता है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान में कहा कि सीमा प्रश्न भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकि दोनों देशों के बीच यह एक अनसुलझा मुद्दा है.
इस तरह के एकतरफा कदम का उन व्यवस्थाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा जो दोनों पक्ष पहले ही हल कर चुके हैं, चाहे वह सीमा के सवाल पर हो या भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए.अरिंदम बागची, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कानून लाने का चीन का एकतरफा निर्णय, सीमा प्रबंधन के साथ-साथ सीमा प्रश्न पर हमारी मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्था पर प्रभाव डाल सकता है. यह हमारे लिए एक चिंता का विषय है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष समान स्तर पर परामर्श के माध्यम से सीमा प्रश्न के निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार किए गए समाधान की तलाश करने पर सहमत हुए हैं. हमने अंतरिम में एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए कई द्विपक्षीय समझौते, प्रोटोकॉल और व्यवस्थाओं पर काम किया है.
चीन का प्रयास सीमावर्ती इलाकों में दखल बढ़ाना
बागची ने आगे कहा कि, चीन के इस नए कानून का पारित होना हमारे विचार में 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते को कोई वैधता प्रदान नहीं करता है, जिसे भारत सरकार ने लगातार बनाए रखा है. यह एक अवैध और अमानवीय समझौता है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक नए कानून के साथ चीन अपने सीमावर्ती इलाकों में अपनी दखल बढ़ाने के प्रयास कर रहा है और वहां पर आम लोगों को बसाने की तैयारी भी कर रहा है. इसके बाद वहां के इलाकों में किसी भी दूसरे देश के लिए सैन्य कार्रवाही और मुश्किल हो सकती है.
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