केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने 6 राष्ट्रीय दलों के टॉप लीडर- राजनाथ सिंह, मायावती, सोनिया गांधी, प्रकाश करात, शरद पवार और सुधाकर रेड्डी के नाम से नए सिरे से नोटिस जारी किया है.
आरटीआई के सवालों का जवाब नहीं देने पर इन नेताओं को आयोग के सामने पेश होने को कहा गया है.
नेताओं के नामों से नोटिस तब जारी किए गए, जब शिकायती आरके जैन ने आरोप लगाया कि सीआईसी के रजिस्ट्रार ने 6 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों- बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, एनसीपी, सीपीआई और सीपीएम के खिलाफ उनकी शिकायतों से निपटने में दोहरे मानदंड अपनाए. केवल सोनिया गांधी के नाम से नोटिस भेजा गया, जबकि अन्य नोटिस पार्टी प्रमुखों को भेजे गए.
अब इन नेताओं से 22 जुलाई को आयोग की फुल बेंच के सामने हाजिर होने को कहा गया है. इस बेंच में सूचना आयुक्त बिमल जुल्का, श्रीधर आचार्युलू और सुधीर भार्गव होंगे, जो जैन की याचिका पर सुनवाई करेगी.
क्या है पूरा मामला?
सीआईसी ने 2013 में आरटीआई कानून के तहत इन पार्टियों को जवाबदेह घोषित किया था, जिसके बाद आरके जैन ने फरवरी, 2014 में कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों को आरटीआई अर्जी भेजकर उनके चंदे, आंतरिक चुनावों आदि की जानकारी मांगी थी. उनसे कोई जवाब नहीं मिलने पर सीआईसी में शिकायत दाखिल की थी.
जैन ने सीआईसी के रजिस्ट्रार एमके शर्मा के खिलाफ मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर को भेजी अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि शर्मा ने सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नाम से नोटिस भेजा, वहीं राजनाथ सिंह, प्रकाश करात, शरद पवार, मायावती और एस सुधाकर रेड्डी के नाम हटा दिए गए, जबकि शिकायतों में उनके नाम साफ तौर पर लिखे थे. इस तरह दोहरा मानदंड अपनाया गया.
जैन ने उदाहरण देते हुए आरोप लगाया कि उनकी शिकायत में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह का नाम साफ तौर पर अंकित था, जबकि रजिस्ट्रार ने मौजूदा नोटिस बीजेपी अध्यक्ष लिखकर भेजा. उन्होंने आरोप लगाया कि फिलहाल अमित शाह बीजेपी अध्यक्ष हैं, इस तरह राजनाथ सिंह को एमके शर्मा ने गैरकानूनी तरीके से और परोक्ष रूप से छोड़ दिया.
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