सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लंबित मामलों और सुनवाई टलने पर भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने चिंता जताई है. शुक्रवार, 3 नवंबर को उन्होंने बार सदस्यों से अपील करते हुए कहा कि जब तक जरूरी न हो, तब तक सुनवाई टालने की मांग न करें. उन्होंने एक महीने में 3,688 स्थगन पर चिंता जताई है.
"SC तारीख पे तारीख वाली अदालत नहीं बन सकता"
सुप्रीम कोर्ट में स्थगन की मांग के कारण होने वाली देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए सीजेआई ने कहा कि यह "अदालत तारीक पे तारीख " देने वाला नहीं बन सकता. सीजेआई ने कहा कि इससे हमारी अदालत पर नागरिकों का भरोसा खत्म होता है.
उन्होंने बार के सदस्यों से अनुरोध किया कि वे तब तक स्थगन पर्ची दाखिल न करें, जब तक कि "बहुत आवश्यक न हो."
यह कहते हुए कि वह व्यक्तिगत रूप से मामलों की पहली सुनवाई के दाखिलों की निगरानी कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अवधि कम से कम हो.
सीजेआई ने कहा कि आज ही यानी 3 नवंबर को 178 मामलों की सुनवाई टालने की मांग की गई. औसतन हर रोज 154 केस एडजर्न होते हैं.
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सितंबर से अक्टूबर तक 3,688 बार कोर्ट में सुनवाई टालने की मांग की गई.
सीजेआई ने आगे कहा कि, एक तरफ मामलों को त्वरित आधार पर सूचीबद्ध किया जाता है, दूसरी तरफ उनका उल्लेख किया जाता है, फिर सूचीबद्ध किया जाता है और फिर उन्हें स्थगित कर दिया जाता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सुनवाई आगे बढ़ाने से मामलों पर जल्दी सुनवाई करने का उद्देश्य विफल हो जाता है.
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