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CJI को क्लीन चिट से शिकायतकर्ता महिला आहत, लगाया अन्याय का आरोप

तीन जजों की आंतरिक समिति ने सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में उन्हें क्लीन चिट दी है

Published
भारत
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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के मामले में तीन जजों की आतंरिक समिति की ओर से क्लीन चिट दिए जाने पर शिकायतकर्ता महिला ने नाराजगी जताई है. महिला ने कहा है कि जांच समिति के फैसले से वह बेहद निराश है. महिला ने जांच समिति पर उसके साथ अन्याय करने का आरोप लगाया है.

शिकायतकर्ता महिला ने प्रेस नोट जारी कर पूरे मामले पर प्रतिक्रिया दी है. महिला ने कहा है कि तमाम तथ्यों और सबूतों को पेश करने के बावजूद जांच समिति ने आरोपों को निराधार करार दे दिया. महिला का कहना है कि उसके साथ घोर अन्याय हुआ है.

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शिकायतकर्ता महिला ने कहा-

मुझे शुरुआत से ही इस बात की आशंका थी कि जिस तरह से कार्यवाही चल रही है उससे न्याय मिलने की उम्मीद कम है. आंतरिक जांच समिति के फैसले के बाद अब यह साफ हो गया है कि मेरा अंदेशा सही था. सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने की मेरी उम्मीदों पर पानी फिर गया है.

शिकायर्ता महिला ने प्रेस नोट में कहा है, ‘आंतरिक जांच समिति ने यह भी कहा है कि मुझे रिपोर्ट की कॉपी नहीं दी जाएगी. ऐसे में मुझे कैसे पता चलेगा कि किन वजहों से मेरी शिकायतों को खारिज कर दिया गया.’

महिला का कहना है कि उसे किसी तरह की कोई सुरक्षा नहीं दी गई. उसका परिवार खतरे में है.

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CJI गोगोई को यौन उत्पीड़न मामले में क्लीन चिट

सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त तीन जजों की आंतरिक समिति ने सोमवार को सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में उन्हें क्लीन चिट दे दी. तीन जजों की आंतरिक समिति सीजेआई के खिलाफ मामले की जांच कर रही थी.

सुप्रीम कोर्ट ने जारी बयान में कहा है कि आंतरिक समिति ने पाया है कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी द्वारा 19 अप्रैल, 2019 को की गई शिकायत में कोई दम नहीं है.

आंतरिक समिति में न्यायमूर्ति एस.ए.बोबडे, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शामिल हैं. बोबडे सुप्रीम कोर्ट में दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं.

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पिछले हफ्ते महिला ने प्रेस नोट जारी कर क्या कहा था?

सीजेआई रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मी ने मामले में जांच कर रही आंतरिक समिति के माहौल को ‘बहुत डरावना’ बताया था. शिकायतकर्ता ने बीते हफ्ते प्रेस नोट जारी कर अपने वकील की मौजूदगी की अनुमति नहीं दिए जाने समेत कई आपत्तियां जताई थीं और समिति के सामने पेश नहीं होने का फैसला लिया था.

शिकायतकर्ता महिला ने कहा था कि उसे अपनी सुरक्षा की भी फिक्र है क्योंकि कार्यवाही से लौटते वक्त दो से चार लोगों ने उसका पीछा किया था.

जस्टिस एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति के सामने तीन दिन तक कार्यवाही में भाग लेने के बाद महिला ने आशंका जताई थी कि उसे समिति से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है. महिला ने कहा था कि समिति ने न केवल कार्यवाही के दौरान उसकी वकील वृंदा ग्रोवर की मौजूदगी के अनुरोध को खारिज कर दिया बल्कि उसे यह भी कहा कि अगर वह भाग नहीं लेगी तो वह एकपक्षीय कार्यवाही करेगी.

पूर्व कर्मचारी ने कहा कि समिति ने बिना वीडियो या ऑडियो रिकार्डिंग के कार्यवाही संचालित की. समिति में शीर्ष अदालत की दो महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी शामिल हैं. महिला ने कहा कि उसे 26 से 29 अप्रैल को दर्ज किये गये उसके बयान की प्रति भी नहीं दी गयी.

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