भारत (India) के चीफ जस्टिस एनवी रमना (NV Raman) ने शनिवार को कहा है कि अदालतों में क्षेत्रीय भाषाओं के कार्यान्वयन में बहुत सारी अड़चनें हैं. उन्होंने पूरे रिकॉर्ड को अंग्रेजी से स्थानीय भाषा में और इसके विपरीत अनुवाद करने के लिए टेक्नोलॉजी की कमी को जिम्मेदार बताया.
CJI ने कहा, यह एक बहुत गंभीर मुद्दा है. समस्या यह है कि क्षेत्रीय भाषाओं के कार्यान्वयन की मांग की गई है, खासकर अब तमिलनाडु में ... पहले, एक अनुरोध आया था जब मैं सुप्रीम कोर्ट में शामिल हुआ था जिसे सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण अदालत ने खारिज कर दिया था. उसके बाद कोई प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं आया है
उन्होंने आगे कहा, उच्च न्यायालयों में क्षेत्रीय भाषाओं के कार्यान्वयन में बहुत सारी बाधाएं हैं. एक कारण यह है कि कभी-कभी कुछ न्यायाधीश स्थानीय भाषा से परिचित नहीं होते हैं. उन्होंने बताया कि हमारे पास इतनी तकनीक/प्रणालियां नहीं हैं जहां हमें पूरे रिकॉर्ड का स्थानीय भाषा या स्थानीय भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद करना पड़ता है. कुछ हद तक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक रास्ता है. हमने कोशिश की. कुछ हद तक, यह अमल में लाया गया.
इस बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि, यह मामला कई चरणों में चर्चा में आया. हम न्यायपालिका में स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देने में बहुत सकारात्मक सोच रखते हैं...यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके लिए न्यायपालिका के साथ व्यापक परामर्श की आवश्यकता है.
इससे पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अदालतों को स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए.
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