देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना ने दिवंगत प्रख्यात कानूनविद सोली सोराबजी (Soli Sorabjee) को याद किया है. सोराबजी के साथ अपनी एक मुलाकात का जिक्र करते हुए CJI रमना ने कहा कि मुझे ऐसा लगा था सामने 'देवदूत' हो. CJI ने कहा, "सोली सोराबजी ने देश के न्यायशास्त्र को संवारने में मुख्य भूमिका निभाई थी. "
CJI ने कहा कि मौलिक अधिकारों और आजादी के संवैधानिक मूल्यों को सहेजना ही सोराबजी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
सोली सोराबजी के लिए एक स्मरण कार्यक्रम में CJI रमना ने कहा कि वो 'कोर्टरूम जीनियस होने के अलावा दया, नम्रता, ईमानदारी और अनुकंपा के प्रतीक थे.' CJI ने कहा कि सोराबजी की असमय मृत्यु 'चौंकाने' वाली थी.
'ऐसा लगा देवदूत देख लिया'
CJI रमना ने कहा, "सोली सोराबजी ने जिंदगी अपनी शर्तों पर जी और ऊर्जा के साथ कई जुनून के पीछे लगे रहे. वो कई लोगों पर अमिट छाप छोड़ गए हैं."
CJI ने अपने वकालत के दिनों का एक वाकया याद करते हुए बताया कि उन्हें सोराबजी की प्रतिभा देखने का मौका मिला था.
“मैं 1988 में सोराबजी से उस समय के मेरे राज्य के मुख्यमंत्री से संबंधित एक मामले में मिला था. उन्हें ब्रीफ देना शुरू करने से पहले मुझे महसूस हुआ कि उन्होंने पूरी फाइल पढ़ रखी है और केस की जानकारी उन्हें मालूम थी. ब्रीफिंग 5 मिनट चली, जिसमें सोली ने मुझसे केवल दो सवाल पूछे. मैं हैरान था कि सुनवाई में वही दो सवाल बेंच ने सोली से पूछे. मुझे लगा कि मैंने किसी देवदूत को देख लिया हो.”CJI एनवी रमना
CJI ने कहा कि सोली सोराबजी का संवैधानिक आदर्शों में अटूट विश्वास था, खासकर बोलने की आजादी और मानवाधिकारों से संबंधित. CJI रमना ने कहा, "वो इमरजेंसी के समय भी नागरिक स्वतंत्रताओं के रक्षक बने रहे. उन्होंने कई प्रतिष्ठित मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने न सिर्फ अपने लिए बल्कि संस्था के लिए आदर और शोभा कमाई."
पूर्व अटॉर्नी जनरल और अभिव्यक्ति की आजादी और मानवाधिकार के प्रहरी पद्म विभूषण सोली सोराबजी का 30 अप्रैल की सुबह कोविड के कारण 91 साल की उम्र में निधन हो गया था.
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