भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना (CJI NV Ramana) ने 1975 में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को रद्द करने के फैसले को साहसिक बताया है.
प्रयागराज में उत्तर प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक नए भवन परिसर की नींव रखने के लिए समारोह में बोलते हुए, CJI ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के लंबे इतिहास को याद किया.
उन्होंने कहा, "1975 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा थे. जब उन्होंने श्रीमती इंदिरा गांधी के चुनाव को अयोग्य घोषित किया, तो पूरा देश हिल गया. यह बड़े साहस का फैसला था. इस फैसले का सीधा नतीजा आपातकाल की घोषणा के रूप में हुआ."
फैसले में 12 जून 1975 को अदालत ने इन्दिरा गांधी को चुनावी कदाचार का दोषी पाया और रायबरेली से उनके चुनाव को रद्द कर दिया था. इसके अलावा उन्हें छह साल के लिए निर्वाचित पद पर रहने से रोक दिया गया था. इसके एक पखवाड़े बाद आपातकाल घोषित कर दिया गया.
CJI ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बड़ी संख्या में लंबित आपराधिक मामलों की को भी चिंताजनक बताया. उन्होंने बार और बेंच से इस मुद्दे को हल करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया.
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