देश के चीफ जस्टिस एनवी रमना (NV Ramana) ने कस्टोडियल टॉर्चर और अन्य पुलिस बर्बरताओं को मानवाधिकारों (human rights) के लिए खतरा बताया है. 8 अगस्त को एक कार्यक्रम में CJI रमना ने कहा कि 'मानवाधिकारों और शारीरिक अखंडता को सबसे ज्यादा खतरा पुलिस स्टेशनों में होता है.' CJI ने मानवाधिकारों और गरिमा के उल्लंघनों के मुद्दे पर बात की और दोनों पहलुओं को 'पवित्र' बताया.
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि कस्टोडियल टॉर्चर और अन्य पुलिस बर्बरता उन समस्याओं में से हैं, जो आज भी समाज में मौजूद हैं.
नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) के एक कार्यक्रम में संबोधन के दौरान CJI ने कहा, "संवैधानिक घोषणाओं और गारंटी के बावजूद पुलिस स्टेशनों में कानूनी प्रतिनिधित्व की कमी गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए व्यक्ति के लिए बड़ी हानि होता है."
"इन शुरुआती घंटों में लिए गए फैसले तय करते हैं कि आरोपी बाद में खुद का कितना बचाव कर पाता है. हाल की रिपोर्ट्स देखें तो पता चलेगा कि विशेषाधिकार प्राप्त लोग भी थर्ड-डिग्री से नहीं बच पाए हैं."CJI एनवी रमना
'कानूनी मदद की जानकारी जरूरी'
CJI रमना ने कहा कि पुलिस की 'ज्यादतियों' को नियंत्रण में रखने के लिए कानूनी मदद के संवैधानिक अधिकार और मुफ्त कानूनी मदद की जानकारी लोगों तक पहुंचाना जरूरी है. उन्होंने कहा, "हर पुलिस स्टेशन/जेल में डिस्प्ले बोर्ड और आउटडोर होर्डिंग लगाना इस दिशा में पहला कदम होगा."
"जरूरतमंदों को मुफ्त कानूनी मदद देने की धारणा की जड़ें आजादी के आंदोलन में हैं. उन दिनों में बड़ी कानूनी शख्सियतों ने स्वतंत्रता सेनानियों के केस मुफ्त में लड़े थे. सेवा की इस भावना का प्रतिबिंब संविधान में दिखता है. वहीं कानूनी शख्सियतें संविधान सभा की सदस्य भी रहीं."CJI एनवी रमना
'न्याय तक सभी की पहुंच हों'
CJI रमना ने 'न्याय तक सभी की पहुंच' के लिए काम करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "ये जरूरी है कि हम कानून के शासन के अधीन रहने वाला समाज बने रहें."
"अगर हम ऐसा समाज बने रहना चाहते हैं तो विशेषाधिकार प्राप्त और सबसे कमजोर के बीच न्याय तक पहुंच की जो खाई है, उसे पाटना पड़ेगा. आने वाले समय के लिए याद रखना चाहिए कि हमारे देश की सामाजिक-आर्थिक विविधता किसी के अधिकार हनन की वजह नहीं बननी चाहिए."CJI एनवी रमना
CJI रमना ने कहा कि हमारे इतिहास को हमारा भविष्य नहीं तय करना चाहिए. CJI ने ऐसे भविष्य की कल्पना की जहां 'समानता ही सच्चाई' हो.
CJI रमना ने कहा, "अगर एक संस्था के तौर पर न्यायपालिका नागरिकों का विश्वास पाना चाहती है तो हमें हर किसी को आश्वासन देना होगा कि हम उनके लिए मौजूद हैं. सबसे लंबे समय तक सबसे कमजोर आबादी न्याय की व्यवस्था के बाहर रही है."
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