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अयोध्या केस: CJI ने बेंच में 2 नए जजों को किया शामिल, 29 को सुनवाई

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने अयोध्या की सुनवाई वाली बेंच में दो जजों को किया शामिल

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अयोध्या की राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने जजों की बेंच में दो नए नाम जोड़ दिए हैं. सीजेआई की तरफ से जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर को बेंच में शामिल किया है. इस केस की सुनवाई अब 29 जनवरी को होगी.

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टल गई थी सुनवाई

इससे पहले अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ गठित की गई थी. जिसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस SA बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एनवी रमाना शामिल थे. 5 जजों की पीठ को इस मामले की सुनवाई 10 जनवरी को करनी थी. लेकिन इससे पहले ही जस्टिस यूयू ललित ने इस कमिटी से अपना नाम वापस ले लिया. जिसके बाद इस सुनवाई को टालना पड़ा.

कोर्ट की परंपरा के तहत, एक छोटी बेंच कानूनी मुद्दों को फ्रेम करती है और अगर उसे लगता है कि मामला गंभीर है तो इसे विचार के लिए एक बड़ी बेंच के पास भेजती है, इसीलिए इसके लिए पांच जजों की बेंच बनाई गई थी

क्या हुआ था विवाद

मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश हुए वकील राजीव धवन ने कहा कि जस्टिस यूयू ललित साल 1994 में कल्याण सिंह के वकील रहे हैं. धवन ने कहा कि वह यूयू ललित के नाम पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, कोर्ट को सिर्फ तथ्य बता रहे हैं. राजीव धवन की आपत्ति के बाद जस्टिस यूयू ललित संविधान बेंच से खुद हट गए.

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क्या है पूरा मामला?

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मुख्य मामले में 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था. इस आदेश को सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को 'अजीब और आश्चर्यजनक' करार देते हुए 9 मई, 2011 को उस पर रोक लगा दी थी.

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