ADVERTISEMENTREMOVE AD

RTI के कारण लगता है डर का माहौल बन गया- चीफ जस्टिस बोबड़े

जस्टिस बोबड़े ने पूछा- क्या आरटीआई फाइल करना व्यवसाय बन गया है?

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

सूचना के अधिकार कानून पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा है कि RTI कानून की वजह से डर का माहौल है और नौकरशाह इसकी वजह से फैसले नहीं ले रहे. चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि हम आरटीआई के खिलाफ नहीं हैं लेकिन सूचना देने के लिए कुछ गाइडलाइंस और सुरक्षात्मक उपाय लाए जाने चाहिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर को कहा है कि सूचना के अधिकार कानून की वजह से डर का माहौल और गतिहीनता है.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि हम कोर्ट सूचना के अधिकार कानून के खिलाफ नहीं है लेकिन सूचना देने को लेकर कुछ नियम कायदे होने चाहिए. इस कानून के चलते कुछ विपरीत प्रभाव भी पड़े हैं, जिससे नौकरशाहों को फैसले लेने में डर लगता है.

RIT एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज की याचिका पर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने जिरह करते हुए कोर्ट से कहा- ऐसे अधिकारी जिन्होंने कुछ गलत नहीं किया उनको डरने की जरूरत नहीं है.

कोर्ट ने कहा है कि ये देखा जा रहा है कि लोग खुद को आरटीआई एक्टिविस्ट बताने लगे हैं.

जस्टिस बोबड़े ने पूछा- क्या आरटीआई फाइल करना व्यवसाय बन गया है?

आम तौर पर जिन लोगों का मसले से कोई लेना देना नहीं होता वो भी आरटीआई के तहत सूचना मांगते हैं और कई बार ये ब्लैकमेल (Criminal Intimidation) की वजह बनती हैं.

इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एके सीकरी और अब्दुल नजीर के बेंच ने चीफ इंफॉरमेशन कमिश्नर की नियुक्त में पारदर्शिता लाने को लेकर निर्देश जारी किए थे.

6 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एसए बोबड़े, अब्दुल नजीर और कृष्ण मुरारी की बेंच ने था केंद्र सरकार और आठ राज्य सरकारों से कहा था कि इंफॉर्मेशन कमिश्नर की वेकैंसी पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×