कुंभ वाले शहर प्रयागराज में योगी कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है कि उत्तर प्रदेश में उरी फिल्म को टैक्सफ्री कर दिया गया है.
इस कैबिनेट बैठक को लेकर बहुत माहौल बनाया गया और ऐसी अटकलें थीं कि राम मंदिर को लेकर इसमें कोई प्रस्ताव पारित किया जा सकता है. हालांकि इसमें फिल्म को टैक्सफ्री करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के अलावा मेरठ प्रयागराज हाइवे बनाने का फैसला भी किया गया है.
कुंभ के बहाने योगी सरकार, चुनावी मौसम में हिंदू मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में अब यूपी सरकार के मंत्रियों ने लखनऊ छोड़कर प्रयागराज कुंभ में कैबिनेट मीटिंग की.
उत्तराखंड बनने से पहले उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक कभी-कभी नैनीताल में होती थी. कुंभ में तो किसी भी सरकार की कैबिनेट बैठक का यह पहला मौका है.
कैबिनेट मीटिंग में योगी सरकार के फैसले
- फिल्म ‘उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक’ पर राज्य सरकार नहीं लगाएगी GST
- मेरठ से प्रयागराज तक बनेगा गंगा एक्सप्रेस-वे
- प्रयागराज को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाला 600 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे बनेगा
- ये एक्सप्रेसवे करीब 36 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार होगा
- छह लेन का गंगा एक्सप्रेस-वे मेरठ, अमरोहा, बुलन्दशहर, बदायूं, शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद, हरदोई, कन्नौज, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ होते हुए प्रयागराज तक आएगा
- सरकार के दावे के मुताबिक यह दुनिया का सबसे बड़ा हाईवे होगा
इसके अलावा में अयोध्या में गैर-विवादित भूमि को सौंपे जाने के लिए केंद्र के सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए जाने पर योगी आदित्यनाथ ने कहा, "हम इस कदम का स्वागत करते हैं..."
कैबिनेट मीटिंग के लिए VIP व्यवस्था
कुंभ में कैबिनेट मीटिंग के लिए भव्य तैयारियां की गई थीं. 8 हेलीकॉप्टर और 2 स्टेट प्लेन में सवार होकर सरकार के मंत्री प्रयागराज पहुंचें. संगम किनारे फाइव स्टार सुविधाओं वाले टेंट में मीटिंग आयोजित की गई.
बैठक में सरकार के 22 कैबिनेट मंत्री, 9 स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री और सभी राज्यमंत्री शामिल हुए. वहीं, बीजेपी से नाराज चल रहे कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समता पार्टी प्रमुख ओमप्रकाश राजभर बैठक में शामिल नहीं हुए.
बैठक को खास और ऐतिहासिक बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ पूरे मंत्रिमंडल ने गंगा-यमुना के पवित्र संगम में डुबकी लगाई. मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों ने 450 साल के बाद खोले गए अक्षयवट और पवित्र सरस्वती कूप के दर्शन भी किए.
संतों का आशीर्वाद लेने अखिलेश पहुंचे कुंभ
बीजेपी का खेल बिगाड़ने के लिए विरोधी भी तैयार बैठे हैं. कुंभ का क्रेडिट बीजेपी के खाते में ना चला जाय , इसके लिए प्रयागराज में दूसरी पार्टियों के नेता भी नजर आने लगे हैं. इन्हीं में से एक हैं समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव.
धर्म निरपेक्षता का डंका पीटने वाले अखिलेश यादव, दो दिन पहले ही 27 जनवरी को पूरे लाव लश्कर के साथ कुंभ पहुंचे. निरंजनी अखाड़े में साधु-संतों से आशीर्वाद लिया. संगम में स्नान किया और फोटो भी खिंचवाई.
प्रियंका और राहुल की भी चर्चा
कुंभ के सियासी संगम में डुबकी लगाने को लेकर कांग्रेसी भी बेताब दिख रहे हैं. संभावना जताई जा रही है कि आने वाले कुछ दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी यहां पहुंच सकते हैं. वैसे भी इन दिनों राहुल का हिंदुवादी चेहरा चर्चा का विषय है. राहुल के अलावा उनकी बहन प्रियंका गांधी भी साधु-संतों से आशीर्वाद लेने कुंभ पहुंच सकती हैं.
माना जा रहा है कि यूपी में अपनी नई पारी का आगाज करने से पहले प्रियंका कुंभ जा सकती हैं. इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कुंभ पहुंचे थे. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी संगम तट पर डुबकी लगा चुकी हैं.
जवाहर लाल नेहरू ने कुंभ को दिया था भव्य रुप
साल1954 में पहली बार कुंभ को भव्य रुप दिया गया. आजादी के बाद ये पहला कुंभ था,लिहाजा केंद्र की तत्कालीन नेहरु सरकार ने तैयारियों पर खूब खर्च किया था. कहा जाता है कि कुंभ के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने अधिकारियों को खास हिदायत दी थी. श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत ना हो, इसके लिए मुकम्मल इंतजाम किए गए थे. कुंभ से पहले तैयारियों का जायजा लेने के लिए जवाहर लाल नेहरु खुद इलाहाबाद पहुंचे थे. हालांकि उसी बार कुंभ कई परिवारों के लिए काल बन गया. शाही स्नान के दौरान मची भगदड़ में सैकड़ों लोग मर गए थे.
मोदी सरकार ने की कुंभ की ब्रांडिंग
मोदी और योगी सरकार ने कुंभ की जमकर ब्रांडिंग की है. सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनिया में कुंभ की नई तस्वीर दिखाई जा रही है. 70देशों के राजनयिकों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संगम किनारे पहुंचे थे. इसे कुंभ की ब्रांडिंग के तौर पर माना गया. ऐसा लग रहा कि योगी सरकार ने आस्था के इस मेले को इवेंट में तब्दील कर दिया है.
कुछ दिन पहले प्रवासी भारतीयों का रेला भी संगमतट पर पहुंचा था. सालों से कुंभ देख रहे लोग बताते हैं कि पहले भी संगम किनारे राजनेताओं का मजमा लगता था. राजनेता चुपके से आते थे और संगम में डुबकी लगाकर चले जाते थे. लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगती थी. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि कुंभ आस्था नहीं बल्कि सियासत का नया अड्डा बन चुका है. राजनेता ढ़िंढोरा पीटते हुए कुंभ आ रहे हैं. उनमें आस्था कम राजनीति ज्यादा नजर आ रही है.
नेताओं के दौरे ने नाराज हुए संत
हालांकि, कुंभ में नेताओं के ताबड़तोड़ दौरे से संत-समाज नाराज भी दिख रहे हैं. वीआईपी मूवमेंट की वजह से मेला क्षेत्र के रास्तों को बंद करना पड़ रहा है, इससे संतों के साथ श्रद्धालुओं को काफी तरह की परेशानी हो रही है.
प्रेमानंद गिरी ने कहा, ‘नेताओं के दौरे की वजह से आए दिन हमें परेशानी उठानी पड़ रही है. सुरक्षा की वजह से रास्तों को ब्लॉक कर दिया जा रहा है. बेहतर होता कुंभ के दौरान वीआईपी मूवमेंट कम होती.’
कुंभ आध्यात्म का स्थान नहीं रहा. पहले यहां पर लोग तपस्या करने आते थे. अपने पापों का प्रायश्चित करते थे. लेकिन अब ये पिकनिक स्पॉट बन गया है. अब तो इसे कुंभ मेला नाम दिया गया है. यहां कैबिनेट हो रही है. अब ये धार्मिक राजधानी नहीं रही,बल्कि राजनीति की राजधानी हो गई है.स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
वहीं, शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी सियासी नेताओं के कुंभ दौरे से नाराज हैं.
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