भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी ने कहा है कि इस मामले में जांच से पहले ही उनके चरित्र को नुकसान पहुंचाया गया.
शिकायतकर्ता महिला ने कहा, ‘’बिना किसी वजह के और मेरी बात सुने बिना ही मेरे चरित्र को नुकसान पहुंचाया गया. कहा गया कि मेरे खिलाफ आपराधिक मामले हैं. ऐसी खबरें पढ़ने के बाद मैं भयभीत हो गई हूं और असहाय महसूस कर रही हूं.’’
35 वर्षीय महिला ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच कमेटी को भेजे लेटर में ये बातें लिखीं. जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली इस कमेटी में जस्टिस एनवी रमन और इंदिरा बनर्जी भी शामिल हैं. इस कमेटी ने शिकायत करने वाली महिला को मंगलवार को नोटिस भेजा था.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शिकायतकर्ता महिला ने इस लेटर में दावा किया है कि जस्टिस रमन सीजेआई के करीबी मित्र हैं और उनके परिवार के सदस्य की तरह हैं. ऐसे में महिला ने आशंका जताई है कि शायद उनके हलफनामे और सबूतों की निष्पक्ष सुनवाई ना हो पाए.
महिला ने अपने लेटर में वित्त मंत्री अरुण जेटली की टिप्पणी पर भी चिंता जताई है. उन्होंने लिखा, ‘’एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के ब्लॉग में भी मेरी आलोचना की गई. इन घटनाओं से मैं काफी डरी हुई हूं और तनाव महसूस कर रही हूं.’’
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी ने कमेटी से कहा, ''मैं सिर्फ यह कह रही हूं कि सुनवाई के दौरान आप मेरे डर और आशंकाओं को ध्यान में रखें. मैंने काफी कुछ झेला है. मुझे पता है कि मेरे पास कोई पद या स्टेटस नहीं है. आपके सामने रखने के लिए मेरे पास सिर्फ सच है. मुझे न्याय तभी मिलेगा, जब मेरे मामले की निष्पक्ष सुनवाई होगी.''
महिला ने कहा है कि इस मामले की जांच विशाखा गाइडलाइन्स के साथ की जानी चाहिए.
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