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स्थापना दिवस: 135 साल पुरानी कांग्रेस के इतिहास-वर्तमान पर एक नजर

कांग्रेस की स्थापना एक अंग्रेज ऑफिसर रहे ए ओ ह्यूम (एलन ऑक्टेवियन ह्यूम) ने की थी

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पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी की अनुपस्थिति में कांग्रेस ने अपना 136वां स्थापना दिवस मनाया. इस खास मौके पर पार्टी के वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी ने पार्टी का झंडा फहराया. पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता पार्टी की स्थापना दिवस के अवसर पर 24 अकबर रोड पर स्थित पार्टी के मुख्यालय पर मौजूद रहे.

कई राज्यों के चुनाव में हार पर हार झेल रही है कांग्रेस पार्टी ने अपनी स्थापना के बाद कई सालों तक चुनाव में हार जीत से अलग देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ने का काम किया.

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बॉम्बे के संस्कृत कॉलेज में पहला सेशन

कांग्रेस की स्थापना एक अंग्रेज ऑफिसर रहे ए ओ ह्यूम (एलन ऑक्टेवियन ह्यूम) ने की थी. 28 दिसंबर 1885 को 72 सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों के दल ने कांग्रेस के पहले सेशन में हिस्सा लिया.

बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में हुए इस पहले सेशन के अध्यक्ष थे बैरिस्टर व्योमेश चंद्र बनर्जी. वहीं पार्टी का दूसरा सेशन ठीक एक साल बाद 27 दिसंबर 1886 में कोलकाता में हुआ था. सेशन की अध्यक्षता दादाभाई नैरोजी ने की थी.

इतिहासकारों के मुताबिक, कांग्रेस के शुरुआती सालों में इसका मकसद ब्रिटिश सरकार के साथ मिलकर देश की दिक्कतों को दूर करना था. लेकिन 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद कांग्रेस ने खुले तौर पर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिए.

कांग्रेस की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आजादी के आंदोलन के ज्यादातर बड़े नेताओं का इस पार्टी से सरोकार रहा है. मदन मोहन मालवीय, महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू जैसे नेताओं ने आजादी से पहले इस पार्टी की अध्यक्षता की.

आजादी के बाद भी प्रासंगिक रही है कांग्रेस

आजादी के बाद कांग्रेस के पहले अध्यक्ष आचार्य कृपलानी रहे. वहीं पार्टी ने जवाहरलाल नेहरू के चेहरे पर चुनाव लड़ा और पहले आम चुनावों में जबरदस्त सफलता पाई. देश के पहले पीएम के तौर पर नेहरू ने लोकतांत्रिक मूल्यों को अपना आधार बनाया, साथ ही देश की विदेश नीति भी कांग्रेस सरकार की खासियत बनी. कांग्रेस ने इसके बाद के सालों में कई अहम फैसले लिए जिसका आज के भारत की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में अहम योगदान है.

कांग्रेस अध्यक्षों के बारे में बड़ी बातें

  • कांग्रेस अध्यक्ष पद को महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय, सुभाष चंद्र बोस समेत कुल 59 लोगों ने अबतक संभाला है. राहुल गांधी 60वें अध्यक्ष हैं.
  • कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर पहला मतभेद साल 1939 में सामने आया था, जब सुभाष चंद्र बोस ने इस पद से इस्तीफा दे दिया था.
  • आजादी के बाद पार्टी का नेतृत्व करने वाले कुल 18 नेताओं में से 14 नेहरू-गांधी परिवार से नहीं हैं.
  • राहुल गांधी नेहरू-गांधी परिवार की 5वीं पीढ़ी के 5वें ऐसे व्यक्ति हैं जो कांग्रेस अध्यक्ष बनने जा रहे हैं.
  • आजादी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नजर डाले तो जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री रहते समय 5 साल, इंदिरा गांधी- राजीव गांधी ने करीब 5-5 साल और पीवी नरसिंह राव ने भी करीब 4 साल तक इस जिम्मेदारी को संभाला.
  • कांग्रेस में लालबहादुर शास्त्री और मनमोहन सिंह दो ऐसे नेता हैं जो प्रधानमंत्री तो बने लेकिन वो पार्टी के अध्यक्ष नहीं बन पाये.
  • सोनिया गांधी ने सबसे ज्यादा 19 साल बतौर कांग्रेस अध्यक्ष पद संभाला, वहीं उनकी सास इंदिरा गांधी ने अलग-अलग कार्यकाल में कुल 7 साल इस दायित्व को निभाया है.
  • सोनिया गांधी ने साल 1997 में पार्टी की सदस्यता ली थी और साल 1998 में अध्यक्ष बन गईं थी. 2019 में एक बार फिर वो अंतरिम अध्यक्ष का पदभार संभाल रही हैं.

आजादी के बाद से अबतक के कांग्रेस अध्यक्ष

  • आचार्य कृपलानी (1947-1948)
  • पट्टाभि सीतारमैया (1948-1950)
  • पुरषोत्तम दास टंडन (1950-1951)ॉ
  • जवाहरलाल नेहरु (1951-1955)
  • यू. एन. धेबर (1955-1959)
  • इंदिरा गांधी (1959-1960 और 1978-84)
  • नीलम संजीव रेड्डी (1960-1964)
  • के. कामराज (1964-1968)
  • एस. निजलिंगप्पा (1968-1969)
  • पी. मेहुल (1969-1970)
  • जगजीवन राम (1970-1972)
  • शंकर दयाल शर्मा (1972-1974)
  • देवकांत बरआ (1975-1977)
  • राजीव गांधी (1985-1991)
  • कमलापति त्रिपाठी (1991-1992)
  • पी. वी. नरसिंह राव (1992-1996)
  • सीताराम केसरी (1996-1998)
  • सोनिया गांधी (1998-2017)
  • राहुल गांधी- (2017-2019)
  • सोनिया गांधी- वर्तमान अंतरिम अध्यक्ष

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