राफेल विमानों सौदे को लेकर आई नई रिपोर्ट के बाद विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाए हैं. बता दें कि फ्रांस की न्यूज वेबसाइट मीडिया पार्ट ने राफेल पेपर्स नाम से एक आर्टिकल प्रकाशित किया है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसॉ को भारत में एक बिचौलिये को एक मिलियन यूरो ‘बतौर गिफ्ट’ देने पड़े थे. रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने ट्टिटर पर लिखा-
फ्रांस के पब्लिकेशन मीडियापार्ट ने दावा किया है कि 2016 में जब भारत-फ्रांस के बीच राफेल लड़ाकू विमान को लेकर समझौता हुआ, उसके बाद दसॉल्ट ने भारत में एक बिचौलिये को ये राशि दी. इस बात का खुलासा तब हुआ जब फ्रांस की एंटी करप्शन एजेंसी ने दसॉल्ट के खातों का ऑडिट किया.
सुरजे वाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि यह डील सरकार से सरकार के बीच है तो फिर इसमें बिचौलिया कहां से आ गया. इसके साथ ही सुरजेवाला ने कहा कि सरकार CAG, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, संसद बीजेपी कोई भी नहीं बताता राफेल जहाज की कीमत क्या है ?
कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने आगे कहा- ‘राफेल कंपनी ने कहा कि यह पैसा राफेल एयरक्राफ्ट के मॉडल बनाने के लिए दिया था. AFA ने 'द साल्ट' से पूछा कि आपको अपनी ही कंपनी के मॉडल बनाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट हिंदुस्तान की कंपनी को देने की क्या जरूरत थी, आपने इसे गिफ्ट टू क्लाइंट क्यों लिखा और वे मॉडल हैं कहां?
रिपोर्ट में बताया गया कि जब इस खर्च पर दसॉ से स्पष्टीकरण मांगी गई तो अपनी सफाई में कंपनी ने AFA को 30 मार्च 2017 का बिल मुहैया कराया जो भारत की DefSys Solutions की तरफ से दिया गया था. ( यह कंपनी दैसो की भारत में सब-कॉन्ट्रैक्टर कंपनी है). यह बिल राफेल लड़ाकू विमान के 50 मॉडल बनाने के लिए दिए ऑर्डर का आधे काम के लिए था. हर एक मॉडल की कीमत करीब 20 हजार यूरो से अधिक थी.
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