कौन कहता है कि चुनाव के दौरान पंजाब में शराब की नदियां बहती हैं और यूपी में पैसा पानी की तरह बंटता है- जरा ताजा आंकड़ों पर गौर फरमाइए, पंजाब को पीछे छोड़ यूपी अब चुनाव के दौरान शराब बांटने में नंबर-1 का खिताब पा चुका है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, ‘उत्तर प्रदेश में अबतक कुल 6.06 करोड़ रुपये कीमत की 1.98 लाख लीटर शराब जब्त की जा चुकी है जबकि पंजाब में 17.54 लाख रुपये की कीमत की 10,646 लीटर शराब जब्त की गई.
आचार संहिता लागू होने के बाद राज्य में भले ही सख्ती है. कानून अपना काम कर रहा है और अपराधी अपना. इलेक्शन में शराब और हथियार का क्या रोल है और क्यों चुनाव के दिनों में फलता-फूलता है ये कारोबार. आइए जानते हैं-
‘दबंग’ दारू का यूपी कनेक्शन
साल 2010 में आई सलमान की फिल्म ‘दबंग’ तो आपको याद ही होगी. इस फिल्म में सलमान ने दबंग पुलिस इंस्पेक्टर चुलबुल पांडे का किरदार निभाया था. इस फिल्म की कहानी यूपी के ही एक शहर कानपुर पर आधारित थी. बस, यहीं से ‘दबंग’ एक स्टेटस सिंबल बन गया और देसी शराब के किसी कारोबारी को नया ‘ब्रांड’ मिल गया.
बहरहाल, देसी शराब बनाने वाली कंपनियों ने विधानसभा चुनाव में बढ़ती खपत को ध्यान में रखते हुए काम तेज कर दिया है. डिमांड इतनी है कि यूपी के बाहर से भी शराब की खेप मंगाई जा रही है. शराब की खेप भले ही पुलिस के हाथ लग जाती है लेकिन वो इस धंधे का छोटा हिस्सा होता है, बाकी सप्लाई करने का काम बदस्तूर जारी रहता है.
इलेक्शन के लिए कैश की कोई कमी नहीं!
यूपी में कैश फॉर वोट का भी बोलबाला है. नोट लेकर वोट देने का चलन काफी पुराना है. इसके लिए प्रत्याशी अपने क्षेत्र में पड़ने वाले गांवों के वोटों को खरीदते हैं. प्रत्याशी ये डील गांव के प्रभावशाली लोगों के जरिए करते हैं. इसमें प्रत्याशी की ओर से प्रभावशाली लोगों को इकट्ठा कैश मुहैया कराया जाता है और बाद में स्थानीय लोग अपने हिसाब से वोटों की खरीद-फरोख्त करते हैं.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, ‘उत्तर प्रदेश में अबतक कुल 56.04 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की जा चुकी है.’
यही वजह है कि नोटबंदी के बाद भी कैश पर कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा है. जिसकी जितनी पहुंच है उसके पास वैसा ही कैश है. कहीं सिस्टम में आए 2000 और 500 के बड़े नोटों में कैश पकड़ा जा रहा है तो कहीं 10,20,50,100 रुपये के छोटे नोटों में भी नकदी पकड़ी जा रही है.
अवैध असलहों का इलेक्शन में क्या काम?
राज्य में आचार संहिता लागू होने के साथ ही सभी लाइसेंसी शस्त्र जमा करा लिए गए हैं. ऐसे में दबंगों के पास अब अवैध असलहों का ही विकल्प है. लिहाजा, अवैध शस्त्रों के कारोबार में भी तेजी आई है. पूरब से लेकर पश्चिम तक यूपी के लगभग हर जिले में पुलिस अवैध हथियारों के जखीरे बरामद कर रही है.
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