प्याज और लहसुन के साथ-साथ खाने का तेल भी महंगाई के दायरे में आ गया है. आयात महंगा होने से खाने के तमाम तेलों के दाम में भारी इजाफा हुआ है. आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं को इसके लिए अपनी जेब और ढीली करनी पड़ सकती है क्योंकि फिलहाल खाद्य तेल की महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं.
पाम तेल के दाम में बीते दो महीने में 35 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है. देश के बाजारों में पाम तेल का दाम करीब 20 रुपये प्रति किलो बढ़ा है. बाकी खाद्य तेलों के दाम में भी भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
तेल-तिलहन बाजार विशेषज्ञ सलिल जैन ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि बीते दो महीने से खाने के तमाम तेलों के दाम को पाम तेल से सपोर्ट मिल रहा है, मलेशिया और इंडोनेशिया से लगातार पाम तेल का आयात महंगा होने से खाद्य तेल की महंगाई आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है.
हालांकि खाद्य तेल उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी. वी मेहता का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार से आयात महंगा होने के कारण आज भारत में खाद्य तेलों के दाम में वृद्धि देखी जा रही है, लेकिन इससे देश के किसानों को तिलहनों का ऊंचा भाव मिल रहा है, जिससे वे तिलहनों की खेती करने को लेकर उत्साहित होंगे.
उन्होंने कहा, "हमें अगर, खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनना है तो किसानों को प्रोत्साहन देना ही पड़ेगा जोकि उन्हें उनकी फसलों का बेहतर और लाभकारी दाम दिलाकर किया जा सकता है."
भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक है जो खाद्य तेल की अपनी जरूरतों के अधिकांश हिस्से की पूर्ति आयात से करता है.
इस साल बारिश के कारण खरीफ सीजन में सोयाबीन की फसल कमजोर रहने और रबी तिलहनों की बुवाई सुस्त रहने के बाद माना जा रहा है कि खाद्य तेलों के आयात पर देश की निर्भरता और बढ़ेगी.
उधर, मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम तेल आयात लगातार महंगा होता जा रहा है. वहीं, अजेंटीना में सोया तेल पर निर्यात शुल्क बढ़ने से भारत में सोया तेल आयात की लागत बढ़ जाएगी, जिससे आने वाले दिनों में खाने के तेल की महंगाई और बढ़ सकती है.
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