ADVERTISEMENTREMOVE AD

40 दिन का लॉकडाउन ऐसे बदल सकता है ‘न्यू इंडिया’ की आदतें

ये लॉकडाउन न सिर्फ महामारी की रोकथाम में कारगर है साथ ही ये लॉकडाउन ‘न्यू इंडिया’ भी बना सकता है.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

कोरोना वायरस महामारी के बीच देश के लिए 24 मार्च की तारीख काफी अहम है. इसी दिन प्रधानमंत्री की तरफ से 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया गया जो अब बढ़कर 41 दिन का हो गया है. ये लॉकडाउन न सिर्फ महामारी की रोकथाम में कारगर है साथ ही ये लॉकडाउन 'न्यू इंडिया' भी बना सकता है. जहां देश के करोड़ों लोगों की कुछ-कुछ आदतें बदली हुई नजर आ सकती हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वर्क फ्रॉम होम बन सकता है न्यू नॉर्मल

तकरीबन पूरा देश वर्क फ्रॉम होम मोड में हैं और अब इसे वर्चुअल वर्क प्लेस का ट्रायल भी माना जा रहा है. 41 दिन बाद जब लॉकडाउन खत्म होगा तो भी कई कंपनियां इसे आगे जारी रख सकती हैं. इकनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सिस, BoB जैसे बैंक, RPG, वेदांता जैसे ग्रुप, पेटीएम, कॉग्निजेंट जैसी कंपनियों का भी मानना है कि वर्चुअल वर्क प्लेस ही फ्यूचर है.

NITI आयोग के CEO अमिताभ कांत अपने एक आर्टिकल में लिखते हैं कि वर्क फ्रॉम होम मोड से प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी, वर्क लाइफ बैलेंस सही होगा और साथ ही सबसे बड़ा फायदा फीमेल लेबर पार्टिसिपेशन को होगा, जो अभी  30% से कम है.

अब ऐसे वर्चुअल ऑफिसेज के लिए लोगों में टेक्नोलॉजी का भी अडॉप्टेशन बढ़ा है. उदाहरण के तौर पर देश की एक बड़ी कामकाजी आबादी है, जो लॉकडाउन के बाद पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर रही है, जूम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप भारत में सबसे ज्यादा डानलोड होने वाले ऐप्स में से एक बन गया है. आलम ये है कि गूगल प्ले स्टोर के मुताबिक यह एंड्रॉयड ऐप डाउनलोडिंग के मामले में वॉट्सऐप, टिकटॉक और इंस्टाग्राम से भी आगे निकल चुका है. आज की तारीख में लगभग पूरी कामकाजी दुनिया इस पर आ चुकी है. हालांकि अब सरकार की तरफ से चेतावनी दी गई है कि ये ऐप खतरनाक है और खतरों से बचने के लिए कुछ  गाइडलाइंस जारी की हैं. यहां जानिए वो गाइडलाइन.

ऑनलाइन स्टडी का बाजार और बड़ा होगा

लॉकडाउन के इस दौर में स्कूल-कॉलेज-कोचिंग पूरी तरह से बंद हैंं. ऐसे में स्टूडेंट्स, तैयारी करने वालों छात्रों के पास पढ़ाई के लिए इंटरनेट के अलावा कोई भी दूसरा ऑप्शन नहीं है. हालिया जो आंकड़ा सामने आ रहे हैं वो भी इसी बात की गवाह हैं. देश के सबसे मशहूर एजुकेशन स्टार्टअप्स में से एक Byju ऐप ने मार्च में ऐलान किया था कि छात्रों को लर्निंग एप पर फ्री एक्सेस दिया जाएगा. CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऐलान के बाद छात्रों की संख्या में कंपनी को 60 फीसदी का उछाल दिखा है. स्टूडेंट यहां एग्जाम की तैयारी, वीडियो लेसन और लाइव क्लासेज के लिए आते दिख रहे हैं.
ऐसा ही दूसरे के ऐप्स और यूट्यूब चैनलों पर भी देखा जा रहा है. साफ है कि आदतें बदल रही हैं, अब जो नए छात्र ऐसे ऐप्स पर आ रहे हैं, जहां कंटेंट पर सभी का समान अधिकार है, वो लॉकडाउन के बाद भी ऐसे ऐप्स की मदद लेते रह सकते हैं.

मेरठ की रहने वाली अभिलाषा चौधरी बीएससी सेकेंड ईयर की स्टूडेंट हैं. वो कंपीटिटिव एग्जाम्स की तैयारी के लिए हाल ही में Unacademy ऐप पर आईं हैं, कहती हैं लॉकडाउन की वजह से वो इसे एक्स्पलोर कर पाईं और वो आगे भी इसकी मदद लेती रहेंगी.

ज्यादा डिजिटल 'न्यू इंडिया' का खरीदार

जब सब बंद है, राशन की खरीदारी ग्रोफर्स जैसे ऐप पर बढ़ी है. खरीदारों ने अपने व्यवहार में भी काफी बदलाव किया है. ग्लोबल कंसल्टी फर्म मैकेंजी के एक सर्वे के मुताबिक, जो लोग किसी खास दुकानों पर सामान के लिए जाया करते थे, उनमें से एक तिहाई से ज्यादा अपनी पुरानी शॉप पर नहीं जाएंगे. साथ ही इनमें से कई खुदरा खरीदारी के लिए ऑनलाइन ऑप्शन आजमाएंगे.

OTT की रहेगी धूम, सिनेमाघर पर असर!

थियेटर बंद है, लोग अपने घरों में कैद हैं तो ऐसे में डिजिटल और टीवी की धूम है. केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान, टीवी, गेमिंग, डिजिटल और ओटीटी प्लेटफार्म्स के इस्तेमाल में इजाफा देखा जा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे एंटरटेनमेंट सेक्टर के डिजिटलीकरण में तेजी देखी जा सकती है.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि महामारी पर कंट्रोल और लॉकडाउन खत्म होने के बावजूद OTT प्लेटफॉर्म्स के इस्तेमाल जैसी आदतें बनी रह सकती हैं. साथ ही अभी जिस OTT का ज्यादातर इस्तेमाल मोबाइल स्क्रीन पर हो रहा है, तेज इंटरनेट की उपलब्धता से इसे टीवी स्क्रीन पर देखा जाना शुरू हो सकता है.

फिल्म इंडस्ट्री को इसका सबसे बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है. महामारी के बाद भी लोग थियेटर में उस उत्साह से जाना शुरू नहीं करेंगे और इंडस्ट्री में सब कुछ सामान्य होने में काफी वक्त लग सकता है. ऐसे में ज्यादातर फिल्मों का OTT पर रिलीज होना शुरू हो जाए तो हैरानी की बात नहीं हैं. OTT प्लेटफॉर्म्स की बड़ी खासियत ये भी है कि इनपर सब्सक्रिप्शन के जरिए भी कमाई होती है, ऐसे में एडवर्टाइजमेंट पर इनकी निर्भरता काफी हद तक कम हो जाती है.

केपीएमजी के अलावा, फ्रांस की एडवरटाइजिंग कंपनी Publicis Groupe की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा बदलाव मीडिया में देखने को मिले हैं और इसकी वजह डिजिटल फॉर्मेट का बढ़ता इस्तेमाल है. रिपोर्ट में कंज्यूमर की प्रतिक्रियाओं पर काम किया गया है. इस रिपोर्ट का कहना है कि जो व्यावहारिक बदलाव देखे गए हैं, वो लंबे समय तक रहेंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×