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कोरोना से AirIndia के 5 पायलट की मौत, 10 लाख से ऊपर का बीमा नहीं

एयर इंडिया द्वारा अपने पायलटों को दिए जाने वाली बीमा योजनाएं, COVID-19 के कारण हुई मौतों को कवर नहीं करती हैं.

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भारत में COVID-19 की दूसरी लहर की सुनामी में, एयर इंडिया के पांच सीनियर पायलट - कैप्टन अमितेश प्रसाद, कैप्टन प्रसाद करमाकर, कैप्टन संदीप राणा, कैप्टन जीपीएस गिल और कैप्टन हर्ष तिवारी - की मई, 2021 में मौत हो गई. उनमें से सबसे छोटे थे कैप्टन हर्ष तिवारी, वो सिर्फ 36 साल के थे.

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लेकिन क्या आप जानते हैं कि एयर इंडिया द्वारा अपने पायलटों को दिए जाने वाली बीमा योजनाएं, COVID-19 के कारण हुई मौतों को कवर नहीं करती हैं?

इन पांच पायलटों के परिजनों को COVID-19 से संबंधित मौतों के मामले में मुआवजे के रूप में सिर्फ 10 लाख रुपये मिलेंगे, जैसा कि मार्च 2020 में एयर इंडिया प्रबंधन द्वारा घोषित किया गया था.

दरअसल, कैप्टन हर्ष तिवारी के परिवार को 5 लाख रुपये का ही मुआवजा मिलेगा, क्योंकि वह कॉन्ट्रैक्ट पर थे न कि स्थायी कर्मचारी.

नाम न छापने की शर्त पर एयर इंडिया के कुछ मौजूदा पायलटों ने द क्विंट से बात की और इस बारे में अपना डर, गुस्सा और असुरक्षा की भावना व्यक्त की.

“मुझे उस दिन उड़ान भरनी थी जब मैंने COVID के कारण कैप्टन अमितेश की मौत के बारे में सुना. मेरी पत्नी ने मुझसे बार-बार अनुरोध किया कि मैं न जाऊं. तब तक COVID-19 वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं ली थी. लेकिन मैं अपनी ड्यूटी पर जाने से कैसे मना कर सकता था. मुझे दिखाना था, हालांकि मैं डर गया था.”
एयर इंडिया पायलट

इंडियन पायलट्स गिल्ड ने अप्रैल 2021 में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और एयर इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को पायलटों को फ्रंटलाइन वर्कर मानने और उनका टीकाकरण शुरू करने के लिए कई पत्र लिखे. लेकिन पायलटों के लिए वैक्सीन का अभियान 15 मई को ही शुरू हुआ - तब तक 9-14 मई के बीच COVID के कारण चार पायलटों की जान जा चुकी थी.

“मेरी पत्नी और मैं, दोनों एयर इंडिया में पायलट हैं. हम डरते हैं कि अगर हम दोनों में से किसी को कुछ हो गया तो क्या होगा. हमारे बच्चों की देखभाल कौन करेगा.”
एयर इंडिया पायलट

इन पायलटों ने एयर इंडिया द्वारा प्रदान किए गए दुर्घटना और लाइसेंस बीमा की धाराओं के बारे में भी बताया और यह भी बताया कि यह बीमा COVID मौतों को कवर क्यों नहीं करेगा.

लाइसेंस बीमा क्या है?

उड़ान भरने के लिए चिकित्सकीय रूप से फिट होने पर हमारा काम निर्भर करता है. हमारे औसत चिकित्सा मानक दूसरी नौकरियों से अलग हैं, कमोबेश भारतीय वायुसेना के पायलटों के मेडिकल चेकअप के बराबर हैं. हमारे पास लाइसेंस बीमा है क्योंकि अगर कोई पायलट अपने करियर के बीच में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण उड़ान भरने में असमर्थ है तो यह बीमा वित्तीय जरूरतों को पूरा कर सकता है. एयर इंडिया के सभी स्थायी कर्मचारी लाइसेंस बीमा के अंतर्गत आते हैं. बीमा पायलटों को 1.2 करोड़ रुपये और को-पायलटों को 85 लाख रुपये का कवर देता है.

एक पायलट किन परिस्थितियों में लाइसेंस बीमा राशि का लाभ उठा सकता है?

दो परिस्थितियों में - अस्थायी रूप से मेडिकली अनफिट (TMU) और स्थायी रूप से मेडिकली अनफिट (PMU).

टीएमयू के मामले में, पायलट को महीने की सैलरी मिलेगी जो उसके लाइसेंस बीमा कवर का 1% होगा, यानी हर महीने 1.2 लाख रुपये. उदाहरण के लिए, अगर किसी पायलट के हाथ/पांव या कोई बॉडी पार्ट टूट जाता है, या हाइपर टेंशन से पीड़ित है, तो उसे अस्थायी रूप से उड़ान भरने के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है जो 2-3 महीने या उससे अधिक के लिए हो सकता है. टीएमयू के लिए अस्थायी बीमारी एक महीने से अधिक की होनी चाहिए.

पीएमयू के मामले में, पायलट को उड़ान भरने के लिए स्थायी रूप से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है. उदाहरण के लिए, अगर किसी पायलट को कैंसर का पता चलता है, भले ही वह बीमारी से बच जाता है, तो मेडिकली वह उड़ान भरने के लिए फिट नहीं हो सकता है. ऐसी स्थिति में वह बीमा की पूरी राशि के लिए पात्र होगा/होगी.

एक पायलट पीएमयू का फायदा तभी ले सकता है, जब उसे जीवित रहते हुए प्रबंधन द्वारा स्थायी रूप से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है. पायलट की मौत के बाद परिवार इस पर दावा नहीं कर सकता.

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क्या COVID-19 से मरने वाले पायलटों में से कोई भी लाइसेंस बीमा के लिए पात्र होगा?

नहीं, क्योंकि उनमें से किसी को भी या तो अस्थायी रूप से या स्थायी रूप से अयोग्य घोषित नहीं किया गया था.

क्या ये पायलट दुर्घटना बीमा के लिए पात्र होंगे?

नहीं. एक पायलट को दुर्घटना बीमा तभी मिलता है, जब वह अपने निवास से हवाई अड्डे या कार्यालय के बीच कार्यालय वाहन में यात्रा करते समय मर जाता है. तभी पायलट के परिजनों को दुर्घटना बीमा की राशि मिलेगी.

क्या एक पायलट को दुर्घटना बीमा मिलेगा अगर ड्यूटी के दौरान एक हवाई दुर्घटना में उसकी मौत हो जाती है?

पायलट के परिजनों को दुर्घटना बीमा तभी मिलेगा जब यह साबित हो जाए कि पायलट की गलती के कारण उड़ान दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुई. अगर प्रबंधन यह साबित कर देता है कि दुर्घटना पायलट की गलती के कारण हुई थी, तो परिवार को दुर्घटना बीमा नहीं मिलेगा.

प्रबंधन शायद ही कभी स्वीकार करता है कि तकनीकी गलती के कारण दुर्घटना हुई है. पायलट को दोष देना बहुत आसान है क्योंकि वह वहां अपना बचाव करने के लिए नहीं है, जबकि एयरक्राफ्ट मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी ऐसा कर सकती है.

अगर कोई फ्लाइट हाईजैक हो जाती है और सभी की मौत हो जाती है, उस स्थिति में परिवार को मुआवजा मिलेगा.

हमें एयर इंडिया से कोई लाइफ इंशोरेंस नहीं मिलता है जो डेथ को किसी भी परिस्थितियों में कवर करे.

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क्या COVID-19 महामारी के कारण पायलट अब असुरक्षित महसूस कर रहे हैं?

पिछले एक महीने में, हमारे ग्रुप चैट में हर दिन हम एक पायलट की मौत या अस्पताल में भर्ती किसी व्यक्ति या किसी के कोविड पॉजिटिव होने के बारे में पढ़ते हैं. यह बहुत ही नर्वस करने वाला है. हमारे परिवार के सदस्य हमसे कह रहे हैं कि हम उड़ान न भरें लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है क्योंकि हम घर से काम नहीं कर सकते हैं.

क्या आपको लगता है कि पायलटों और केबिन क्रू सदस्यों को फ्रंटलाइन वर्कर घोषित नहीं करना एयर इंडिया की गलती थी?

निश्चित रूप से. टीकाकरण से फर्क पड़ता और हमें कुछ सुरक्षा मिलती.

मेरे पति एयर इंडिया की पायलट हैं. वह भारत के टीकों को अलग-अलग देशों में ले जाने वाली उड़ानों में थें. उन देशों के इमिग्रेशन ऑफिसर उसके बहुत आभारी थे. घर लौटने के बाद उन्होंने हमसे कहा कि काश वह उन लोगों को बता पाते कि असल में भारत में उनके परिवार और दूसरे लोगों को ये टीके चाहिए. मेरे पति का तब तक टीकाकरण नहीं हुआ था, वह वहीं दूसरे देश में थे और बिना वैक्सीन के खुद को कोविड से एक्सपोज कर रहे थे.

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जब आप अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भर रहे थे, तो क्या आप विदेशी COVID-19 वेरिएंट को भारत लेकर आने को लेकर चिंतित थे?

मैं यूके और कई दूसरे देशों के लिए उड़ान भर रहा था जहां दूसरी लहर पहले ही आ चुकी थी. मुझे पता था कि दूसरी लहर भारत में भी आएगी, लेकिन यहां लोग त्योहारों और चुनावों में व्यस्त थे. मैं और भी ज्यादा चिंतित था, क्योंकि तब मुझे वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं मिली थी.

हम प्रबंधन के सामने पायलटों और क्रू मेंबर्स के लिए टीकाकरण का मुद्दा उठाते रहे हैं. जवाब में वे कहेंगे, आधे डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी वैक्सीन नहीं ले रहे हैं, आपको इसकी आवश्यकता क्यों है. लेकिन हम असल में वैक्सीन लेना चाहते थे, जो उन्हें समझ में नहीं आया.

उड़ान के दौरान आप किस तरह से COVID सावधानियां बरत रहे थे?

उड़ान के दौरान पूरी सावधानी बरतना बहुत मुश्किल होता है. कॉकपिट के अंदर हम बहुत पास बैठते हैं, हम अक्सर एक ही बटन को छूते हैं, बटन को बार-बार साफ करना संभव नहीं है. कभी-कभी मास्क की वजह से को-पायलट को समझना मुश्किल हो जाता है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बहुत लंबी होती हैं, जिससे विमान के अंदर वायरल लोड बढ़ जाता है.

पायलटों के लिए क्या चुनौतियां हैं?

एक पायलट के रूप में हम लंबे समय तक उड़ान नहीं रोक सकते, क्योंकि तब मेरी रेटिंग कम हो जाएगी और मेरा लाइसेंस भी रद्द हो सकता है. मुझे अपने लाइसेंस को रद्द होने से बचाने के लिए सक्रिय रूप से उड़ान भरते रहना होगा. मैं एयर इंडिया नहीं छोड़ सकता क्योंकि एविएशन इंडस्ट्री सिकुड़ रहा है और मुझे दूसरी नौकरी नहीं मिल सकती है. न ही मैं अपना पेशा बदल सकता हूं.

द क्विंट द्वारा संपर्क किए जाने पर एयर इंडिया ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

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