यह वाकई ही हैरान कर देनेवाली खबर है. कोरोना वायरस ने अपने खौफ से भले ही पूरी दुनिया को हिला दिया हो, लेकिन प्रेमियों के आगे वह बिल्कुल ही बौना साबित हुआ. बाधा की वह कोई दीवार नहीं खड़ा कर सका. बीते पूरे साल (2020) जब पूरी दुनिया के लोग कोरोना से होनेवाली मौत के डर से अपने-अपने घरों में दुबके रहे, वहीं बिहार में प्रेमी जोड़े इसी सर्वव्यापी महामारी के बीच घरों से ‘भागकर’ अपनी दुनिया बसाने में लगे थे. न मरने का खौफ, न पकड़े जाने का डर. वह भी तब जब लॉक डाउन के दरम्यान सड़क/रेल यातायात पूरी तरह से बंद रहे और पुलिस सड़कों पर गस्त लगाती फिर रही थी.
बिहार पुलिस के तैयार एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में प्रेमी जोड़े द्वारा घर छोड़कर भागने की कुल 2,540 घटनाएं रिकॉर्ड हुई. उनमे से 474 घटनाएं तो उस समय रिकॉर्ड की गयीं, जब पूरे देश में टोटल लॉकडाउन लगा था, रेल/सड़क यातायात पूरी तरह से बंद थे और लोगों द्वारा घर से बहार निकलने पर मनाही थी.
देश में सबसे पहला लॉक डाउन 24 मार्च की आधी रात से लगा था और इसी महीने में प्रेमी जोड़ियों द्वारा घर छोड़कर भागने की कुल 308 घटनाएं सामने आयीं. अप्रैल में इनकी संख्या 63 थी, वहीं मई में 103 रहीं. याद रहे देश में लॉकडाउन 31 मई तक लगा था. इसके बाद ही अनलॉक शुरू हुए लेकिन धीरे-धीरे. तब भी ये प्रेमी जोड़ों के सामने कोई परेशानी खड़े नहीं कर पाए.
अनलॉक के दौरान तो प्रेमी जोड़े के घर से चले जाने की घटनाओं ने एक बार फिर से रफ्तार पकड़ ली. जून में प्रेमी जोड़े द्वारा भागने की कुल 232, जुलाई में 219, अगस्त में 255, सितंबर में 234, अक्टूबर में 256 और नवंबर में 227 घटनाएं रिकॉर्ड की गयीं, जबकि पुलिस के पास दिसंबर महीने का अभी कोई रिकॉर्ड नहीं है.
वहीं लॉक डाउन के पहले 2020 के पहले दो महीने में प्रेमी जोड़े के घर छोड़कर चले जाने के कुल 643 केस रिकॉर्ड किये गए. जनवरी में 312 और फरवरी में 331. बिहार के सभी 38 जिलों में पटना इस तरह की घटनाओं के मामले में सबसे टॉप पर रहा. कुल रिकार्डेड प्रेमी जोड़े के घर छोड़कर चले जाने के केस में अकेले 602 केस पटना से सामने आये.
प्रसिद्ध समाज वैज्ञानिक सचिन्द्र नारायण कहते हैं-
“सामाजिक जीवन के आयाम आज पूरी तरह से बदल चुके हैं. प्रेमी जोड़े के घर छोड़कर चले जाने की बढ़ती घटनाएं बताती हैं कि प्रेमी जोड़े अपनी जिंदगी से ज्यादा मोहब्बत को प्राथमिकता दे रहे हैं.”
वो कहते हैं कि कोरोना काल में सामाजिक संस्थाएं काफी कमजोर हुई हैं और ये अब स्पष्ट रूप से दिखने लगा है. इसका संबंध कानून-व्यवस्था से बिल्कुल ही नहीं है.
"हनीमून किडनैपिंग"
इससे जुड़ी एक और चौंकाने वाली खबर है कि बीते साल शादी के लिए करीब 2,988 घटनाएं सामने आयीं. पुलिस की भाषा में इसे "हनीमून किडनैपिंग" कहा जाता है. इनमे से अकेले 555 तो लॉक डाउन के तीन महीने के दौरान ही घटीं. बिहार पुलिस द्वारा तैयार रिपोर्ट्स के मुताबिक जून में 304, जुलाई में 300, अगस्त में 285, सितंबर में 349, अक्टूबर में 325 और नवंबर में "हनीमून किडनैपिंग" की कुल 300 घटनाएं रिकॉर्ड की गयीं, जबकि पुलिस के पास दिसंबर महीने का कोई रिकार्ड्स नहीं है. वही साल के पहले दो महीने में कुल 570 ऐसी घटनाएं पुलिस में रिपोर्ट हुए.
भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी अमिताभ दास कहते हैं,
“ये सारी घटनाएं बताती हैं की हमारा समाज बहुत तेजी से बदल रहा है. हमारे यहां प्रेम पर तो पहरा है लेकिन नफरत पर नहीं. यही वजह है कि प्रेमी जोड़े घर, शहर छोड़कर भाग रहे हैं.”
वो कहते हैं कि जाति-आधारित समाज में मोहब्बत पर सख्त मनाही है और समाज अभी भी ऐसी चीजों को मान्यता नहीं देता. "इस जाति आधारित समाज में बहुत पहरेदारी होती है, इसलिए प्रेमी जोड़े घर से भाग रहे हैं".
“ऐसे केस में जो पहला कदम उठाया जाता है वह यह कि लड़की के परिवारवाले लड़के पर किडनैपिंग का झूठा मुकदमा करते हैं. इससे दोनों की जिंदगी तबाह हो जाती है. लड़का किडनैपिंग केस में जेल चला जाता है और अगर अपनी जिद्द पर अड़ी रहती है, तो रिमांड होम चली जाती है”.
दास कहते हैं कि जब वो रेल पुलिस अधीक्षक थे तो उन्होंने कई प्रेमी जोड़ियों की शादी करवाई थी. ये प्रेमी जोड़े ट्रेनों से भागते पकड़े गए थे.
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