कोरोना की दूसरी प्रचंड लहर के कारण देश के कई हिस्सों में दवा की कमी की खबरें आ रही हैं. लेकिन ये समस्या आने वाले समय में गहरा सकती है. भारत में बढ़ते कोरोना मामलों के मद्देनजर चीन ने अपने कुछ कार्गो फ्लाइट्स के भारत आने पर पाबंदी लगा दी है. इस कारण दवा निर्माण के लिए आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति पर बुरा असर पड़ रहा है.
26 अप्रैल को चीन ने भारत में कोरोना की खतरनाक दूसरी लहर को देखते हुए स्टेट-रन सिचुआन एयरलाइंस के कार्गो फ्लाइट के भारत जाने पर 15 दिन की पाबंदी लगा दी. ऐसे में भारतीय दवा निर्माता कंपनियों ने कहा है कि चीन से कच्चे माल की आपूर्ति पर रोक से उनके उत्पादन क्षमता और वैश्विक फार्मास्यूटिकल सप्लाई चैन पर बुरा असर पड़ेगा.
चीन से कार्गो फ्लाइट बैन: 'वर्ल्ड फार्मेसी' भारत पर असर
दवा निर्माण के लिए जरूरी कच्चे मालों तथा तैयार दवाइयों के लिए आवश्यक चीजों का आयात भारत 60 से 70% तक चीन से करता है. जाहिर है वहां से सप्लाई में बाधा आई तो दिक्कत होगी.
ऐसे में इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश जोशी ने 29 अप्रैल को विदेश मंत्री को लेटर लिखते हुए कहा कि अगर उड़ानों पर रोक लगी रही तो दवा निर्माण उद्योगों को यह डर है कि इससे पूरे सप्लाई चैन पर प्रभाव पड़ेगा. इस कारण जरूरी दवाइयों की घरेलू कमी के साथ-साथ भारत के निर्यात क्षमता पर भी बुरा असर पड़ेगा.
अमेरिका पर भी होगा असर
अमेरिका में ड्रग क्वालिटी कंट्रोल करने वाली संस्था US Pharmacopeia के अनुसार 62 जेनेरिक दवाइयां ऐसी हैं जिनका उत्पादन सिर्फ भारत में होता है. इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल दवाएं भी शामिल है .साथ ही अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार भारत अमेरिका को भेजे जाने वाले 31% एक्टिव इनग्रेडिएंट का निर्यातक है.
ऐसे में भारत की दवा उत्पादन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव से अमेरिका में इन जरूरी दवाइयों की उपलब्धता पर भी असर पड़ेगा. पिछले साल जब चीन में लॉकडाउन था तब भी अमेरिका को सेडेटिव से लेकर इनहेलर और डिप्रेशन की दवाइयों तक के किल्लत का सामना करना पड़ा था.
भारत में लग रहा लॉकडाउन भी एक वजह
चीन से आपूर्ति के अलावा भारत में कोविड महामारी को रोकने के मद्देनजर लगे लॉकडाउन के कारण भी दवा उत्पादन क्षमता पर असर पड़ सकता है .
वर्तमान में लगभग 4 लाख लोग भारत के फार्मास्युटिकल्स उद्योगों में कार्यरत हैं .अभी लॉकडाउन की वजह से उनकी उपस्थिति में कमी तो आई है पर इतनी नहीं कि उत्पादन पर असर पड़े. लेकिन अगर कोरोना संक्रमण बढ़ता है तथा देशव्यापी लॉकडाउन की नौबत आती है तब उत्पादन क्षमता पर असर जरूर पड़ेगा.
US Pharmacopoeia के अनुसार भारत में एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट का उत्पादन करने वाली 32% फैक्ट्रियां अभी लॉकडाउन वाले क्षेत्रों में स्थापित है. यह लगभग पूरे विश्व के उत्पादन का 6% है.ऐसे में लॉकडाउन का निर्णय उत्पादन दर को धीमा कर सकता है.
इससे पहले चीन द्वारा ऑक्सीजन सप्लाई रोकने के संबंध में जब 1 मई को अभिनेता सोनू सूद ने भारत में चीनी राजदूत Sun Weidong को ट्वीट किया तो उन्होंने जवाब देते हुए ट्वीट में बताया कि "पिछले दो सप्ताहों में चीन से 61 कार्गो फ्लाइट भारत आई है."
हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि उन कार्गो फ्लाइट के माध्यम से कोरोना से जुड़ी मेडिकल सहायता भेजी गई थी या दवा उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे मालों का भी निर्यात हुआ था.
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