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मजदूरों को आधी अधूरी सहूलियत, अब राज्यों के लिए बन रही मुसीबत

कोरोना वायरस संक्रमितों में इजाफे की खबरें अलग-अलग राज्यों से लगातार आ रही हैं.

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कोरोना वायरस संक्रमितों में इजाफे की खबरें अलग-अलग राज्यों से लगातार आ रही हैं. हालात ये हैं कि देशभर में कोरोना वायरस के कन्फर्म केस की संख्या 1 लाख के पार हो गई है. अबतक 3163 लोगों की मौत हो चुकी है. ये तो हो गई आंकड़ों की बात, अब जरा अलग-अलग राज्यों से आ रही प्रवासी मजदूरों के वीडियो-तस्वीरों पर गौर कीजिए. 19 मई को ही मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन के बिहार के लिए "श्रमिक स्पेशल ट्रेन" चलाया जाना था. इन ट्रेनों से जाने के लिए 1000 लोग रजिस्टर्ड थे लेकिन हजारों की संख्या में लोग जमा हो गए. वीडियो देखने से साफ पता चलता है कि घर जाने की आपाधापी और बेसब्री में सोशल डिस्टेंसिंग के तमाम मानदंडों का पालन नहीं हो रहा है.

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दूसरा उदाहरण है कर्नाटक के मंगलौर का, जहां 400 से ज्यादा प्रवासी मजदूर मिलग्रेस कॉलेज के सामने अपने राज्यों में वापस जाने के लिए साधन की मांग करते हुए प्रदर्शन करते दिखे. अब क्या इन प्रदर्शनों में सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो किया गया? जवाब है नहीं.

एक तरफ जब इस महामारी का न तो कोई वैक्सीन है न कोई दूसरा इलाज, सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग ही वो जरिया है जिसका इस्तेमाल कर संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है, तो दूसरी तरफ वो मजदूर हैं जो रोजी-रोटी गंवाने के बाद घर जाने के लिए बेचैन हैं और सरकार सभी मजदूरों को समुचित व्यवस्था मुहैया नहीं करा पाई है.

बिहार में पहुंचे 8 फीसदी प्रवासी कामगार कोरोनो पॉजिटिव

अब ये प्रवासी कामगार जब अपने राज्यों में पहुंच रहे हैं तो वहां से कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या में इजाफे की भी बात सामने आ रही है. बिहार में प्रवासी मजदूरों के आने के बाद कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई. अब कहा जा रहा है कि आने वाले प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्यों में भेजे जाने के पहले ही उनकी जांच हो जाती और उनका इलाज हो जाता, तो शायद कोरोना संक्रमण की रफ्तार को रोका जा सकता था.

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले चार दिनों में बिहार में 400 से ज्यादा पॉजिटिव मामले सामने आए. विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार द्वारा जारी आंकडों पर गौर करें तो अन्य राज्यों से विशेष ट्रेनों से आए प्रवासी मजदूरों में से 8337 नमूनों की जांच की गई है, जिसमें 651 पॉजिटिव पाए गए हैं, मतलब 8 फीसदी. ऐसी ही स्थिति पश्चिम बंगाल से आने वाले मजदूरों की भी है.

यूपी के मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद का भी कहना है कि जो प्रवासी प्रदेश में आ रहे हैं उनमें संक्रमण काफी देखने को मिल रहा है, इसलिए ग्राम निगरानी समिति और मोहल्ला निगरानी समिति पर यह बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है कि उनका होम क्वॉरंटीन सुनिश्चित किया जाए.

साफ है कि जिन राज्यों में ज्यादातर ये प्रवासी कामगार आ रहे हैं उनकी चिंताएं बढ़ रही हैं. अब ये जानना भी जरूरी है कि इन प्रवासी मजदूरों में ये संक्रमण फैल कैसे रहा है. इसके कई कारण हो सकते हैं. अपने राज्यों में जाने की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण इन्हें कभी ट्रकों में लदकर तो कभी किसी दूसरी गाड़ी में भारी संख्या में छिपकर जाना पड़ रहा है, जाहिर है कि अगर एक भी शख्स उनमें से इंफेक्टेड होता है तो पूरी की पूरी भीड़ पर संक्रमण का खतरा होता है.

साफ है कि केंद्र और राज्य सरकारों ने मजदूरों के समुचित और सुरक्षित ट्रांसफर का इंतजाम नहीं किया है और ये कोरोना के संकट को भी बढ़ा रहा है.

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