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‘जनता कर्फ्यू’ के दिन भी प्रदर्शन करेंगी शाहीन बाग की महिलाएं

पीएम मोदी ने 22 मार्च को देशभर में जनता कर्फ्यू का ऐलान किया है.

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देशभर में रविवार को जनता कर्फ्यू की तैयारी चल रही है, वहीं शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रही महिलाओं का कहना है कि वे अपनी मांगे पूरी होने तक किसी भी हालत में धरने से नहीं उठेंगी. उन्होंने कहा कि वह रविवार को जनता कर्फ्यू का हिस्सा नहीं बनेंगी.

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धरना स्थल पर मौजूद नूरजहां ने कहा, "हमारे लिए एक तरफ कुआं और एक तरफ खाई जैसे हालात हैं. कोरोना जैसी बीमारी का खतरा बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर अगर नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी वापस नहीं हुए तो भी हर हाल में मरना तय है. ऐसे में हमारे सामने केवल संघर्ष करने का ही विकल्प बचा है. अगर सरकार चाहती है कि हम यह धरना छोड़ दें तो तुरंत नागरिकता संशोधन कानून को खारिज किया जाना चाहिए."

'बीमार होने के डर से आंदोलन छोड़ नहीं सकते'

प्रदर्शन में मौजूद ओखला में रहने वाली रजिया ने कहा, "बीमार होने के डर से हम अपने आंदोलन को छोड़कर घर नहीं बैठ सकते. लेकिन अब मैं अपने दोनों बच्चों को शाहीन बाग लेकर नहीं आती. हम लोग काला कानून खत्म होने तक यहां डटे रहेंगे."

शाहीन बाग की महिलाओं ने भले ही रविवार को जनता कर्फ्यू में शामिल न होने का फैसला किया है लेकिन कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने एक-दूसरे से 2 मीटर के फासले पर बैठी हैं. शाहीन बाग के मंच से भी महिलाओं को सावधानी बरतने की हिदायतें दी जा रही हैं. 

बता दें, गुरुवार रात राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से कोरोनावायरस को लेकर सावधानी बरतने और रविवार को स्वैच्छिक जनता कर्फ्यू का निवेदन किया है. हालांकि अब कोरोना वायरस के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए यहां प्रदर्शनकारी महिलाओं की संख्या कम कर दी गई है. मुख्य पंडाल में अब केवल 40-50 महिलाएं ही मौजूद हैं.

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