ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोविड-19: सरकार को देने चाहिए इन 10 सवालों के जवाब

कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए जनता के पास जरूरी जानकारी होना जरूरी है.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

दुनिया के तमाम देशों का तजुर्बा बताता है कि, कोरोनावायरस से प्रकोप से निपटने का सबसे अच्छा तरीका, पारदर्शिता है. हालांकि, भारत सरकार ने जनता को जागरूक करने के लिए कई एडवाइजरी प्रकाशित की हैं. लेकिन, सरकार ने पत्रकारों, रिसर्चरों और स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़े अन्य लोगों के लिए, इस मामले से जुड़ी पर्याप्त जानकारी मुहैया नहीं कराई है. जिससे वो इस बात का आकलन कर सकें कि कोरोनावायरस के प्रकोप से निपटने की सरकार की रणनीति कितनी कारगर साबित हो रही है. अब तक इस बारे में कोई ठोस जानकारी सरकार ने नहीं दी है कि वो कोरोना वायरस के इस नए प्रतिरूप यानी कोविड-19 से संक्रमित लोगों को कैसे पहचान रहे हैं? उनका परीक्षण कैसे कर रहे हैं? और, संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाकर उनकी निगरानी कैसे कर रहे हैं?

इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए जनता के पास जरूरी जानकारी होना जरूरी है.

ऐसे में ये वो दस सवाल हैं, जिनके जवाब सरकार को जरूर देने चाहिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

1. संक्रमण के शिकार लोगों को वायरस का इन्फेक्शन कैसे हुआ?

शुरुआत में तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय देश में कोरोनावायरस से संक्रमित पाए जाने वाले हर केस की जानकारी दे रहा था. फिर चाहे वो कोरोनावायरस से प्रभावित देशों से यात्रा करने आए लोग हों (आयातित केस), या फिर भारत आए इन लोगों के संपर्क में आकर संक्रमित हुए हों. (लोकल संक्रमण).

लेकिन, अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने वायरस से संक्रमित लोगों के बारे में ऐसी जानकारी सार्वजनिक करना बंद कर दिया है.

ये जानकारी बेहद अहम है. इसी से ये पता लगाया जा सकता है कि भारत में वायरस कैसे फैल रहा है. अगर, ऐसे पॉजिटिव केस सामने आने लगते हैं, जिन्हें न तो बाहर से संक्रमित कहा जा सकता है. और, न ही बाहरी लोगों के संपर्क में आए लोगों से स्थानीय लोगों में संक्रमण फैलने के खांचे में रखा जा सकता है. तो फिर, इसका मतलब ये होगा कि ये वायरस सामुदायिक स्तर पर ज्यादा तेजी से फैल रहा है. इस प्रक्रिया को वायरस का ‘सामुदायिक प्रसार या संक्रमण’ कहते हैं.

कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए जनता के पास जरूरी जानकारी होना जरूरी है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

2. भारत में कोरोनावायरस के कितने टेस्ट किए गए हैं?

सरकार को चाहिए कि वो हर राज्य में अब तक कोविड-19 के इन्फेक्शन की जांच के लिए किए गए टेस्ट की जानकारी दे. ये बताए कि ये परीक्षण किस लैब में किए गए. ये आंकड़े इकट्ठे भी दिए जाएं और अलग-अलग दिन में हुए टेस्ट का ब्यौरा भी सरकार को देना चाहिए.

सरकार को बताना चाहिए कि जिन लोगों में कोरोनावायरस इन्फ़ेक्शन का परीक्षण किया गया, उनमें से कितने लोग कोरोनावायरस से प्रभावित देशों से होकर आए हैं. इनमें से कितने लोग ऐसे हैं, जो बाहर से आए इन लोगों के संपर्क में आकर संक्रमित हो गए. और कोरोनावायरस से संक्रमित ऐसे कितने लोग हैं, जिनका न तो बाहर से आने का इतिहास है और न ही ऐसे लोगों के संपर्क में आने का.

ये जानकारी होने पर स्वास्थ्य के जानकारों को ये पता लगाने में आसानी होगी कि क्या भारत में बाहर से आने वाले लोगों में संक्रमण की जांच ज्यादा हो रही है. या फिर उन स्थानीय लोगों का टेस्ट अधिक हो रहा है, जो बाहर से आए लोगों के संपर्क में आए.

या फिर सामुदायिक स्तर पर वायरस के प्रसार को जांचने के लिए पर्याप्त टेस्ट किए जा रहे हैं. सही जानकारी से ही ये भी पता लगाया जा सकता है कि क्या इस पैटर्न में पिछले कुछ दिनों में कोई बदलाव आया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

3. क्या उन मरीजों की जांच हो रही है जो ‘संदिग्ध केस’ के दायरे में तो आते हैं. लेकिन, उनका यात्रा करने या सफर कर के आए लोगों से संपर्क में आने का कोई रिकॉर्ड नहीं है. अगर ऐसे लोगों की जांच नहीं हो रही है, तो क्यों नहीं हो रही है?

कोरोनावायरस के ‘संदिग्ध मामलों’ की भारत की आधिकारिक परिभाषा में वो लोग भी शामिल हैं, जो हाल में किसी अन्य देश से यात्रा करके नहीं आए हैं. या वो ऐसे लोगों के भी संपर्क में नहीं आए हैं. फिर भी उन्हें सांस लेने की भयंकर समस्या है. और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है. लेकिन, उनकी इस बुरी हालत की कोई और ठोस वजह समझ से परे है.

लेकिन, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने दावा किया है कि अभी तक भारत में उन्हीं लोगों का परीक्षण किया जा रहा है, जिनका यात्रा करने का या फिर ऐसे लोगों के संपर्क में आने का रिकॉर्ड है. इसका मतलब है कि संदिग्ध मामलों की अभी जांच नहीं हो रही है. अधिकारियों ने अब तक ये नहीं बताया है कि आखिर संदिग्धों को कोरोना वायरस के टेस्ट के दायरे से बाहर क्यों रखा जा रहा है?

सरकार को इस विरोधाभास पर अपना रुख साफ करना चाहिए. क्या राज्य स्तर के आधिकारी, आईसीएमआर के तय किए मानकों का पालन कर रहे हैं? या फिर कुछ राज्यों ने कोरोनावायरस के परीक्षण का दायरा बढ़ाकर उसमें इन ‘संदिग्ध मामलों’ को भी शामिल कर लिया है, जिनका न तो किसी अन्य देश से आने का रिकॉर्ड है और न ही ऐसे लोगों के संपर्क में आने का.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

4. सामुदायिक स्तर पर वायरस के प्रकोप को जांचने के लिए नमूने किस आधार पर लिए जा रहे हैं?

हालांकि, आईसीएमआर ऐसे ‘संदिग्ध मरीजों’ को खुद से जांच कराने की इजाजत नहीं देता, जो न बाहर से यात्रा कर के आए हैं और न ही ऐसे लोगों के संपर्क में आए हैं. लेकिन, आईसीएमआर ने ये कहा कै कि देश में 51 लैब हर हफ्ते 20 ऐसे लोगों का टेस्ट कर रही हैं, जो सांस लेने में भयंकर तकलीफ की शिकायत कर रहे हैं.

आईसीएमआर का कहना है कि इस प्रक्रिया से कोरोना वायरस के ‘सामुदायिक प्रसार’ का पता लगाने में मदद मिलेगी. जिसका मतलब है कि वायरस का संक्रमण ऐसे लोगों के बीच भी फैल रहा है, जिनका यात्रा करने या फिर ऐसे लोगों के संपर्क में आने का इतिहास नहीं रहा है. हालांकि ये साफ नहीं है कि ये सैंपल कहां से लिए जा रहे हैं. क्या वो किसी एक ही सरकारी अस्पताल से लिए जा रहे हैं?

जानकारों को आशंका है कि सामुदायिक इन्फेक्शन का पता लगाने के नाम पर ऐसे ही टेस्ट किए जा रहे हैं. जिसका मतलब ये है कि ये नमूने किसी समुदाय की नुमाइंदगी नहीं करते. इसीलिए कोरोना वायरस के टेस्ट के लिए लिए जा रहे सैंपल के बारे में और जानकारी की जरूरत है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

5. जब निजी लैब में कोरोना वायरस की टेस्टिंग की इजाजत दी जाएगी, तो क्या वो उन्हीं मानकों का पालन करेंगे, जिनका पालन सरकारी लैब कर रही हैं?

आईसीएमआर ने एलान किया है कि 51 मान्यता प्राप्त निजी लैब को कोरोना वायरस का टेस्ट करने की मंजूरी दी जाएगी. 17 मार्च को जारी बयान में आईसीएमआर ने निजी लैब से अपील की कि वो ये टेस्ट मुफ्त में करें.

इसके लिए दिशा-निर्देश तय करते हुए आईसीएमआर ने कहा है कि, ‘लैब में टेस्ट तभी होना चाहिए जब इसके लिए कोई काबिल डॉक्टर सिफारिश करें और ये परीक्षण आईसीएमआर के मानकों के अनुसार ही होना चाहिए.’

लेकिन, सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वालों ने इस बात को लेकर आशंकाएं जताई हैं कि क्या निजी लैब को उन लोगों के टेस्ट की इजाजत भी दी जाएगी, जो टेस्ट के लिए जरूरी आईसीएमआर के वो सख्त मानक, जिनका पालन सरकारी लैब करती हैं, भले न पूरे करते हों, पर इसके लिए पैसे देने को तैयार हों. इससे तो निजी लैब कोरोना वायरस के परीक्षण में असमानता पैदा करेंगे. इस मामले में भी स्वास्थ्य मंत्रालय को अपना रुख साफ करना चाहिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

6. भारत में टेस्टिंग किट की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार की योजना क्या है?

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का कहना है कि भारत के पास कोरोना वायरस के परीक्षण की 1.5 लाख किट मौजूद हैं. और ऐसी 10 लाख किट बाहर से मंगाई गई हैं.

लेकिन, आईसीएमआर को इस बारे में और जानकारी देनी चाहिए. भारत के पास टेस्ट के कितने रिएजेंट और परीक्षण का सामान है? इसके लिए कितने स्टॉक का ऑर्डर दिया गया है और ये कब तक भारत पहुंचेगा? ऐसी खरीद के लिए बजट कितना है? क्या सरकार बजट की कमी के कारण इन सामानों को देश में जमा करने में मुश्किल महसूस कर रही है? क्या भारत इन रिएजेंट और उपकरणों का घर में ही उत्पादन कर सकता है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

7. केंद्र सरकार राज्यों के बीच टेस्टिंग किट का वितरण कैसे कर रही है?

इस समय देश में कोरोना वायरस के परीक्षणों की निगरानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च कर रही है. आईसीएमआर ही राज्यों को भी टेस्टिंग किट मुहैया करा रही है.

ऐसे में किस राज्य को कितनी टेस्टिंग किट दी जानी है, ये किस आधार पर तय किया जा रहा है? कम से कम एक राज्य छत्तीसगढ़ की सरकार ने परीक्षण के केंद्र सरकार के तरीकों की आलोचना की है. और इस बात की आशंका जताई है कि अगर वायरस की जांच का दायरा बढ़ा तो, इसके लिए जरूरी किट की कमी हो सकती है.

सवाल ये है कि केंद्र सरकार, राज्यों की इन चिंताओं का समाधान कैसे कर रही है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

8. अब तक कितने लोगों को क्वारंटाइन में या अलग-थलग कर के रखा गया है? और क्या सरकार के पास इसके लिए पर्याप्त सुविधाएं हैं?

सरकार इस बात के आंकड़े तो लगातार जारी कर रही है कि एयरपोर्ट, बंदरगाहों और स्थल सीमा चौकियों पर कितने लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है. हालांकि, केंद्र सरकार को ये भी चाहिए कि वो राज्यवार और अलग-अलग शहरों में अलग-थलग यानी आइसोलेशन और क्वारंटाइन में रखे गए लोगों के आंकड़े भी बताए.

जांच के दौरान ऐसे केंद्रों में रखे गए कई लोगों ने ख़राब हालत और साफ़-सफ़ाई की कमी की शिकायतें की हैं.

हालांकि, केवल सफाई की कमी ही एक समस्या नहीं है. जैसे-जैसे कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच का दायरा बढ़ रहा है, सरकार को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि जो स्वास्थ्य कर्मी इन लोगों की जांच कर रहे हैं और उनका रख-रखाव कर रहे हैं, उनके पास अपनी सुरक्षा के भी पर्याप्त उपाय उपलब्ध हों. ऐसी सुविधाएं बढ़ाने को लेकर सरकार की रणनीति क्या है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

9. सरकार उन लोगों पर कैसे नज़र रख रही है, जो बाहर से तो आए हैं मगर फिलहाल उनमें कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं पाया गया है?

कोरोना वायरस से प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों के एयरपोर्ट पर उतरने को लेकर नियम एकदम साफ और बेहद सख्त है. फिर भी, ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें एयरपोर्ट पर जांच में तो मुसाफिर कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं पाए गए. लेकिन बाद में उनका टेस्ट पॉजिटिव निकला. ये लोक ट्रेन या सार्वजनिक परिवहन के अन्य माध्यमों से देश के दूसरे इलाकों तक गए. जिससे इनके जरिए वायरस बड़ी संख्या में अन्य लोगों तक भी पहुंच गया.

क्या ऐसी कोई प्रक्रिया तय की गई है जिसके तहत हवाई अड्डे पर कोरोना वायरस के टेस्ट में नेगेटिव पाए गए यात्रियों पर बाद में नजर रखी गई और उन्हें घर पर ही अलग रहने यानी क्वारंटाइन के लिए कहा गया.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

10. क्या सरकार उन अन्य बीमारियों की निगरानी कर रही है जिन्हें हम वायरस का सामुदायिक प्रसार कह सकते हैं, मगर जो अभी पकड़ में नहीं आए हैं?

कई अधिकारी ये बात साफ कर चुके हैं कि भारत की आबादी इतनी ज्यादा है कि बड़े पैमाने पर लोगों की जांच करना संभव नहीं है. लेकिन, कम टेस्ट करने का ख़तरा ये है कि सामुदायिक स्तर पर वायरस का प्रकोप पकड़ में न आ पाने की आशंका बढ़ जाती है.

इस चुनौती का सामना करने का एक तरीक़ा ये है कि संक्रमित केस और सांस लेने में भयंकर तकलीफ से होने वाली मौतों, निमोनिया और सांस की अन्य बीमारियां जो कोरोना वायरस से हो सकती हैं, मगर जो शायद पड़ताल से पकड़ में न आ सकें, उनकी सख़्ती से निगरानी हो.

क्या सरकार इन सभी आंकड़ों पर नजर रखेगी और इनकी जानकारी प्रकाशित करेगी? क्या सरकार ये सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठा रही है कि अस्पतालों में होने वाली हर मौत की जानकारी दर्ज की जाए.

यह भी पढ़ें: LIVE COVID-19: दिल्ली मेट्रो में खड़े होकर सफर नहीं, हर दूसरी सीट खाली

ये लेख मूलरूप से स्क्रोल में छपा था और इसे यहां मंजूरी के साथ पुन:प्रकाशित किया गया है

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×