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CBSE के 8वीं तक के छात्र होंगे पास,बोर्ड परीक्षाओं पर भी अहम फैसला

कोरोनावायरस के कारण 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं बीच में ही रोकनी पड़ी थीं

Published
भारत
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केंद्र सरकार ने CBSE बोर्ड की स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक के सभी छात्रों को पास करने का निर्णय लिया है. अब यह सभी छात्र पास होकर सीधे अगली कक्षा में जाएंगे. बुधवार 1 अप्रैल को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इसकी जानकारी दी. इसके साथ ही सरकार ने फैसला किया है कि कोरोनावायरस के कारण रोके गए CBSE की बोर्ड परीक्षाओं में से सिर्फ उन्हीं को आयोजित किया जाएगा, जो अगली कक्षा या यूनिवर्सिटी में पहुंचने के लिए अहम हैं.

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सभी स्कूलों पर लागू होगा फैसला

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा,

“कोरोनावायरस के कारण उत्पन्न हुई मौजूदा स्थिति को देखते हुए मैंने सीबीएसई को सलाह दी है कि कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के सभी छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाए.”

गौरतलब है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा लिया गया यह निर्णय देशभर के सीबीएसई विद्यालयों पर लागू होगा.

इसके साथ ही नौवीं और 11वीं के छात्रों के लिए भी पुराने टेस्ट के आधार पर ही नतीजा दिया जाएगा. इस बारे में मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा,

“कक्षा 9 और कक्षा 11 में पढ़ने वाले छात्रों को उनके विद्यालय द्वारा किए जाने वाले एसेसमेंट, प्रोजेक्ट्स एवं अभी तक ली गई परीक्षाओं के आधार पर अगली कक्षाओं में प्रमोट किया जाएगा.”

कुछ ही विषय में बोर्ड परीक्षा, विदेशों में नहीं होंगे एग्जाम

इसके साथ ही मंत्रालय ने कहा है कि कोरोनावायरस के कारण 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को रोकने के कारण अब बचे हुए सिर्प 29 विषयों की ही परीक्षाएं ली जाएंगी.

मंत्रालय ने कहा है कि बोर्ड जब भी परीक्षाओं के लिए माहौल सही समझे, तो सिर्फ उन्ही विषयों की परीक्षा आयोजित करे, जो अगली कक्षा में जाने या यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए पास करने जरूरी हैं.

इसके अलावा CBSE ने भी साफ कर दिया है कि विदेशों में 10 वीं और 12 वीं कक्षाओं के बचे हुए बोर्ड परीक्षाएं नहीं ली जाएंगी. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

CBSE के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने कहा, ‘‘25 देशों में कई सीबीएसई स्कूल स्थित हैं. इनमें से प्रत्येक देश में लॉकडाउन है या उन्होंने विभिन्न अवधि के लिये स्कूलों को बंद रखने का फैसला किया है. ऐसी परिस्थिति में, यह महसूस किया गया कि बोर्ड इनमें से प्रत्येक देश में परीक्षाएं अलग-अलग प्रश्नपत्रों के साथ संचालित करने की स्थिति में नहीं होगा.’’

उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही, मौजूदा समय में जांच के लिये आंसरशीट को भारत मंगाना भी कठिन होगा. इसलिए, बोर्ड ने निर्णय लिया है कि विदेशों में स्थित स्कूलों की 10 और 12 वीं कक्षाओं की परीक्षाएं नहीं ली जाएंगी.’’

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दिल्ली-यूपी समेत कई राज्य उठा चुके हैं ये कदम

केंद्र सरकार के इस निर्णय से 2 दिन पहले 30 मार्च को दिल्ली सरकार भी ऐसा ही एक निर्णय ले चुकी है. दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय के तहत भी कक्षा आठ तक के सभी छात्रों को अगली कक्षाओं में प्रमोट कर दिया गया है.

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था,

“दिल्ली सरकार ने नर्सरी से आठवीं तक के बच्चे को अगली क्लास में सीधे प्रमोट करने का फैसला लिया है. नर्सरी से आठवीं तक के बच्चे अब ‘राइट टू एजुकेशन में नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत अगली क्लास में प्रमोट कर दिए जाएंगे.”

दिल्ली सरकार के द्वारा 12वीं में जाने वाले बच्चों के लिए सरकार के टीचर्स द्वारा प्रतिदिन 2 विषयों की क्लास ऑनलाइन लगाई जाएंगी. ऑनलाइन क्लास में अपना रजिस्ट्रेशन करवाने वाले छात्रों को डाटा पैकेज खरीदने के लिए पैसे भी दिए जाएंगे.

इनसे पहले उत्तर प्रदेश, गुजरात समेत कई राज्यों की सरकारों ने भी लॉकडाउन के कारण अपने-अपने प्रदेश में सरकारी स्कूलों के पहली से नौवीं और ग्यारहवीं के छात्रों को बिना परीक्षा के ही पास करने का फैसला किया था.

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