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हेल्थ वर्कर्स पर हमला करने वालों को 7 साल तक की सजा,5 लाख जुर्माना

केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग में अध्यादेश को मिली मंजूरी, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद लागू होगा कानून

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कोरोना वायरस को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई. जिसके बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने ब्रीफिंग में बताया कि डॉक्टर और हेल्थ वर्कर्स की सुरक्षा के लिए अब अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है. अब हेल्थ वर्कर्स पर हमला करने वालों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी. जावडेकर ने कहा कि हम ऐसी हरकतों को अब बर्ताश्त नहीं कर सकते हैं.

बता दें कि स्वास्थ्य कर्मियों पर देशभर में हमले की कई खबरें सामने आ रही थीं. इसे लेकर कई जगह प्रदर्शन भी बुलाए गए थे.

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जावडेकर ने कैबिनेट ब्रीफिंग में कहा, डॉक्टरों और आशा वर्कर्स पर होने वाले हमले अब बर्ताश्त नहीं किए जा सकते हैं. इसीलिए अब एक अध्यादेश लागू करने का फैसला किया गया है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इसे तुरंत लागू कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया,

“कुछ लोग हेल्थ वर्कर्स को संक्रमण फैलाने वाला समझ रहे हैं. सरकार का काम है कि इस तरह की हिंसा को रोका जाए. इसीलिए 123 साल पुराने महामारी एक्ट के तहत उसमें बदलाव करके ये अध्यादेश लागू करने का फैसला लिया गया है. अब इस तरह का अपराध तुरंत संज्ञान में लिया जाएगा और इसमें जमानत नहीं होगी.”
प्रकाश जावडेकर

5 से लेकर 7 साल तक की सजा

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अगर कोई ऐसा करता हुआ पाया जाता है तो उस पर तुरंत कार्रवाई होगी और इसकी जांच 30 दिन में पूरी होगी. वहीं अगले एक साल में इस पर फैसला आएगा. फैसला आने के बाद इस तरह के क्राइम में कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है. जिसमें सिर्फ हमला करने के आरोप में तीन महीने से पांच साल तक की सजा हो सकती है. वहीं 50 हजार से दो लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. इसके अलावा जावडेकर ने बताया,

“अगर किसी स्वास्थ्य कर्मी को हमले में गंभीर चोट पहुंचती है तो दोषी को 6 महीने से 7 साल तक की सजा हो सकती है. वहीं ऐसे केसेस में 1 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक जुर्माना वसूला जाएगा. ऐसा करके सरकार ने साफ संदेश दिया है कि डॉक्टर और हेल्थ वर्कर्स पर हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे.”
प्रकाश जावडेकर
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गाड़ी के नुकसान पर दोगुना जुर्माना

केंद्रीय कैबिनेट में जिस अध्यादेश को मंजूरी मिली है, उसके तहत अगर डॉक्टरों या हेल्थ वर्कर्स की गाड़ी या फिर क्लीनिक को नुकसान पहुंचाया जाता है तो जो भी क्लीनिक या गाड़ी की कीमत है उसका दोगुना पैसा आरोपियों से वसूला जाएगा. जावडेकर ने बताया कि देश में नेशनल सिक्यॉरिटी एक्ट, आईपीसी और अन्य कानून होने के बाद भी हमने ये कानून बनाने का फैसला किया है. जिससे कोरोना जैसी महामारी में डॉक्टर बिना टेंशन काम कर सकें.

ब्रीफिंग में ये भी बताया गया कि आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों का कोरोना का पूरा इलाज फ्री में किया जाएगा. इस वक्त अगर ऐसे लोग किसी भी अन्य बीमारी के चलते प्राइवेट हॉस्पिटल में भी जाएंगे तो उसका भी पैसा नहीं लिया जाएगा. वहीं बताया गया कि भारत में नए 723 कोविड हॉस्पिटल बनाए गए हैं. इनमें लगभग 2 लाख आइसोलेशन बेड और 24 हजार आईसीयू बेड की व्यवस्था है. इन सभी व्यवस्थाओं को सिर्फ तीन महीने में पूरा कर लिया गया.

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