ADVERTISEMENTREMOVE AD

वैक्सीन टेंडर: राज्यों को कंपनियों का इनकार, कहां है केंद्र सरकार?

जिन राज्यों ने ग्लोबल टेंडर भी निकाले थे, उन्हें भी उत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

देशभर में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 3 लाख पार कर गई है. डेली कोविड केस की संख्या भले ही थोड़ी कम हुई हो लेकिन मौतें में कमी आती नहीं दिख रही है. ऐसे में एकमात्र कारगर हथियार वैक्सीनेशन है. लेकिन भारत में उसको भी लेकर दिक्कतें नजर आ रही हैं, केंद्र से राज्यों की शिकायत पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन को लेकर है.

राजधानी दिल्ली का उदाहरण समझिए. सीएम केजरीवाल 22 मई को ट्वीट कर कहते हैं कि वैक्सीन खत्म होने के कारण वैक्सीनेशन सेंटर बंद करना पड़ रहा है. दिल्ली सरकार के मुताबिक मई महीने में दिल्ली को केवल 16 लाख वैक्सीन मिली. वहीं, जून के महीने में केंद्र सरकार दिल्ली को इसकी भी आधी यानी केवल 8 लाख वैक्सीन ही देगी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वैक्सीन कंपनियां राज्यों को कर रहीं इनकार

अब वैक्सीनेशन को जारी रखने के लिए दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु समेत कई राज्यों ने ग्लोबल टेंडर निकाल दिया. अखबारों में टेंडर छप भी गए लेकिन इस कवायद का भी कोई फायदा होते नहीं दिख रहा है.

इस बीच राज्यों के लिए विदेशी कंपनियों से झटके पर झटके लग रहे हैं. पंजाब की तरफ से कहा गया है कि कोविड-19 वैक्सीन की कमी की वजह से पिछले 3 दिनों से फेज 1 और फेज 2 का वैक्सीनेशन रोका गया है और अब वैक्सीन निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने कोविड वैक्सीन की सप्लाई करने से इनकार कर दिया है. कंपनी का कहना है कि वो सिर्फ भारत सरकार से ही डील करेगी.

ऐसा ही दावा दिल्ली सरकार की तरफ से भी आया है कि Pfizer और Moderna दोनों ने ही राज्यों को सीधा वैक्सीन देने से इनकार कर दिया है.

महाराष्ट्र, यूपी....ग्लोबल टेंडर की स्थिति क्या है?

अब जिन राज्यों ने ग्लोबल टेंडर भी निकाले थे, उन्हें भी उत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है.

महाराष्ट्र ने 5 करोड़ वैक्सीन डोज के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला है, जिसकी आखिरी तारीख 26 मई है. राज्य की तरफ से स्पुतनिक को लिखे गए मेल का अब तक जवाब नहीं आया है. अब भी मॉडर्ना, फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कंपनियों से बातचीत करने की कोशिश की जा रही है. इस बीच बीएमसी को तीन आवेदन जरूर मिले हैं लेकिन किसी भी कंपनी ने वैक्सीन मैन्युफेक्चरर से जुड़े दस्तावेज नहीं दिखाए हैं.

उत्तर प्रदेश की बात करें तो 4 करोड़ डोज के लिए ग्लोबल टेंडर निकाले गए थे. ज्यादा से ज्यादा कंपनियां शामिल हो सकें तो बाद में नियमों ढील दी गई, जैसे निविदा राशि को भी घटाकर 16 करोड़ से 8 करोड़ कर दिया गया. किस तापमान पर वैक्सीन स्टोर होनी चाहिए, इसमें भी ढील दी गई हैं. अब टेक्निकल बिड को 31 मई तक बढ़ा दिया गया है.

इसी तरह तमिलनाडु में 3.5 करोड़ वैक्सीन के लिए टेंडर जारी किया गया था. आवेदन की आखिरी तारीख 5 जून है, कर्नाटक में 24 मई है. 18-44 आयुवर्ग के लोगों के वैक्सीनेशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई दूसरे राज्य भी ग्लोबल टेंडर के बारे में सोच रहे हैं लेकिन अभी इसके नतीजों के बारे में पुख्ता तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता.

इस बीच वैक्सीनेशन कुछ जगहों पर रुकने और वैक्सीनेशन ड्राइव में देरी कोरोना संक्रमण को और भी घातक बना सकती है. उधर दूसरी लहर खत्म होने से पहले ही एक्सपर्ट तीसरी लहर की चेतावनी दे रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

केंद्र और राज्यों को समन्वय चाहिए : SBI ईकोरैप

वैक्सीन की कमी से जूझ रहे देश को एसबीआई ईकोरैप की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत को वैक्सीन खरीद के लिए यूरोपीय संघ के मॉडल का पालन करना चाहिए. यूरोपीय संघ आयोग एक संयुक्त वार्ता दल के साथ संयुक्त रूप से वैक्सीन आपूर्तिकर्ताओं के साथ बातचीत करता है.

संयुक्त वार्ता दल के सदस्य - सात सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हुए - एक संचालन समिति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. संचालन समिति हस्ताक्षर से पहले उन्नत खरीद समझौते (एपीए) अनुबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा और समीक्षा करती है. इस समिति में सभी यूरोपीय संघ के सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाता है.इसने आगे सुझाव दिया कि सरकार को सबसे अधिक प्रभावित जिलों के लोगों को पहले टीकाकरण पर ध्यान देना चाहिए, ताकि प्रसार को नियंत्रित किया जा सके.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×