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अल्फा वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक है कोरोना का डेल्टा वैरिएंट, दोगुना खतरा

कोरोना का डेल्टा वेरिएंट दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है

Published
भारत
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कोविड-19 (Coronavirus) के अल्फा वेरिएंट (Alpha Variant) की तुलना में डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) को ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है. शोधकर्ताओं ने शनिवार को 'द लैंसेट' में छपी रिपोर्ट में बताया है कि वायरस के डेल्टा संस्करण के कारण अस्पतालों में मरीजों की तुलना लगातार बढ़ रही है.

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बता दें कि, इन दोनों प्रकारों के वेरिएंट की तुलना में 43,000 से अधिक कोविड मामलों के मूल्यांकन में पाया गया कि केवल 1.8 प्रतिशत ही रोगी ऐसे थे जो पूरी तरह से टीकाकृत थे और तीन चौथाई लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई थी, जबकि 24 फीसदी लोगों ने दो में से सिर्फ एक डोज ही वैक्सीन लगवाई थी.

क्या बताती है वायरस को लेकर स्टडी?

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एमआरसी बायोस्टैटिस्टिक्स यूनिट के एक वरिष्ठ सांख्यिकीविद् सह-प्रमुख लेखक ऐनी प्रेसानिस ने कहा,

"इस अध्ययन के परिणाम मुख्य रूप से हमें उन लोगों के लिए अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम के बारे में बताते हैं, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है या आंशिक रूप से टीका लगाया गया है."

शोधकर्ताओं ने इस साल 29 मार्च से 23 मई तक इंग्लैंड में 43,338 COVID-19 मामलों के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया, जिसमें टीकाकरण की स्थिति, आपातकालीन देखभाल, अस्पताल में प्रवेश और अन्य रोगी जानकारी शामिल है.

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सभी वायरस के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग से यह पुष्टि होती है कि रोगी को किस प्रकार का संक्रमण हुआ था. जिनोम सीक्वेंसिंग से पता चला कि केवल 80 प्रतिशत मामलों की पहचान अल्फा संस्करण के रूप में की गई थी, और बाकी डेल्टा थे.

शोध में यह भी पता चला है कि 50 में से एक मरीज को उनके COVID-19 पॉजिटिव पाए जाने के 14 दिनों के भीतर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. शोधकर्ताओं ने बताया है कि ब्रिटेन में अब डेल्टा वेरिएंट के मामले बढ़ रहे हैं और इस वेरिएंट के 98 फीसदी मामले हो सकते हैं.

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टीकाकरण है सुरक्षा कवच

शोध के मुताबिक डेल्टा में वृद्धि हुई है और अब ब्रिटेन में 98 प्रतिशत से अधिक नए कोविड -19 मामलों का हिसाब है, कई अध्ययनों से यह पता चला है कि टीकाकरण के पूर्व अल्फा और डेल्टा दोनों रूपों के लिए लक्षणो में अस्पताल में भर्ती होने से संक्रमण को रोका जा सकता है.

"हम पहले से ही जानते हैं कि टीकाकरण डेल्टा के खिलाफ उत्कृष्ट सुरक्षा प्रदान करता है, यह महत्वपूर्ण है कि जिन लोगों को टीके की दो खुराक नहीं मिली है, वे इसे जल्द से जल्द करें"
नेशनल इंफेक्शन सर्विस, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड में सलाहकार गेविन डबरेरा

स्कॉटलैंड में हुए एक अध्ययन ने भी डेल्टा के साथ अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को दोगुना करने की सूचना दी थी, यह सुझाव देते हुए कि डेल्टा अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनता है.

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भारत में डेल्टा वेरिएंट

डेल्टा वेरिएंट को पहली बार भारत में दिसंबर 2020 में रिपोर्ट किया गया था और शुरुआती अध्ययनों में यह अल्फा वेरिएंट की तुलना में 50 प्रतिशत से अधिक ट्रांसमिसिबल पाया गया था, जिसे पहली बार पिछले साल सितंबर में इंग्लैंड में पहचाना गया था.

दुनिया भर में लगभग 4.5 मिलियन मौत के लिए कोविड -19 को जिम्मेदार ठहराया गया है, हालांकि महामारी की अवधि में "अतिरिक्त मौतों" की गणना के बाद अंतिम मिलान अधिक होने की संभावना है.

कुछ देशों में और संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ राज्यों में अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर 2020 की शुरुआत में दर्ज किए गए पहले मामलों के बाद से सबसे अधिक हैं.

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