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40 दिन के लॉकडाउन के बाद टूट रहा गुजरात के मजदूरों का धैर्य

40 दिन के लॉकडाउन से मजदूरों का धैर्य अब टूट चुका है और अब वह सड़क पर उतर गए हैं.

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कोरोना वायरस का कहर देश में महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा गुजरात में दिख रहा है. यहां अब तक 472 लोगों की मौत हो गई है जबकि 7 हजार से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव के केस हैं. गुजरात एक इंडस्ट्रियल प्रदेश है इसलिए यहां कामगार प्रवासी मजदूरों की संख्या लाखों में है. गुजरात के सूरत शहर में कई फैक्ट्री और अलग-अलग कारोबार हैं ऐसे में यहां काम करने के लिए काफी तादाद में प्रवासी मजदूर पहुंचते हैं.

लेकिन कोरोना लॉकडाउन की वजह से अब ये मजदूर खुद को असहाय और फंसे हुए महसूस कर रहे हैं. 40 दिन के लॉकडाउन से उनका धैर्य अब टूट चुका है और अब वह सड़क पर उतर गए हैं.

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गुजरात के सूरत में बीते 9 मई को सैकड़ों की तादाद में मजदूर सड़कों पर उतर गए. घर जाने की जिद पर अड़े प्रवासी मजदूरों ने सड़कों को जाम कर दिया. हालांकि इससे पहले भी 10 अप्रैल को मजदूरों की भीड़ सड़क पर उतरी गई थी और घर जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. लेकिन अब इतने लंबे लॉकडाउन और गुजरात की हालत देखकर भी वे खौफ में हैं.

शुक्रवार 8 मई को लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की अनदेखी करते हुए सैकड़ों मजदूर अहमदाबाद के गोटा इलाके में उपजिलाधिकारी कार्यालय के बाहर जमा हो गए. पुलिस के मुताबिक, अफवाह के कारण मजूदर सुबह से ही जुटने लगे. अफवाह उड़ाई गई थी की एक बस मजदूरों को रेलवे स्टेनशन ले जाएगी.

चांगोदर में निकला सैकड़ों मजदूरों का रेला

गुजरात में जिस वक्त अलग-अलग इलाकों में मजदूरों की भीड़ सड़कों पर उतरने की खबर आ रही थी. उस वक्त चांगोदर इलाका जहां सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर रहते हैं. यहां प्रवासी मजदूरों के हुजूम को भागते हुए देखा गया.

सूरत के हजीरा इंडस्ट्रियल इलाके में भी 500 से 1000 लोगों की भीड़ सड़क पर जमा हो गई. वे सभी लोग घर जाने की मांग कर रहे थे. हालांकि, पुलिस ने लोगों पर कार्रवाई करते हुए 50 से 60 लोगों को हिरासत में भी लिया.

प्रवासी मजदूरों को सरकार का आश्वासन धैर्य बनाए रखें

गुजरात के प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के लिए कई ट्रेन चलाई गई हैं. लेकिन इसमें 1100 से 1200 लोग ही जा सकते हैं, जबकि मजदूरों की संख्या लाखों में हैं. ऐसे में इतने लंबे समय के लॉकडाउन के बाद मजदूरों का धैर्य का बांध अब टूट रहा है.

हालांकि, सरकार मजदूरों को आश्वासन दे रही है कि, वह धैर्य बनाए रखें. मजदूरों को भेजे जाने की एक लंबी प्रक्रिया है इसलिए इसमें थोड़ा वक्त लेगेगा.

यात्रा के दौरान भी मजदूर खौफ में दिख रहे हैं. रविवार को सूरत से मजदूरों को यूपी लेकर जा रही ट्रेन के 20 डब्बे अलग होने की खबर सामने आई. ट्रेन सूरत से यूपी के प्रयागराज के लिए निकली थी. लेकिन रास्ते में इंजन से 20 डब्बे अलग हो गए और इंजन कुछ डब्बों को लेकर आगे चली गई. बाद में इसकी सूचना गार्ड ने स्टेशन मास्टर को दी. अब तक इसकी रिपोर्ट नहीं आई है कि लोग कहां फंसे हुए हैं. बताया जा रहा है कि ये घटना भिटौनी स्टेशन के पास हुई है.

वहीं, शनिवार शाम को गुजरात के भावनगर बस्ती से जा रही एक ट्रेन में एक मजदूर की मौत हो गई. हालांकि, मजदूर की मौत का कारण अब तक पता नहीं चल पाया है लेकिन इस घटना से ट्रेन में सवार सभी मजदूरों में खौफ फैल गया.

बहरहाल, गुजरात में प्रवासी मजदूर अब घर जाने के लिए जिद पर उतर गए हैं. मजदूर अब लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की प्रवाह किए बगैर सड़क पर निकल पड़े हैं. सरकार और प्रशासन उन्हें समझाने की कोशिश में लगे हैं लेकिन अब मजदूर किसी भी हाल में केवल घर पहुंचना चाहते हैं.

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